Tag: ayodhya
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भगवान राम: दिव्य आत्मा से हिन्दू राष्ट्रवाद के नायक
इस साल 22 जनवरी को एक अत्यंत भव्य आयोजन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की। इस अवसर पर हुए भाषणों में हमें बताया गया कि भगवान राम भारत की आत्मा हैं और उन्होंने ही इस देश को एक किया था। इसके पहले कई मुस्लिम नेताओं ने मुसलमानों…
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अयोध्या और नीतीश कार्ड से पूरे नहीं हो पाएंगे भाजपा के मंसूबे, जनांदोलन बनेगा आम चुनाव
22 जनवरी के अयोध्या कार्यक्रम के बाद कैबिनेट की ओर से मोदी की प्रशस्ति में राजनाथ सिंह द्वारा पढ़े गए प्रस्ताव में कहा गया ” 15 अगस्त 1947 को भारत के शरीर को आज़ादी मिली, लेकिन इसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई। भारत की आत्मा को आज़ादी 22 जनवरी 2024 को मिली। इससे सबको…
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राम के बहाने हिंदुत्व की राज-प्रतिष्ठा
सारे अनुमानों, सम्भावनाओं और कुछ धर्मप्राण जनों की उम्मीदों पर लोटा भर ठण्डा पानी डालते हुए अंततः 22 जनवरी के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की जजमानी का भार खुद मोदी जी ने ही धारण करते हुए इस आयोजन को सचमुच में उस गत; चुनावी राजनीति की दुर्गत- में पहुंचा ही दिया जिसके लिए देश की जनता की…
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अयोध्या मेगा आयोजन के निहितार्थ: एक तीर, निशाने अनेक
अयोध्या में विराट भव्यता के वातावरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गर्भगृह में रामलला की मोहक मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा और नए युग के आरंभ की गर्जना को राष्ट्रीय घटना के साथ साथ वैश्विक प्रतिघटना के रूप में निरंतर प्रस्तुत किया जा रहा है। मीडिया के अनुसार रोज लाखों भक्त और पर्यटक इस नगरी में पहुंच…
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भारत में समानता का विचार मर चुका है, यहां धर्मनिरपेक्षता के लिए कोई जगह नहीं
नई दिल्ली। आज जैसे ही मैंने टीवी पर अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा देखी, मैं पुरानी यादों में खो गया। मुझे याद है कि जब मैं 6 दिसंबर 1992 को 450 साल पुरानी बाबरी मस्जिद को गिरा रहा था, तब मैं कनक भवन की छत पर खड़ा था और एक साथी पत्रकार ने…
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अतिरेकी विराटता का नहीं, समवायी लघुता के सम्मान का विवेक हैं राम
22 जनवरी 2024, हिंदु चित्त में चिर प्रतिष्ठित भगवान राम की अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा का दिन। ईश्वर के मनुष्य रूप में अवतरित होने की प्रतिष्ठा का दिन है। चित्त में चिर प्रतिष्ठित भगवान के मनभावन मानव चरित की आराधना करता है और स्वयं मनुष्य से ईश्वर बन जाना चाहता है। राम को जानना मनुष्य को…
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हर्ष मंदर का लेख: मंदिर, राम और अयोध्या
12 वीं सदी के कवि, दार्शनिक बसावा ने लिखा था: अमीर शिव के लिए बनाएंगे एक मंदिर। मैं, एक गरीब आदमी, क्या कर सकता हूँ? मेरे पैर खंभे हैं, शरीर एक मंदिर, सिर सोने का गुंबद… सदियों बाद, रबिन्द्रनाथ टैगोर ने एक और मंदिर के बारे में लिखा। एक राजा के बनाए मंदिर के बारे…
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‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के मुकाबले ‘लीला-पुरुष’ की प्राण-प्रतिष्ठा
विश्वास नहीं था भाई लोग ऐसा रंग जमा देंगे। रकम पानी की तरह बहा देंगे। पग-पग पर मोदी की छाप लगा देंगे। रामलला की उंगली उन्हें थमा देंगे। कल्पना ही की जा सकती है जब लल्ला (जायो जशोदा ने लल्ला मोहल्ला में हल्ला सो मच गयो री) की प्राण-प्रतिष्ठा होगी, तो कैसा रंग जमेगा! ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के मुकाबले ‘लीला-पुरुष’ का प्राण-प्रतिष्ठा…