Tag: manuvadi

  • ‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?

    ‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?

    बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में दलित समाज की वेदना और उत्पीड़न को दलित साहित्य के माध्यम से दुनिया के समक्ष लाने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पिछली सदी के सातवें दशक में ‘दलित साहित्य’ का हिंदी पट्टी में शुरुआती लेखन आरंभ हुआ था तथापि स्वामी अछूतानंद ‘हरिहर’ एवं कुछ गैर दलितों द्वारा भी दलित जीवन…

  • हाथरस कांडः ऐपवा का प्रदेश भर में प्रदर्शन, कहा- यूपी पुलिस पर हो लीगल एक्शन

    हाथरस कांडः ऐपवा का प्रदेश भर में प्रदर्शन, कहा- यूपी पुलिस पर हो लीगल एक्शन

    हाथरस की घटना को लेकर महिला संगठनों का गुस्सा और विरोध सड़कों पर अब भी जारी है। आज शुक्रवार को ऐपवा ने यूपी के तमाम जिलों में प्रदर्शन किया। संगठन ने महिलाओं के साथ बर्बर यौन हिंसा और हत्या की घटनाओं के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला और अपना मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राज्यपाल…

  • दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एग्जाम की घोषणा मनुवादी फरमान

    दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एग्जाम की घोषणा मनुवादी फरमान

    कोरोना की आड़ में दुनियाभर का सत्ता वर्ग कमज़ोर तबकों के बचे-खुचे अधिकार भी छीनने में जुटा हुआ है। भारत में भी साधारण ग़रीब तबकों को हाशिए पर धकेलने के इंतज़ाम साफ़ दिखाई दे रहे हैं। पहले ही अमीरों के लिए बहुत हद तक आरक्षित की जा चुकी शिक्षा व्यवस्था अब ऑनलाइन के नाम पर…