आख़िर मोदी, जनता से क्यों छिपाना चाहते हैं पीएम केयर्स फंड का पैसा

इस समय सारा विश्व वैश्विक आपदा कोरोना वायरस COVID-19 के संक्रमण से जूझ रहा है, भारत में भी देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी कर चुके हैं। आम जनता घरों में कैद है, व्यापार-वाणिज्य ठप है, गरीबों के लिए रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है लेकिन इस भयावह मंजर के बाद भी पूंजीवादी सरकार किस तरह जनता को लूट सकती है इसका एक बड़ा उदाहरण है “पीएम केयर्स फंड”

देश के विपक्षी दलों के कई नेताओं द्वारा सावधान किए जाने के बावजूद पहले तो देश के स्वास्थ्य मंत्रालय समेत पूरी सरकार न केवल कोरोना के प्रति लापरवाह रवैया अपनाती रही बल्कि विपक्षी नेताओं पर ही उल्टे माहौल बिगाड़ने का आरोप तक सरकारी शूरमाओं द्वारा लगा दिया गया। इसके बाद जब स्थिति बिगड़ी तो सरकार की नींद खुली, तब तक देर हो चुकी थी। अपर्याप्त चिकित्सीय सुविधाओं के बीच सरकार के पास लॉक डाउन के अलावा कोई विकल्प भी नहीं था, फलतः अनियोजित लॉक डाउन को आम जनमानस पर थोप दिया गया।  

स्थितियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड (Prime Minister’s Citizen Assistance And Relief In Emergency Situations Fund) अर्थात ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की और 28 मार्च 2020 को अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर देश के नागरिकों और पूँजीवादी काॅरपोरेट घरानों से इस फंड में दान करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस फंड में जो पैसा आएगा, उससे कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे युद्ध को मजबूती मिलेगी। 

प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद से लगातार विपक्षी दलों द्वारा इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। केंद्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद उदित राज ने सरकार पर निशाना साधते हुए सरकार से पूछा-  “पीएम रिलीफ फंड पहले से है, तो फिर पीएम केयर्स फंड क्यों ? इसमें बड़ा घोटाला दिखता है।”

इसके बाद उन्होंने 30 मार्च 2020 को एक ट्वीट करते हुए सरकार पर हमला बोला और लिखा- “इनकी नीयत पर डाउट है, जब पीएम रिलीफ फंड पहले से है तो पीएम& केयर फंड क्यों? नाम ही रखना था तो पीपुल्स फंड, कोरोना फंड या जनता फंड रखते। कोई बड़ा गड़बड़ घोटाला या प्रचार बाजी ही इनका लक्ष्य दिखता है।”

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए इस ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं इसके अलावा इस ट्रस्ट के सदस्यों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हैं। प्रारम्भ में सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि – कोरोना वायरस कोविड-19 महामारी से उत्पन्न किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या संकट से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से एक विशेष राष्ट्रीय कोष बनाने की आवश्यकता है, और इसी को ध्यान में रखते हुए और इससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘पीएम केयर्स फंड’ के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाया गया है।

अब अहम सवाल यह है कि क्या यह ट्रस्ट सरकारी है? अगर ये सरकारी नहीं है तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, वित्तमंत्री किस हैसियत से इस ट्रस्ट का हिस्सा हैं? अगर ये प्राइवेट ट्रस्ट है तो सरकार की एजेंसियां एवं बीजेपी के नेता इसे सरकारी कोष की तरह क्यों प्रचारित कर रहे हैं ? 

इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता पंकज पुनिया ने भी 30 मार्च 2020 को अपने ट्वीट के जरिये सरकार को घेरते हुए लिखा-  “पीएम रिलीफ फंड नेहरु जी ने बनाया था। बाकायदा ऑडिट होता है। पीएम केयर्स नमो नारायण की संस्था है। जिसका ऑडिट पता नहीं होगा भी या नहीं ? खून में व्यापार है।”

यहाँ यह स्पष्ट कर देना ज्यादा अहम है कि भारत में इस प्रकार के किसी भी ट्रस्ट का गठन और क्रियान्वयन इंडियन ट्रस्ट एक्ट,1882 के तहत होता है। किसी भी धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए यह जरूरी होता है कि उसकी एक ट्रस्ट डीड बने जिसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र होता है कि संबंधित ट्रस्ट किन उद्देश्यों के लिए बना है, उसकी संरचना क्या होगी और वह कौन-कौन से काम किस ढंग से करेगा, इसके बाद ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन होता है। जबकि पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, और इसके रजिस्ट्रेशन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

