योगी जी! अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ने की भी होती है सीमा

भूमाफिया द्वारा जमीन कब्जा करने के उद्देश्य से किये गए सोनभद्र के घोरावल नरसंहार के बाद सियासत गर्म हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए कहा कि इसकी नींव 1955 के कांग्रेस शासन काल में ही पड़ गयी थी।

मुख्यमंत्री ने लापरवाही बरतने और घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए घोरावल एसडीएम, सीओ और इंस्पेक्टर समेत कई लोगों को निलंबित कर दिया। मगर जिलाधिकारी सोनभद्र और कप्तान अभी भी यथावत बने हुए हैं। जबकि इनकी लापरवाही भी निलंबित किये गए लोगों से कम नहीं मानी जा सकती।

वहीं नरसंहार पीड़ितों से मिलने घोरावल जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को जब पुलिस ने वाराणसी-मिर्जापुर मार्ग पर स्थित नरायनपुर में रोक लिया तो प्रियंका स्थानीय कांग्रेसियों के साथ वहीं धरने पर बैठ गयीं। बाद में उन्हें चुनार गेस्ट हाउस ले जाया गया। जहां प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही। सरकार पीड़ितों से मिलने के अपराध में मुझे जेल में डालना चाहे तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं। हालांकि बाद में सरकार को प्रियंका की मांग के सामने झुकना पड़ा।

 देखा जाए तो घोरावल घटना के बाद से ही कांग्रेस आंदोलित है और यूपी सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरे हुए है।  मगर आश्चर्यजनक बात यह है कि प्रदेश में इतनी बड़ी घटना घट जाने के बाद भी सपा-बसपा प्रमुख औपचारिक निंदा के बाद चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि सपा यूपी विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल है।

वहीं दलितों की नेता कही जाने वाली बसपा प्रमुख को भी पीड़ित बनवासियों की सुध नहीं है। शायद वो भाई के बेनामी सम्पत्ति के सीज होने के बाद सरकार के प्रति न्यूट्रल मोड में हैं।

खैर आते हैं मुख्यमंत्री की बात पर,योगी आदित्यनाथ की बात को सही मान लेते हैं कि कांग्रेस के शासन में इसकी नींव पड़ गयी थी, यूपी की सियासत से कांग्रेस शासन का लोप हुए दशकों हो गए। उसके बाद केंद्र और प्रदेश में कई बार बीजेपी की सरकार आई गयी तो बड़ा सवाल यह है कि इन बीजेपी सरकारों के दौरान विवाद को खत्म करने की कोशिश क्यों नहीं की गयी? सात दशक से उक्त जमीनों पर काबिज़ वनवासियों को पट्टा क्यों नहीं किया गया? अगर बीजेपी जानती थी कि इस घटना की नींव 1955 में कांग्रेस सरकार में पड़ गयी थी तो बीजेपी अब तक चुप क्यों रही?

योगी जी, जनता सरकार इसलिए बदलती है क्योंकि वह उस सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली से असंतुष्ट रहती है। वरना आज भी बीजेपी की जगह कांग्रेस ही सत्ता में होती।

और यह सामान्य नियम है कि जिसका राज उसी की जिम्मेदारी, सरकार जब लापरवाह और कानून-व्यवस्था में सुधार न करने वाले अधिकारियों को हटाकर दूसरे अधिकारी को पोस्ट करती है तो वह किसी अनियंत्रित स्थिति में सुधार की कोशिश करता है। न कि पूर्व पदस्थ अधिकारी पर नाकामी का ठीकरा फोड़ता है, क्योंकि उस वक्त सब कुछ उसी के हाथ में होता है। इसलिए सुधार या बिगाड़ का जिम्मा उसी का होता है। जिन्हें आप ने निलंबित किया है वह भी अपने पूर्व अधिकारीयों पर इस घटना का ठीकरा फोड़ दें और खुद को पाक साफ बताएं तो क्या शासन इसे स्वीकार करेगा? नहीं न।

इसलिए बेहतर होगा कि आप कांग्रेस पर दोषारोपण की बजाय दोषियों पर कठोर कार्रवाई, पीड़ितों को मुआवजा और लम्बे अरसे से जमीनों पर काबिज़ भूमिहीन वनवासियों को पट्टा दें। आपको अब नेहरू जी रोकने नहीं आएंगे।

(अमित मौर्या वाराणसी से निकलेन वाले गूंज उठी रणभेरी के संपादक हैं।)

Janchowk
Published by
Janchowk