कोर्ट में विवादित टिप्पणियां-6: जब जज साहबान ने पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़े

देश की विभिन्न अदालतों में साल 2021 में कुछ विचित्र और आश्चर्यजनक टिप्पणियां की गईं, जिनसे सार्वजनिक विवाद पैदा हुआ। कतिपय न्यायाधीशों और अदालतों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की खुलेआम प्रशंसा करने की घटनायें भी हुयीं जिन पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई। सरकार के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करने से एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका पर सवाल उठने लगता है। उच्चतम न्यायालय हो या राज्यों के उच्च न्यायालय में पीठासीन ऐसे जजों के निर्णयों का सार्वजनिक मूल्यांकन उनकी विचारधाराओं के आलोक में होने लगता है। आइये कुछ मामलों पर नजर डालते हैं।

केरल हाईकोर्ट ने दिसम्बर 21 में COVID -19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटाने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि देश के नागरिक अपने प्रधानमंत्री का सम्मान करने के लिए बाध्य हैं। एक लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाकर याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने टिप्पणी की थी कि लोग उनमें से योग्य व्यक्तियों को चुनते हैं और उन्हें संसद में भेजते हैं और बहुमत दल अपने नेता का चयन करता है और वह नेता पांच साल तक हमारे प्रधानमंत्री होते हैं। अगले आम चुनाव तक वह भारत के प्रधान मंत्री होंगे। इसलिए, मेरे अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री का सम्मान करना नागरिकों का कर्तव्य है और नागरिक निश्चित रूप से वे सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री के राजनीतिक रुख पर भी अलग राय रख सकते हैं। उन्होंने प्रधानमन्त्री मोदी पर गर्व व्यक्त किया था।

न्यायालय एक वरिष्ठ नागरिक और एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुना रहा था, जो प्रधानमंत्री की तस्वीर वाले अपने टीकाकरण प्रमाण पत्र से व्यथित था। याचिकाकर्ता ने अदालत का रुख किया और कोर्ट से घोषणा की मांग की कि उसके कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि टीकाकरण प्रमाणपत्र में प्रधानमंत्री की तस्वीर उसकी निजता में दखल है।

इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि क्या शानदार तर्क है। क्या वह इस देश में नहीं रह रहे हैं? भारत के प्रधानमंत्री एक व्यक्ति नहीं हैं जो संसद भवन की छत तोड़कर संसद भवन में प्रवेश करते हैं। वह लोगों के जनादेश के कारण सत्ता में आए हैं। दुनिया भर में भारतीय लोकतंत्र की तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री इसलिए चुने जाते हैं क्योंकि उन्हें जनादेश मिला है।

इसी तरह इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस शेखर यादव, जिन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने के लिए एक कानून की मांग की थी, उन्होंने एक अन्य मामले में कहा कि संसद को श्री राम, श्री कृष्ण, गीता, रामायण, महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेद व्यास को सम्मान देने के लिए एक कानून लाना चाहिए, क्योंकि वे भारत की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं।

जस्टिस यादव ने आदेश में कहा था कि राम भारत की आत्मा और संस्कृति हैं और राम के बिना भारत अधूरा है। सोशल मीडिया में देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें साझा कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत अर्जी में यह बातें कही गईं। भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण को भारत का महापुरुष बताते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर कोई उनके बारे में अश्लील टिप्पणी करता है तो यह उनके अनुयायियों की आस्था को ठेस पहुंचाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां इस तरह के आचरण के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है, हालांकि, भारत एक उदार देश है जहां कानून का प्रावधान है।

वर्ष 2021 में ही उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एमआर शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमारा सबसे लोकप्रिय, प्रिय, जीवंत और दूरदर्शी नेता’ बताया था। जस्टिस शाह ने गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में प्रधानमंत्री की प्रशंसा की थी। जस्टिस शाह ने कहा था कि मुझे गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में, हमारे सबसे लोकप्रिय, प्रिय, जीवंत और दूरदर्शी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में, भाग लेकर गौरव का अनुभव हो रहा है। इस वर्चुअल इवेंट के दौरान दो स्मृति डाक टिकट भी जारी किए गए। जस्टिस शाह ने कहा था कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी वाले इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।

जस्टिस मुकेश रसिक भाई शाह 12 अगस्त, 2018 पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। जस्टिस शाह इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट में जज थे। साल 1982 में गुजरात हाईकोर्ट में उन्होंने वकालत की शुरुआत की थी। साल 2004 में वो वहां के जज बने और एक साल बाद वो स्थाई जज बने। पटना में जस्टिस शाह ने कहा था कि नरेंद्र मोदी एक मॉडल हैं। वह एक हीरो हैं। जहां तक मोदी की बात है तो पिछले एक महीने से यही चल रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे सैकड़ों क्लिपिंग्स हैं। रोज पेपर में भी यही चलता है।

इसी तरह अपने रिटायर्मेंट के पहले उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन जस्टिस  अरुण मिश्रा द्वारा एक समारोह में प्रधानमंत्री की प्रशंसा किए जाने के बाद वह सबकी नजरों में आ गए थे। जस्टिस मिश्रा ने मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य दूरदर्शी नेता बताया था। जस्टिस मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूरदर्शी और जीनियस बताया है। जस्टिस मिश्रा ने 1,500 पुराने क़ानून ख़त्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद की तारीफ़ की थी ।

अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 को संबोधित करते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि हमारी सबसे बड़ी चिंता है कि लोग गरिमापूर्ण तरीके से रहें। हम बहुमुखी प्रतिभा वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हैं, जो वैश्विक सोच रखते हैं और स्थानीय स्तर पर काम करते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक ज़िम्मेदार सदस्य है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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