Tag: आदिवासी

  • तपती-झुलसाती गर्मी में आदिवासियों का पैदल मार्च, सीआरपीएफ कैंप और सड़क चौड़ीकरण का विरोध

    तपती-झुलसाती गर्मी में आदिवासियों का पैदल मार्च, सीआरपीएफ कैंप और सड़क चौड़ीकरण का विरोध

    बस्तर। बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में पिछले लंबे समय से अलग-अलग जगहों में आदिवासी सीआरपीएफ कैंप और सड़क चौड़ीकरण के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान आदिवासी 12 और 13 मई को पैदल मार्च कर जिला कलेक्टर से मिलने पहुंचे। लगभग 200 दिनों से अबूझमाड़ तोयमेटा में हजारों ग्रामीण अपनी…

  • आदिवासी हिंदू क्यों नहीं हैं?

    आदिवासी हिंदू क्यों नहीं हैं?

    भारत में अनुसूचित आदिवासी समूहों की संख्या 700 से अधिक है। भारत में 1871 से लेकर 1941 तक हुई जनगणनाओं में आदिवासियों को अन्य धर्मों से अलग धर्म में गिना गया। जैसे 1871 में ऐबरजिनस (मूलनिवासी), 1881 और 1891 में ऐबरजिनल (आदिम जनजाति), 1901 और 1911 में एनिमिस्ट (जीववादी), 1921 में प्रिमिटिव (आदिम), 1931 व…

  • झारखंडः आदिवासी महिला के प्रसव में लापरवाही मामले में एनएचआरसी ने दुमका डीसी से मांगी रिपोर्ट

    झारखंडः आदिवासी महिला के प्रसव में लापरवाही मामले में एनएचआरसी ने दुमका डीसी से मांगी रिपोर्ट

    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2 मार्च, 2021 को झारखंड के दुमका जिला के डीसी (उपायुक्त) से प्रसव कराने दुमका सदर अस्पताल में आई आदिवासी महिला कालीदासी मरांडी को एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण दूसरे अस्पताल में रेफर करने के कारण अजन्मे शिशु की मौत के मामले में 4 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट…

  • चमोली आपदाः गरीब चुका रहा है अमीरों की खुशहाली की कीमत

    चमोली आपदाः गरीब चुका रहा है अमीरों की खुशहाली की कीमत

    7 जनवरी को अचानक ख़बर आती है कि एक ग्लेशियर के टूटने से उत्तराखंड के चमोली में भारी तबाही आई है और 250 से अधिक लोग लापता हैं। इसके ठीक अगले दिन यानी 8 फरवरी को ख़बर आती है कि केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अर्ध-न्यायिक निकायों,…

  • झारखंडः मनरेगा में श्रम बजट बनाने से कतरा रही है सरकार

    झारखंडः मनरेगा में श्रम बजट बनाने से कतरा रही है सरकार

    देश के 14.82 करोड़ परिवारों को 100 दिन रोजगार देने वाला पूरी दुनिया में चर्चित मनरेगा कानून को लागू हुए 15 वर्ष पूरे हो गए हैं। भारत की चौदहवीं लोकसभा द्वारा 2005 के मानसून सत्र में पारित कर इसकी औपचारिक शुरुआत 2 फ़रवरी 2006 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के पंदलापल्ली ग्राम पंचायत से…

  • बजटः बढ़ेगी आदिवासियों की बेदखली- किसान सभा

    बजटः बढ़ेगी आदिवासियों की बेदखली- किसान सभा

    रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र सरकार द्वारा पेश बजट को कृषि व्यापार करने वाली कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने वाला, किसान विरोधी, आदिवासी विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट करार दिया है। सभा ने कहा कि बजट प्रावधानों से देश में कृषि संकट बढ़ने के साथ ही किसानों और आदिवासियों की बेदखली भी बड़ी तेजी से बढ़ेगी।…

  • हेमंत सरकार में भी बेरोकटोक जारी है अवैध खनन, गांव वालों ने किया प्रदर्शन

    हेमंत सरकार में भी बेरोकटोक जारी है अवैध खनन, गांव वालों ने किया प्रदर्शन

    झारखंड में सरायकेला खरसावां के अंतर्गत राजनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर 18 जनवरी को ग्रामसभा के बगैर अनुमति से हो रहे अवैध पत्थर खनन के खिलाफ उपरशिला ग्रामसभा ने विरोध प्रदर्शन किया और अंचल अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उपयुक्त जमीन के साथ-साथ भारतीय संविधान में 5वीं अनुसूची पर निहित संवैधानिक प्रावधानों को सर्वोच्च न्यायलय…

  • झारखंडः हीरामन ने कोरवा भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए बना डाला शब्दकोश

    झारखंडः हीरामन ने कोरवा भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए बना डाला शब्दकोश

    झारखंड की राजधानी रांची से 207 किलोमीटर दूर है गढ़वा जिला मुख्यालय, जहां से करीब 22 किमी दूर है रंका प्रखंड मुख्यालय, रंका प्रखंड के जंगलों के बीच बसा है सिंजो गांव, जो प्रखंड मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर है, जहां की आबादी लगभग 1300 है। इस गांव में मुख्यतः दो जातियां निवास करती…

  • गोवाः संरक्षित भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस का लाठीचार्ज

    गोवाः संरक्षित भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस का लाठीचार्ज

    पिछले दो दिनों से आंदोलनरत गोवा के मेलाउली गांव के स्थानीय निवासियों पर गोवा पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां भांजी हैं। आदिवासी समुदाय के इन लोगों की ख़ता ये है कि ये लोग अपने जल, जंगल और ज़मीन को लेकर बहुत सचेत हैं और ये इसे सरकार और कॉरर्पोरेट के हवाले नहीं करना चाहते हैं। बता…

  • छत्तीसगढ़ः एक छोटी सी शुरुआत बन गया इमली आंदोलन

    छत्तीसगढ़ः एक छोटी सी शुरुआत बन गया इमली आंदोलन

    छत्तीसगढ़ राज्य के बेलियापाल नामक एक दूर के गांव में, सुहानी सुबह थी, लगभग चार बजे होंगे। लगभग 40 वर्ष की एक आदिवासी महिला शिव कुमारी, जंगल में जाने के लिए तैयार थीं। वह एक टोकरी लेकर घने जंगल के अंदर लगभग 5-6 किलोमीटर पैदल चलकर जाएंगी, जिससे वह गौण वन-उपजों (एमएफ़पी) को इकट्ठा करेंगी।…