Tag: manusmriti
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भारत में लोकतंत्र बचेगा या मनुस्मृति वाली शासन प्रणाली लागू होगी?
फ्रांस के राजा लुइस और रानी मैरी से लेकर हिटलर और मुसोलिनी तथा दुनिया भर के अन्य जन-विरोधी शासकों के अंत का इतिहास न तो कांग्रेसियों ने लिखा है और न ही किसी वामपंथी ने, जो देश के वर्तमान गर्वोन्मत्त और आत्ममुग्ध सत्ताधारियों को चीख-चीख कर चेतावनी दे रहा है। और, यह चित्र भी एक…
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हमें प्रगतिशील भारत चाहिए या अंधविश्वासी भारत ? एक निष्पृह व निर्भीक समीक्षा
आज वास्तव में इस देश में रहकर यह विश्वास करना कठिन होता जा रहा है कि हम भारत के लोग क्या वास्तव में इक्कीसवीं सदी के ज्ञान-विज्ञान के अंतरिक्ष युग में जी रहे हैं या हम आज से दस-बीस हजार साल पूर्व के बर्बर, आदिम प्रस्तर युग और कबीलाई समाज में जी रहे हैं ?…
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जयंती पर विशेष: अंबेडकर ने संविधान सभा में ही जाहिर कर दी थी मौजूदा खतरों की आशंका
संविधान सभा के लिए दो बार चुने गए थे बाबा साहब आजादी के लिए हुए समझौते और तिथि तय हो जाने के बीच ही संविधान सभा के लिए चुनाव हुए थे। जुलाई 1946 में करीब 10 लाख पर एक के हिसाब से एक सदस्य के साथ 292 चुने गए। इनके अलावा 93 प्रतिनिधि रियासतों के थे और 4 प्रतिनिधि दिल्ली, अजमेर-मेवाड़-कूर्ग और ब्रिटिश बलोचिस्तान से थे। बाबा…
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गोलवलीकरण से गोडसेकरण की ओर
पिछले सप्ताह भारत सरकार के संस्कृति मंत्री के गोलवलकर की महिमा का बखान करते हुए किये गए ट्वीट ने देश के राजनीतिक विमर्श को आधिकारिक रूप से एक नयी नीचाई तक पहुंचा दिया है। यह बखान इसलिए काबिले गौर है, क्योंकि यह मंत्री के पद पर बैठे किन्ही प्रह्लाद पटेल की निजी राय नहीं है…