कांग्रेस के तेज तर्रार सांसद शशि थरूर ने भी एक ट्वीट किया, उन्होनें लिखा – “ये जरूरी है। आखिर आसानी से इसे पीएमएनआरएफ को पीएम-केयर्स फंड नहीं कर दिया जाता? बजाय अलग पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाने के, जिसके नियम और खर्चे पूरी तरह से अस्पष्ट हैं।”

इससे पहले 29 मार्च 2020 को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और कॉरपोरेट मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पीएम केयर्स फंड में दी जाने वाली राशि को कंपनियों की CSR के मद में शामिल किया जाएगा। पीएम केयर्स फंड का बैंक एकाउंट भारतीय स्टेट बैंक की नई दिल्ली स्थित मुख्य शाखा में है। इस कोष में दी जाने वाली दान राशि पर धारा 80 (जी) के तहत आयकर से छूट दी जाएगी।

एक दिलचस्प बात यह भी है कि भारत या भारत से बाहर के लोग और संस्थाएं भी पीएम केयर्स फंड में दान दे सकती हैं। उच्चायोगों की वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये हुई मीटिंग में पीएम केयर्स ट्रस्ट के लिए विदेश से भी चंदा लेने की जरूरतों पर जोर दिया गया था। मोदी सरकार ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड में विदेशी फंड भी स्वीकार किए जाएंगे ताकि कोविड- 19 के खिलाफ लड़ाई को और गति प्रदान किया जा सके।

हालांकि सरकार का यह निर्णय पूर्ववर्ती सरकारों के फैसले के विपरीत है । इससे पहले वर्ष 2004 में जब हिन्द महासागर में आई सुनामी के कारण दक्षिण भारत मे भीषण तबाही हुई थी तो भारत सरकार ने विदेशी चन्दा लेने से इनकार कर दिया था। ऐसे में पारदर्शिता की और अधिक जरूरत है ताकि देश ये जान सके कि विदेशी चंदा कहाँ से और किससे प्राप्त हो रहा है । लेकिन इस संबंध में भी सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। 

हालांकि विदेशी चंदे के इस मुद्दे पर जब विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा तो सरकार की ओर से सफाई दी गयी कि पीएम केयर्स फंड केवल उन व्यक्तियों और संगठनों से दान और योगदान स्वीकार करेगा जो विदेशों में आधारित हैं और यह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संबंध में भारत की नीति के अनुरूप है। 

आखिर क्या वजह है कि जब पहले से ही प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष है तो पीएम केयर्स ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता पड़ रही है ? और जब ट्रस्ट बनाया ही गया है तो इसके रजिस्ट्रेशन, नियम तथा कोष में जमा की गई रकम का सार्वजनिक ब्यौरा क्यों नहीं है ? क्या पीएम केयर्स फंड भी 2019 में पुलवामा हमले के बाद शहीद जवानों के परिजनों को मदद पहुंचाने के लिए बनाए गए ‘भारत के वीर’ नामक ट्रस्ट की तरह बिना कोई सार्वजनिक जानकारी वाला ट्रस्ट बनकर रह जाएगा ?

कभी शहीद जवानों के नाम पर, कभी वैश्विक महामारी के नाम पर कब तक इस तरह के ट्रस्ट का निर्माण कर उसमें जमा रकम और उसके खर्च की जानकारी छुपाई जाती रहेगी ?

मसला न केवल बेहद संगीन है बल्कि आपराधिक भी है। फ़िलहाल तो देश यह जानना चाहता है कि कोरोना जैसी वैश्विक आपदा के इस कठिन वक्त में पीएम केयर्स फंड में जमा रकम का प्रयोग बीजेपी की बहु मंजिला पार्टी कार्यालयों के निर्माण में,  विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव या राज्यों में सरकार गठन में तो नहीं होने वाला है ? उम्मीद करता हूँ कि देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए पीएम केयर्स फंड के संदर्भ में उठने वाली तमाम शंकाओं को दूर करते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ स्थिति को जल्द ही स्पष्ट करेंगे ।

(दया नन्द शिक्षाविद हैं और तमाम पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखते रहे हैं।)

दया नंद
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