टंडन तो प्रदर्शन करने गए और मुलायम से रसगुल्ला खाकर लौटे !

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में किसी घटना पर धरना-प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। बड़े-बड़े नेता भी धरना पर बैठते रहे हैं और गिरफ्तारी देकर जेल भी जाते रहे हैं। इसमें भाजपा के नेता भी आंदोलन प्रदर्शन करते रहे हैं। लाठी भी खाई है। पर सत्तारूढ़ दल के नेता विपक्षी नेताओं को पूरा सम्मान भी करते रहे हैं। ऐसे ही एक प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता लालजी टंडन को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने किस तरह आवभगत कर मामले को सुलझाया था यह सभी को जानना चाहिए। क्योंकि शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ भाजपा सरकार ने जो व्यवहार किया उसे लेकर आम लोगों में भी नाराजगी है। वे कांग्रेस की महासचिव तो हैं ही साथ ही महिला भी हैं। ऐसे में जिस तरह उन्हें चुनार के किले में बिना बिजली पानी के रख कर जमानत लेने का जो दबाव बनाया गया वह ठीक नहीं था। इससे योगी सरकार की ही फजीहत हुई है। जिसने भी सरकार को यह सलाह दी उसने योगी सरकार की छवि चौपट करने की कोशिश की है। प्रियंका गांधी सोनभद्र जातीं तो पीड़ित परिवार के लोगों से मिलकर बयान दे देतीं। मीडिया तीसरे या बारहवें पन्ने पर छाप देता।

पर सलाहकारों ने सरकार को दो तीन अच्छी राय दे दी। पहला प्रियंका को किसी भी तरह रोको, नरसंहार का ठीकरा नेहरु/कांग्रेस पर फोड़ दो और जब प्रियंका गिरफ्तार हो गईं तो चुनार के किले के गेस्ट हाउस की बिजली पानी काट दो। नतीजा क्या हुआ जो घटना मीडिया बड़ी बेहयाई से दबाने में जुटा था वह फिर पहले पन्ने पर आ गयी। नेहरु पर ठीकरा फूटा तो कल न्यूयार्क से अपने मित्र का फोन आया बोले, नेहरु तो साठ के दशक में दुनिया छोड़ गए थे वे कैसे जिम्मेदार हो गए। यानी डंका दूर तक बजा। तीसरा प्रभाव सारा देश जान गया कि यूपी में बिजली का भीषण संकट है। प्रियंका गांधी हिरासत में अंधेरे में हैं। अंत में प्रियंका गांधी के आगे झुकना ही पड़ा सरकार को। प्रियंका को चौबीस घंटे की अच्छी मीडिया कवरेज भी मिल गई।

बहरहाल भाजपा के उस आंदोलन के बारे में जानें जिसे मुलायम सिंह ने बड़प्पन के साथ खत्म कराया था। कानपुर में किसी प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं की बुरी तरह पिटाई की। एक भाजपा कार्यकर्ता के पैर की हड्डी कई जगह टूट गई। अब भाजपा ने आंदोलन और तेज करते हुए लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास घेरने का ऐलान किया। जिस कार्यकर्ता को चोट आई थी उसे स्ट्रेचर पर रखकर प्रदर्शन करने भाजपा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास की तरफ बढ़े। नेतृत्व कर रहे थे पार्टी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन। नारेबाजी के साथ प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। मुलायम सिंह घर में ही थे उन्होंने लालजी टंडन के साथ चार नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। छप्पन भोग का रसगुल्ला और समोसा, जलेबी से सभी का स्वागत किया। बातचीत की।

टंडन जी ने नाश्ता पानी लिया। संतुष्ट होकर बाहर निकले और आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी। यह भी बताया कि मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने जांच कर कार्रवाई की बात मान ली है। इस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं की बर्बर पिटाई से उपजा आंदोलन समाप्त हो गया। दूसरे दिन जनसत्ता में पहले पेज पर बाटम छपी अपनी खबर की हेडिंग थी, टंडन प्रदर्शन करने गए और मुलायम से रसगुल्ला खाकर लौटे। मीनू की जानकारी भाजपा के एक नेता ने मुझे वहीं से फोन पर दी थी। मुलायम सिंह वैसे भी बहुत व्यवहारकुशल नेता हैं।

योगी आदित्यनाथ को जब एक घटना के बाद जिला प्रशासन ने गोरखपुर में गिरफ्तार किया तो लोकसभा में योगी उसका ब्यौरा बताते बताते रोने लगे थे। मुलायम सिंह अपनी सीट से उठकर उनके पास गए और कंधे पर हाथ रख कर समझाया। कार्रवाई का भी भरोसा दिया। पता नहीं भाजपा के नए कार्यकर्ता ये सब भूल क्यों जाते हैं। खासकर जो सोशल मीडिया पर हैं। प्रियंका गांधी के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया उससे यह घटना याद आ गई। गोरखपुर के वे कलेक्टर भी सरकार बदलने के बाद लूप लाइन में ही हैं।

(अंबरीश कुमार शुक्रवार के संपादक हैं और आजकल लखनऊ में रहते हैं।) 

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