पीएम के संसदीय क्षेत्र में महिलाएं उतरीं सड़क पर, कहा- नहीं पहुंचा किसी भी सरकारी योजना का लाभ

वाराणसी। शास्त्री घाट कचहरी पर गरीब बस्तियों की कामगार महिलाओं ने प्रधानमंत्री से अपने मन की बात कहने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की ओर से किया गया था। महिलाओं के मन की बात कार्यक्रम में मुख्यतः छोटा सीर बस्ती, नासिरपुर की बैजनाथ कालोनी, गणेशपुर कंदवा की गरीब महिलाएं और बुनकर महिलाओं ने हिस्सा लिया। 

‘मन की बात’ नाम से आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मार्क्सवादी लेखक एवं नारीवादी चिंतक और यूनियन लीडर वी. के. सिंह ने की। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि वाराणसी में महिलाओं को किसी भी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। खासकर ऐपवा ने तीन बस्तियों का अध्ययन किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार से सम्बंधित लाखों करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाओं का लाभ जब जमीन पर महिलाओं को नहीं मिल रहा है तो इसका पैसा कहां जा रहा है?

कुसुम वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री यदि सचमुच महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं तो इस सवाल पर उन्हें जरूर जांच बैठानी चाहिए और तत्काल योजनाओं के क्रियान्वयन के आदेश जारी करने चाहिये। कुसुम वर्मा ने कहा कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं की निगरानी में वाराणसी में एक जांच टीम का गठन करें ताकि योजनाओं का लाभ हर गरीब महिला तक पहुंच सके। 

ऐपवा जिला उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने मन की बात तो अक्सर कहते हैं लेकिन अब उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र की महिलाओं के मन की बात सुननी चाहिए और उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। वरना महिलाएं अपने हक और अधिकार के लिए सड़कों पर संघर्ष करेंगी।

छोटा सीर बस्ती की धनशीला और विमला ने कहा कि उनका इलाका तो नगर महापालिका में आ गया है लेकिन नगर निगम की तरफ से नाली, और जल जमाव को रोकने के कोई उपाय नहीं किये गए हैं। इस बस्ती की 29 वर्षीय नगीना ने  कहा कि 15 अगस्त को मोदी जी नारी सम्मान की बात कर रहे हैं और सिर्फ़ कागजी योजनाएं ही बना रहे हैं इसलिए महिलाओं को सिर्फ मोदी राज में कागजी सम्मान मिल रहा है।

सुसवाही के बैजनाथ कालोनी की राधिका और सीता ने कहा कि हमारे यहाँ पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है और पर्याप्त हैंडपम्प तक नहीं लगे हैं। 

गणेशपुर, कंदवा की बस्ती में महिलाओं को आज भी कुंए से पानी भर कर लाना पड़ता है। एक हैंडपम्प भी उनकी बस्ती में नहीं है। इसी बस्ती की सरिता और रेशमा का कहना था कि उनकी बस्ती में आयुष्मान कार्ड किसी के पास नहीं है। राशन कार्ड भी मुहैया नहीं कराए गए हैं। न ही किसी सरकारी योजना का कोई लाभ हम महिलाओं को मिल रहा है। विधवा वृद्धा पेंशन, न विकलांग सहायता राशि उपलब्ध हो पा रही है।

‘मन की बात’ कार्यक्रम में बुनकर महिलाओं को सम्बोधित करते हुए डॉ मुनीज़ा रफीक खान ने कहा कि बुनकरी कारोबार आर्थिक मंदी का शिकार हो चुका है । बाजार में साड़ी व्यवसाय का बाजार मंदा हो चला है। बुनकरी की अधिकांश योजनाएं कागजों में ही क़ैद हैं।

ऐपवा वाराणसी जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि बढ़ती महंगाई और घटते रोजगार से गरीब परिवारों खासतौर पर महिलाओं की हालत बहुत खराब है। सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में कारगर कदम उठाए। स्मिता बागड़े ने कहा कि सरकार को चाहिए कि हर बस्ती में घरेलू उद्योग का कारखाना खोले जहां महिलाएं सम्मानजनक ढंग से आत्मनिर्भर बनकर सम्मानजनक जिंदगी जी सकें।

ट्रेड यूनियन लीडर वीके सिंह ने कहा कि कामगार महिलाओं को अपने शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ संगठित होना होगा और अपनी यूनियन बनाने की ओर बढ़ना होगा।

इतिहासकार डॉ आरिफ़ ने महिलाओं के संघर्ष को अपना समर्थन दिया और कहा कि आज के दौर में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना साहस का काम है और इसी साहस के साथ ही हम चुनौतीपूर्ण ढंग से ही महिलाएं जीत हासिल कर सकती हैं।

कार्यक्रम को सरैंया से बुनकर कैसर जहां, बिलकिस, जुबैदा, राशिदा के अतिरिक्त इतिहासकार महेश विक्रम सिंह , ग्राम्या संस्था से बिंदु एवं सुरेंद्र, पत्रकार शिव, अधिवक्ता प्रेम प्रकाश, विभा वाही , खेमस एवं किसान सभा से अमरनाथ राजभर, आरवाईए से कमलेश यादव, आलम, फिल्मेकर प्रो निहार भट्टाचार्य, आइसा बीएचयू की छात्रा चंदा यादव आदि लोगों ने भी अपना वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में जनगीत की बेहतर प्रस्तुति यौधेश बेमिसाल ने दी।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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