NEET के परीक्षा परिणामों में धांधली पर देशभर में बवाल, SC में लगी कई याचिकाएं, मोदी की काशी में छात्रों का जबर्दस्त आंदोलन

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नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) का रिजल्ट आने के बाद इसके विरोध की आंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में भी पहुंच गई है। बनारस में NEET-UG परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा आसमान पर है और वो 8 जून 2024 से लगातार आंदोलन-प्रदर्शन कर रहे हैं। 10 जून (सोमवार) को सैकड़ों छात्रों का हुजूम बीएचयू के सिंह द्वार पर हाथ में बैनर-पोस्टर लेकर पहुंचा और वहां जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

इस बीच दिल्ली, लखनऊ, पटना और रांची में भी NEET के प्रतियोगियों ने जबर्दस्त प्रदर्शन कर गुस्से का इजहार किया। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स ने कई घंटे तक जमकर नारेबाजी की। इससे पहले शनिवार को भी बनारस में जबर्दस्त आंदोलन हुआ था। NEET को लेकर आंदोलन-प्रदर्शन का सिलसिला अभी थमा नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जबकि आंदोलनकारियों की डिमांड है कि कि NEET यूजी परीक्षा परिणाम को निरस्त किया जाए।

10 जून को सैकड़ों स्टूडेट्स का हुजूम ने सोमवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सिंह द्वार पर पहुंचा और विरोध प्रदर्शन किया। NEET-UG यानी कि नेशनल एलीजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएट में हुई गड़बड़ी को लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के गेट पर जोरदार विरोध हुआ। नारेबाजी हुई और दोषियों पर तत्काल एक्शन लेने की मांग की गई। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे। छात्र, शिक्षक और अभिभावक नए सिरे से NEET परीक्षा कराने की मांग उठा रहे हैं। NEET परीक्षा के विरोध की सबसे बड़ी वजह यह है कि टॉप रैंक पर आने वाले 67 स्टूडेंट्स में छह ऐसे हैं जिन्होंने हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी थी। इन सभी को रैंक-1 मिली है।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में लगातार आंदोलन-प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स का आरोप है कि NEET परीक्षा कराने वाली एजेंसी एनटीए ने बड़े पैमाने पर हेराफेरी कराई है। NEET-UG परीक्षा में धांधली की CBI जांच कराने की मांग उठाते हुए इस गड़बड़ी के लिए ब्यूरोक्रेसी को जिम्मेदार ठहराया है। NEET-UG प्रतियोगियों ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली इस परीक्षा में देश भर से लाखों अभ्यर्थी बैठे थे। नतीजा आया तो हरियाणा के कई अभ्यर्थियों को टॉपर बना दिया गया। पटना में सॉल्वर पकड़े गए, तो कहीं क्वेश्चन पेपर बांटने में भी गड़बड़ियां मिलीं, लेकिन आज तक अभियुक्त नहीं पकड़े नहीं गए। आंदोलनकारी स्टूडेंट्स का नेतृत्व गजेंद्र, विकास तिवारी, अश्वनी चौहान, मदन गोपाल, शधांशु राय कर रहे थे।

बनारस में क्यों बरपा हंगामा

बनारस के कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालक और स्टूडेंट्स ने NEET परीक्षा को लेकर कई गंभीर चिंताएं सामने रखी हैं। NEET परीक्षा के एक अभ्यर्थी कृतिक राज जनचौक से कहते हैं, “NEET यूजी परीक्षा-2024 में इस साल करीब 24 लाख स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया था, जिनमें करीब 13 लाख स्टूडेंट्स पास हुए। ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ 67 छात्रों को रैंक 1 हासिल हुई। वहीं, एक ही सेंटर से 8 छात्रों को 720 में से 720 नंबर हासिल हुए। अगर किसी स्टूडेंट ने सभी सवालों के सही जवाब दिए और एक भी ग़लत हो गया तो मार्किंग के नियम के मुताबिक उसे 715 अंक ही मिलेंगे। कुछ छात्रों को 720 नंबर की परीक्षा में 718 और 719 नंबर आए हैं, जो परीक्षा की स्कीम के लिहाज से गणितीय रूप से मुमकिन नहीं है। NEET का पेपर 720 नंबर का होता है। हर सवाल चार नंबर का होता और गलत उत्तर पर एक अंक की नेगेटिव मार्किंग होती है। अगर कोई परिक्षार्थी सभी सवाल सही करता है तो उसके पूरे 720 में से 720 नंबर आएंगे और अगर एक सवाल छोड़ देता है तो उसके 716 अंक आएंगे। पिछले तीन सालों में NEET परीक्षा का क्वॉलिफ़ाइंग स्कोर 130 था और अबकी यह बढ़कर 164 हो गया है।”

