आरटीआई को मारने का नया फंडा, गायब किए जा रहे हैं आवेदन और जवाब

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नई दिल्ली। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई सूचना का जवाब आवेदक को देने के साथ ही आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल पर भी अपडेट किया जाता है। जिससे किस मामले में कब क्या जानकारी दी गई है, उसे भविष्य में भी देखा जा सके। लेकिन मोदी सरकार में सूचना देने को कौन कहे पहले से उपलब्ध सूचनाओं को भी आरटीआई की वेबसाइट से गायब करवाया जा रहा है। कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने बुधवार को देखा कि उनके पिछले आवेदनों के रिकॉर्ड सैकड़ों की संख्या में आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल से गायब हो गए हैं, जो नागरिकों द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से मांगे गए थे।

द हिंदू में प्रकाशित खबर के मुताबिक दो आरटीआई कार्यकर्ताओं के आवेदनों के नमूने देखकर इस आरोप को सत्यापित किया गया। जिनमें से एक के पूरे खाते से 2022 से पहले की जानकारी हटा दी गई है।

केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार कानून-2005 में संशोधन करके इसके विस्तार को रोकने और कमजोर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा। लेकिन अब वह सैकड़ों आरटीआई आवेदन और केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरणों से उनके जवाब आरटीआईऑनलाइन वेबसाइट से गायब करा रहा है; साइट ने 2013 से 58.3 लाख आवेदन निस्तारित किए हैं। लेकिन अब उसे रिकॉर्ड से ही हटा देने का खेल चल रहा है।

केंद्र सरकार ने 2005 में भारी जनदबाव के बाद यह कानून बनाया था। नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार और सरकारी अधिकारियों के काम-काज के तरीकों को जानने और जनधन के खर्च पर निगाह रखने के लिए इस कानून की मांग की थी। सूचना का अधिकार अधिनियम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ाने, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। इस कानून के तहत अपने अधिकारों के प्रति सजग नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रख सकता है। यह कानून सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है। लेकिन वर्तमान सरकार अपने कारनामों को छिपाने के लिए इस कानून के अस्तित्व पर ही कुठाराघात कर रही है।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), जो पोर्टल का प्रबंधन करता है और सरकारी अधिकारियों को आरटीआई आवेदनों को कैसे संभालना चाहिए, इसके लिए प्रशिक्षण और मानकों को बताता है, ने लापता डेटा पर कोई जवाब नहीं दे रहा है।

मध्य प्रदेश के एक आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ ने कहा कि उनके खाते में कई सौ का अंतर था। द हिंदू द्वारा उपयोग किए गए दो खातों में भी कई वर्षों के आवेदन और उनकी प्रतिक्रियाएं गायब हैं।

आरटीआईऑनलाइन पोर्टल नागरिकों को आरटीआई आवेदन दाखिल करने के लिए कई डिजिटल भुगतान विकल्पों के माध्यम से 10 रुपये का भुगतान करने की अनुमति देता है। शुल्क भुगतान करने के साथ ही आप अपने प्रश्नों के आवेदन को सूचना आयुक्त कार्यालय भेज सकते हैं। सूचना आयुक्त का कार्यालय इसे संबंधित विभाग भेजकर जानकारी मंगाता है, और आवेदनकर्ता को उपलब्ध कराने के साथ ही आरटीआई के पोर्टल पर अपडेट कर देता है। पोर्टल का रखरखाव राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया जाता है।

पोर्टल से आरटीआई के रिकॉर्ड का गायब होना चौंकाने वाला है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल ने 2013 से, जब इसे लॉन्च किया गया था, 2022 तक 58.3 लाख से अधिक आवेदनों पर कार्रवाई की है। दायर किए गए आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, 2022 में 12.6 लाख से अधिक आवेदन दायर किए गए हैं।

सार्वजनिक जानकारी का गायब होना पिछले कुछ महीनों में आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल के बिगड़ते प्रदर्शन का एक और नमूना है। कई दिनों की कम से कम दो अवधियों के लिए, पोर्टल गति और प्रदर्शन में पिछड़ गया है, और उपयोगकर्ताओं द्वारा भुगतान किए जाने के कुछ दिनों बाद तक अधिकारियों के पास आवेदन दाखिल नहीं किए गए थे। यह साइट नागरिकों को सभी केंद्रीय मंत्रालयों, उनके विभागों, सहायक संस्थानों, नियामकों, भारत के विदेशी मिशनों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के पास आवेदन दाखिल करने की अनुमति देती है।

पिछले साल, केंद्र सरकार ने वेबसाइट पर “अत्यधिक भार” का हवाला देते हुए आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल पर खाता बनाने की सुविधा हटा दी थी। यदि मौजूदा खाताधारक अपने खाते बरकरार रखना चाहते हैं तो उन्हें छह महीने की अवधि में कम से कम एक आवेदन दाखिल करना होगा।

मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता गौड़ का कहना है कि पोर्टल में ‘पासवर्ड भूल गए’ विकल्प का भी अभाव है, जिसका अर्थ है कि जिन कुछ लोगों के पास अभी भी खाता है, वे अपने लॉग इन क्रेडेंशियल गलत होने पर पूरी तरह से एक्सेस खो देंगे। खाता होने से आवेदकों के व्यक्तिगत विवरण पहले से भरे जा सकते हैं, जिससे फाइलिंग प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक हो जाती है। इसके बिना, आवेदकों को अब हर बार आवेदन दाखिल करते समय अपना व्यक्तिगत विवरण भरना होगा।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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