गाजा को लेकर बढ़ा आक्रोश, दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में हुए प्रदर्शन

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अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन की लहर तेज होती जा रही है। यहां के कई विश्वविद्यालय परिसरों में विद्यार्थियों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। फिलिस्तीन समर्थकों के प्रदर्शनों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कार्रवाई भी की गई। भाषणबाजी और प्रदर्शन पर काबू करने के लिए पुलिस तैनात की गई और टकराव हुए। कई स्थानों पर विद्यार्थियों को गिरफ्तार भी किया गया। प्रदर्शनकारियों को कैंपस से हटाने के लिए टेक्सास से कैलिफोर्निया तक के विश्वविद्यालय हरकत में आ गए। कुछ विश्वविद्यालयों में सुलगी प्रदर्शन की यह आग अन्य देशों में भी फैल गई। अमेरिका के शहरों के बाद बाहरी देशों के शहरों जैसे काहिरा, पेरिस और सिडनी में फिलिस्तीनियों के समर्थन और युद्ध के विरोध में आवाजें उठने लगी है।

पीटर्सबर्ग और सेंट ऐंटोनियो जैसे स्थानों पर नए विरोध उभरने लगे। इन सभी शहरों में विद्यार्थियों ने कोलंबिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए फिलिस्तीन के पक्ष में विरोध प्रदर्शन किया। विद्यार्थी मांग कर रहे हैं कि इजरायली सैन्य अभियान से जुड़ी कंपनियों से उनके विश्वविद्यालयों का विनिवेश बंद किया जाए। इसके अलावा सभी तरह के निवेशों का खुलासा किया जाए और विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी जाए।

कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों ने 80 टेंट लगाए थे। इन्हें हटाने के लिए वहां के अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले नेताओं से बातचीत का प्रयास किया। इस दौरान प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने न्यूयॉर्क में कोलंबिया कैंपस का दौरा किया। उन्होंने स्कूल की अध्यक्ष नेमत शफीक के बारे में कहा कि वे एक अयोग्य नेता हैं जो यहूदी विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही हैं। स्थिति संभालने में विफलता के चलते उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

स्पीकर ने कहा कि यदि हालात काबू में नहीं आ रहे हैं तो नेशनल गार्ड बुलाए जाएं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर विश्वविद्यालय इस तरह के प्रदर्शनों पर काबू नहीं पा सकते तो कांग्रेस को फेडरल फंडिंग रद्द करने पर विचार करना चाहिए। रिपब्लिकन सांसदों ने विश्वविद्यालय प्रबंधन पर कई महीनों से कॉलेज परिसर में यहूदी छात्रों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है।

कुछ कैपसों में इस तरह के विरोध और समर्थन की शुरुआत पिछले साल युद्ध के साथ ही शुरू हो गई थी। कैंपस में हुए कुछ प्रदर्शनों में नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए और गाजा स्थित सशस्त्र समूह हमास को समर्थन दिया गया। हमास ने सात अक्टूबर को इजरायल पर घातक हमलों का नेतृत्व किया था जिसके बाद युद्ध छिड़ गया। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय डेटा के अनुसार गाजा में 34,000 से अधिक लोग मारे गए। इन प्रदर्शनों में सबसे बड़ा प्रदर्शन बुधवार को टेक्सास में हुआ। यहां की प्रतिष्ठित पब्लिक यूनीवर्सिटी ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस तैनात करना पड़ा।

रास्ता रोकने के लिए घोड़ों पर सवार पुलिस पहुंची। इस कार्रवाई में 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गवर्नर ग्रेग एबॉट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के तितर-बितर होने तक वहां गिरफ्तारियां जारी रहेंगी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि प्रदर्शनकारियों की जगह जेल है। उन्होंने यह भी लिखा कि टेक्सास के किसी भी पब्लिक कॉलेज या विश्वविद्यालय में नफरत भरे यहूदी विरोधी विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने वाले छात्रों को निष्कासित किया जाना चाहिए।

टेक्सास विश्वविद्यालय के डलास परिसर में छात्रों के एक बड़े समूह ने धरना दिया। इन छात्रों ने विनिवेश की मांग को लेकर विश्वविद्यालय अध्यक्ष के कार्यालय के पास कुछ घंटों तक प्रदर्शन किया। इसके बाद राष्ट्रपति के मिलने की बात माने जाने पर वे वहां से चले गए।

