प्रतापगढ़ में पटेल किसानों पर दबंग ब्राह्मणों ने दिया था पुलिस संरक्षण में हमलों को अंजाम: माले जांच टीम

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने प्रतापगढ़ जिले में पिछड़े समुदाय के किसानों पर सामंती ताकतों द्वारा पुलिस के संरक्षण में किए गए हमले की निंदा की है। पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम ने आज घटनास्थल का दौरा किया। जिले की पट्टी तहसील के गोविंदपुर व परिषद गांवों में हुई इस घटना में रविवार को ब्राह्मण दबंगों ने पुलिस की मौजूदगी में पिछड़े वर्ग के पटेल किसानों पर हमला कर दिया था। बर्बर तरीके से अंजाम दी गयी इस घटना में दबंगों ने पटेलों के घरों में आग लगा दी थी। इस आग में दो भैंसें जल कर मर गईं। किसानों की तरफ से भी इस हमले का प्रतिवाद भी हुआ था। 

घटना के बाद पुलिस ने 11 नामजद व 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 11 किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। धर-पकड़ व दहशत से ज्यादातर किसान गांवों से पलायन कर चुके हैं। पुलिस-प्रशासन का जनविरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। वह हमलावरों को बचाने की कोशिश कर रहा है। और पूरे मामले में पीड़ितों को ही आरोपी बना दिया गया है।

राज्य सचिव ने कहा कि योगी शासन में सामंती तत्वों का मनोबल बढ़ गया है और लॉकडाउन के दौरान कमजोर वर्गों पर हमलों की घटनाओं में बाढ़ आ गयी है। गौर करने की बात यह है कि इस तरह की सारी घटनाओं में दबंग हमलावरों को पुलिस प्रशासन खुला संरक्षण हासिल है और कमजोर लोगों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने उक्त घटना की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच, दबंग हमलावरों व उनका पक्ष लेने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पीड़ित किसानों का उत्पीड़न फौरन रोकने की मांग की है।

मामले की पृष्ठभूमि की जहां तक बात है तो गांव के अमर तिवारी की भैंस ने पटेल किसान की खेती का नुकसान किया, जिसकी शिकायत किसान महिला ने तिवारी के घर पर की। इसे अपने सामंती रुआब को चुनौती समझ कर तिवारी ने महिला के घर पर चढ़कर उसके पति की बुरी तरह पिटाई कर दी। इस घटना का भी किसानों ने जोरदार प्रतिवाद किया। बाद में पुलिस के साथ मिलकर सामंतों ने किसानों के ऊपर हमला बोल दिया। अभी भी किसानों में रोष और भय व्याप्त है। माले जांच टीम में राज्य सचिव के साथ कर्मचंद वर्मा व अमर बहादुर पटेल शामिल थे।

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