योगीजी ऐसे चलेंगे कोरोना से दस कदम आगे?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार तीन ट्वीट रविवार की रात नौ बजे से ठीक पहले नौ मिनट के अंतराल में आए। इन तीनों ट्वीट्स ने उत्तर प्रदेश में कोरोना के हालात, सरकार की अकर्मण्यता और बेबसी की पोल खोलकर रख दी है। इनमें ऑक्सीजन की कमी का आकलन करने और घरों में आइसोलेट मरीजों को मेडिकल किट उपलब्ध कराने के निर्देश समेत मौजूदा व्यवस्था में ही बेड की संख्या बढ़ाने का भरोसा दिलाया गया है। हां, यह महत्वपूर्ण बात भी कही गयी है कि कोरोना तभी नियंत्रित हो सकता है जब हम उससे दस कदम आगे सोचेंगे।

कोविड पॉजिटिव होने तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठीक वैसे ही पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों के चुनावों में रैलियां करते रहे, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तक कर रहे हैं। योगी को जब कोरोना ने अपनी चपेट में लिया तब तक हालात बदतर हो चुके थे। वे बीमार हैं। इसी अवस्था में यूपी की देखरेख में जुटे हैं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना हर नागरिक करता है।

सीएम के ट्वीट में जज्बा तो है, बेबसी भी साफ है
योगी आदित्यनाथ के सभी तीनों ट्वीट पढ़कर ऐसा लगता है कि वे प्रदेश के लिए वाकई चिंतित हैं। ये तीनों ट्वीट बीमार हाल में भी एक मुख्यमंत्री का जज्बा जरूर बयां करता है, लेकिन कोरोना से कराह रही जनता को इससे कोई राहत नहीं मिलती। मुख्यमंत्री की कोरोना के सामने बेबसी ही झलकती है।

पहले ट्वीट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक-एक व्यक्ति की जान बचाने की प्रतिबद्धता जताते हैं। वे बताते हैं कि मरीजों को ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गये हैं। साथ ही, घर में आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के लिए मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गये हैं। मगर, इन निर्देशों के क्या मायने हैं जब प्रदेश के विधायक, मंत्री तक मरीजों के लिए कुछ कर पाने में असहाय हैं?

यूपी में मरीजों को एडमिट कराने में केंद्रीय मंत्री तक लाचार
राजधानी लखनऊ में ही मंत्री बेबस हैं। वे एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। गाजियाबाद में केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह अपने भाई तक को किसी अस्पताल में दाखिल नहीं करा पा रहे हैं। जनता अगर अपने सांसद तक पहुंच भी जाए तो उन्हें हासिल क्या होगा? प्रदेश भर के कोरोना पीड़ित जिलों के अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल हो चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री की एक-एक जान बचाने की प्रतिबद्धता से क्या उम्मीद पैदा होगी?

राजधानी लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर हर जगह से ऑक्सीजन की कालाबाजारी की खबरें मीडिया में हैं। बेबस और लाचार परिजनों की आंखों के सामने उनके प्रियजन दम तोड़ रहे हैं। अच्छा होता अगर मुख्यमंत्री उन परिजनों से माफी मांगते। अपने प्रदेश के नागरिकों की जान बचाने की प्रतिबद्धता तो मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही तय हो जाती है। यह मुख्यमंत्री का स्वाभाविक कर्त्तव्य हो जाता है। बाकी जो निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं उन निर्देशों को जारी करने की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? और, ताजा निर्देश भी कब तक अमल में आएंगे?

स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ बेड बढ़ाना जरूरी है योगीजी!
योगी आदित्यनाथ ने जो दूसरा ट्वीट किया है उसका आशय यह है कि मौजूदा अवसंरचना को मजबूत करने की उम्मीद कोई न करे। जो स्वास्थ्य संरचना है, उसमें ही बेड बढ़ाए जाएंगे ताकि कोविड मरीजों को इलाज में सुविधा न हो। मुख्यमंत्रीजी! आसपास के लोग भी खटिया-चौकी लगाकर अस्थायी बेड पैदा कर सकते हैं, लेकिन यह किस काम के अगर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं होंगे, रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं होंगे और इलाज की बाकी सुविधाएं नहीं होंगी? अब भी एक बेड पर तीन मरीजों को बिठाने की तस्वीर के साथ इलाज तो चल ही रहा है!

दूसरे ट्वीट में ही योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि कोरोना से दस कदम आगे की सोच रखेंगे तभी उसको नियंत्रित करने में सफलता मिलेगी। बहुत खूब! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसने ऐसा करने से रोक रखा था? क्यों उत्तर प्रदेश के हालात लगातार ख़राब होते चले गये? सच यह है कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार के साथ अगर यूपी चला होता तो आगे यूपी होता, कोरोना नहीं। चुनावी रैली से फुर्सत तो निकाल ही नहीं सके सीएम योगी आदित्यनाथ। आज भी मेडिकल सुविधाएं और आधारभूत संरचना को मजबूत करने की बात मुख्यमंत्री नहीं कर रहे। कहां है आगे चलने की सोच?

अब तक ऑक्सीन की जरूरत का आकलन भी नहीं?
योगी आदित्यनाथ का तीसरा और सबसे ताजा ट्वीट तो और भी चिंताजनक है। इसमें मुख्यमंत्री ने अगले 15 दिनों में ऑक्सीजन की जरूरत का आकलन कर भारत सरकार को मांग प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं। इसका मतलब यह है कि अब तक यूपी सरकार ने आकलन भी नहीं किया है कि कितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता है। ऐसे में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह साफ समझ में आती है।

ऑक्सीजन की कमी होगी तो उसकी कालाबाजारी भी होगी। जान बचाने के लिए परिजन कुछ भी करेंगे और ‘आपदा में अवसर’ देखने वाले मजबूर परिजनों से कुछ भी मांगेंगे। एक साथ पूरे सूबे में कालाबाजारी बढ़ गयी है तो उसमें जनता को दोष देकर बचा नहीं जा सकता। किल्लत से ही पैदा होता है कालाबाजार चाहे वह कृत्रिम हो या स्वाभाविक। दोनों स्थितियों में जिम्मेदारी सरकार की होती है। मुख्यमंत्री ने ताजा ट्वीट में कहा है कि ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकना वे सुनिश्चित करने वाले हैं।

क्यों हुए पाकिस्तान से बदतर हालात?
कभी कोविड संक्रमण के मामले में पाकिस्तान से बेहतर होने का दावा करता था उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश ही क्यों पाकिस्तान के पत्रकार भी इमरान ख़ान को योगी सरकार का उदाहरण दिया करते थे। मगर, आज यूपी में हालात पाकिस्तान से भी बदतर हो चुके हैं तो क्यों? पाकिस्तान में 80 हजार एक्टिव केस हैं तो उत्तर प्रदेश में उसके दुगुने से भी ज्यादा 1.7 लाख एक्टिव केस हैं। मौत के मामले में भी पाकिस्तान के 16 हजार के आंकड़े की ओर तेजी से बढ़ रहा है उत्तर प्रदेश, जहां यह तादाद 10 हजार के करीब पहुंच चुकी है। देश में कुल एक्टिव केस का 10 फीसदी उत्तर प्रदेश में है। यूपी में एक्टिव केस रेशियो महाराष्ट्र से भी बदतर हो चुका है। योगी आदित्यनाथ ने बिल्कुल सही कहा है कि स्थिति तभी नियंत्रण में आ सकती है जब कोरोना से दस कदम आगे की सोच रखी जाएगी। मगर, यह जिम्मेदारी तो योगीजी खुद आपकी ही थी।

(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

प्रेम कुमार
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