लॉस एंजिल्स में यूनीवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया में लंच के समय से ठीक पहले पुलिस पहुंची और कैंपस में प्रदर्शन कर रहे लगभग सौ फिलिस्तीनी समर्थकों को हटाने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को पकड़ा लेकिन कुछ समय बाद ही उसे छोड़ दिया गया। विश्वविद्यालय से पब्लिक पॉलिसी में स्नातकोत्तर की छात्रा 26 वर्षीय क्लाउडिया गैलियानी ने कहा कि कोलंबिया और स्टेट के अन्य विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों के साथ एकजुटता दिखाने वाले विद्यार्थियों के साथ क्रूरता हो रही है। फिलस्तीन का समर्थन कर रहे छात्रों पर यहूदी विरोधी भावना का आरोप लगाया गया।

यूएससी के कई छात्र मुस्लिम वेलेडिक्टोरियन आसना तबस्सुम के प्रारंभिक भाषण को रद्द करने से नाराज थे। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी पोस्टों में फिलिस्तीनी समर्थन की शिकायत की थी जिसके बाद यह भाषण रद्द किया गया था। विरोध में शामिल कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की डॉक्टरेट की छात्रा मागा मिरांडा ने कहा कि उन्हें लगता कि विश्वविद्यालय नहीं चाहते कि पूर्वी तट पर जो हो रहा है वह पश्चिमी तट तक फैल जाए।

बाद में यूनीवर्सिटी कैंपस से प्रदर्शनकारी विद्यार्थी चले गए लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग के अधिकारियों ने भीड़ को तितर-बितर होने का आदेश दिया और उन्हें गिरफ्तारी और स्कूल से निष्कासन की धमकी दी। अधिकतर प्रदर्शनकारी पुलिस के घेरे से बाहर चले गए लेकिन दो दर्जन से अधिक हाथ में फ़िलिस्तीनी झंडे लेकर डंटे रहे। सार्जेंट के अनुसार बाद में 25 से 30 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

उधर रोड आइलैंड स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी में कई छात्रों ने कैंपस के मेन ग्रीन में टेंट लगा दिए। इन लोगों ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की चेतावनी या पॉलिसी का उल्लंघन की उन्हें कोई परवाह नहीं है। उन्हें चिंता है तो गाजा के बच्चों और स्टूडेंट्स की।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इस तरह की किसी भी गतिविधि या प्रदर्शन को रोकने के लिए पहले ही सेंट्रल हॉल हार्वर्ड यार्ड को बंद कर दिया था। बावजूद इसके फ़िलिस्तीनी समर्थकों ने कैंपस में पहुंचकर टेंट लगा दिए। कैलिफोर्निया के अर्काटा स्थित कैल पॉली हम्बोल्ट में वीकएंड पर कैंपस बंद किया गया। यहां की दो इमारतों पर प्रदर्शनकारी पहले ही कब्जा कर चुके थे और अन्य इमारतों में ऐसा न हो इसके लिए वीकएंड के लिए इसे बंद कर दिया गया था। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में दो छात्रों को परिसर में विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था।

ऑस्टिन का टेक्सास विश्वविद्यालय साउथ में रिपल्बिकन नेतृत्व वाले पहले प्रदर्शनों में एक था। यह विश्वविद्यालय यहां के गवर्नर मैंशन से कुछ ही दूरी पर स्थित है। अन्य रिपब्लिकन राजनीतिक नेताओं की तरह एबॉट भी इजरायल के समर्थन में मुखर रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने परिसर में किसी भी यहूदी विरोधी भावना से लड़ने की कसम खाई थी।

यूनीवर्सिटी के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन की अनुमति रद्द कर दी है और लोगों को चेतावनी दी है कि अगर इकट्ठा होने की कोशिश की तो परिणाम भुगतने होंगे। डीन के कार्यालय के दो प्रशासकों ने फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी कमेटी को एक पत्र में लिखा, ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय इस परिसर को कब्जे में लेने की अनुमति नहीं देगा।

राज्य पुलिस प्रवक्ता एरिका मिलर ने कहा कि किसी भी गैरकानूनी सभा को रोकने के लिए यूनिवर्सिटी की मांग और एबट के निर्देश पर बुधवार को परिसर में स्टेट पुलिस तैनात की गई थी। इस चेतावनी के बाद भी लोग नहीं माने तो इनके लिए भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाइनें बनाई गई। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज भी करना चाहा। ऐसे में भीड़ में चीख-पुकार मच गई। सैकड़ों छात्र और उनके समर्थक कैंपस के साउथ मॉल में एकत्र हुए थे। इन्होंने बड़े घेरे बनाए और एक आवाज में नारेबाजी करने लगे।

मिलर ने कहा कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश लोगों पर आपराधिक अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था। विश्वविद्यालय के स्टूडेंट वेलफेयर विभाग ने स्टेटमेंट जारी किया कि विश्वविद्यालय अन्य कैंपसेज की तरह किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। विद्यार्थी बिना किसी रुकावट के अपनी कक्षाएं और फाइनल एग्जाम्स दे सकें, इस दिशा में कार्रवाई करेगा।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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