“अगर कोई स्टूडेंट्स एक सवाल गलत करता है तो उसके 715 अंक रह जाएंगे। ऐसे में 718 व 719 अंक हासिल कर पाना असंभव हैं। 720 के बाद किसी के 715 और 716 अंक ही आ सकते हैं। पिछली बार 610 नम्बर पर आल इंडिया रैंक 23,000 था और इस बार 650 पर 28,000 कैसे हो गया? पटना में पेपर लीक को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई। उसके बाद NEET के नतीजे कैसे घोषित कर दिए गए? साल 2022 में किसी भी छात्र ने पूरे नंबर हासिल नहीं किए थे। उस साल भी NEET का कुल पूर्णांक 720 था और परीक्षा में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स को 715 नंबर आए थे।”

कृतिक ने यह भी कहा, “NEET टॉपरों की मेरिट लिस्ट में आठ छात्रों के रोल नंबर एक ही सीरीज (62 से 69) में हैं, जो बड़े पैमाने पर गोलमाल की पुष्टि करते हैं। इनमें से छह छात्रों ने पहली रैंक हासिल की है। ये सभी स्टूडेंट्स हरियाणा के बहादुरगढ़ स्थित एक ही परीक्षा केंद्र के हैं। परीक्षा विशेषज्ञ भी NEET परीक्षा की पारदर्शिता पर संदेह जता रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि टॉप करने वाले आठ स्टूडेंट्स में से सात के सरनेम नहीं दिए गए हैं, जिससे गड़बड़ी की आशंका को बल मिलता है।”

मजाक बनी NEET परीक्षा

उल्लेखनीय है कि NEET परीक्षा के स्कोर के आधार पर ही देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। परीक्षा में अव्वल आने के लिए स्टूडेंट्स दिन-रात मेहनत करते हैं। भारत सरकार के मुताबिक, देश और विदेश में मेडिकल से जुड़े कोर्स की पढ़ाई के लिए NEET परीक्षा क्वालिफाई करना अनिवार्य है। भारत में 542 मेडिकल, 313 डेंटल, 914 आयुष और 47 बीवीएससी और एएच कॉलेजों में एडमिशन के लिए NEET-UG हर साल आयोजित की जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि टॉपर स्टूडेंट्स आमतौर पर दिल्ली के एम्स में दाखिला लेते हैं और यहां एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए सिर्फ पचास सीटें हैं। ऐसे में एम्स 67 स्टूडेंट्स का दाखिला किस मानक के आधार पर करेगा? ये वो टॉपर स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने हरियाणा के एक ही केंद्र पर परीक्षा दी थी। एनटीए ने सफाई देते हुए कहा है कि हरियाणा के परीक्षा केंद्र पर छात्रों का समय बर्बाद हुआ था, जिसके चलते उन्हें मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क्स दिए गए थे।

नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट NEET-यूजी छात्रों की वो प्रवेश परीक्षा है जिसे सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा की स्नातक की पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है। इससे पहले देश में ऑल इंडिया प्री मेडिकल एंट्रेस टेस्ट (एआईपीएमटी) होता था। एआईपीएमटी में कुछ समय से लगातार हो रही घपलेबाजी को देखते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की अपील पर साल 2013 में NEET आया। इसके स्वरूप में बदलाव करते हुए NEET की बुनियाद रखी गई। इसमें ये तय हुआ कि पूरे देश में एक ही मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा होगी।

मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के परिणामों में कथित गड़बड़ी और सीबीआई जांच की मांग के बीच, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने के डीजी सुबोध कुमार सिंह ने कहा, “यह मसला सिर्फ 1600 छात्रों का है, जबकि परीक्षा 23 लाख से ज्यादा छात्रों ने दी थी। स्टूडेंट्स को दिए गए ग्रेस अंकों से नतीजों में कोई फर्क नहीं पड़ा है। 4750 केंद्रों में से सिर्फ आधा दर्जन केंद्रों का मामला है। ग्रेस मार्क्स और समय के नुकसान से जुड़ी आपत्तियों की सुनवाई के लिए एक जांच समिति बनाई गई है। समिति की सिफारिशें एक सप्ताह में आ जाएंगी, जिसके आधार पर हम निर्णय लेंगे। समिति में यूपीएससी के पूर्व सदस्य और कई जाने-माने शिक्षाविदों को शामिल किया गया है।”

नियम बदले, बढ़ी परेशानी

NEET वह परीक्षा है जिसमें डॉक्टरी की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी शामिल होते हैं। इसके स्कोर के आधार पर उन्हें मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है। इस परीक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए उम्र की सीमा के साथ ही प्रयासों की संख्या तय कर दी गई है। नए नियमों के मुताबिक, अब केवल 17 से 25 साल तक के छात्र ही NEET परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए उम्र में पांच साल की छूट दी गई है। 180 सवालों की यह परीक्षा 720 अंकों की होती है और इसमें निगेटिव मार्किंग भी की जाती है।

चार जून, 2024 को NEET परीक्षा के नतीजे सामने आने के बाद छात्रों ने आरोप लगाना शुरू किया कि यह परीक्षा ठीक तरीके से आयोजित नहीं की गई। कुछ छात्रों को ऐसे अंक मिले हैं जो परीक्षा की मार्किंग स्कीम के लिहाज से गणितीय दृष्टि से मुमकिन नहीं हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस केस की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया है। जांच अभी पूरी भी नहीं हो पाई और आनन-फानन में नतीजा घोषित कर दिया गया।

साल 2024 में NEET परीक्षा 05 मई 2024 को आयोजित की गई थी, जिसमें शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने पंजीकरण कराया था। नतीजे 14 जून को घोषित किए जाने थे, लेकिन चार जून को घोषित कर दिए गए। विशेषज्ञों के मुताबिक, गोलमाल के अंदेशे का संकेत इसी बात से मिल गया था। इस परीक्षा में किसी प्रश्न के सही उत्तर पर चार अंक निर्धारित थे और ग़लत जवाब होने की सूरत में एक अंक काटे जाने का नियम बनाया गया था।

एनटीए ने क्या दी सफाई

NEET का आयोजन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने परीक्षा में किसी तरह की धांधली या प्रश्न पत्र लीक होने से संबंधित आरोपों से इनकार किया है। एजेंसी के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने कहा है कि शीघ्र नतीजा घोषित करना एक तय प्रक्रिया है। इसी के अनुरूप तीस दिनों के अंदर नतीजे घोषित किए गए। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अपने स्पष्टीकरण में यह भी कहा है कि सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों को अतिरिक्त अंक दिए गए हैं जिन्हें प्रश्न पत्र समय पर नहीं मिला था। हालांकि, इस बार की NEET परीक्षा में शामिल होने वाले कई विद्यार्थी परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। देश की कई अदालतों में इसे लेकर मुकदमे भी दायर किए गए हैं।

सुबोध के मुताबिक, “परीक्षाफल प्रकाशित करने में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। 1563 अभ्यर्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं क्योंकि उन्हें परीक्षा के लिए कम समय मिला था। कुछ स्टूडेंट्स ने कोर्ट में याचिका डालकर कहा था कि परीक्षा केंद्र पर समय से परीक्षा शुरू नहीं हो सकी थी। सीसीटीवी फ़ुटेज देखने के बाद परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। इसके लिए वही फॉर्मूला अपनाया गया जो सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के लिए सुझाया था। NEET परीक्षा की शुचिता से समझौता नहीं किया गया है। शिकायतों की जांच कराई जा रही है।” इस बीच राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,500 से अधिक अभ्यर्थियों के परिणामों की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है।

काउंसिलिंग रोकने से कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यह याचिका स्‍टूडेंट शिवांगी मिश्रा और नौ अन्य स्टूडेंट्स ने रिजल्ट निकलने से पहले एक जून को दायर की थी। इसमें बिहार और राजस्‍थान के एग्‍जाम सेंटर्स पर गलत क्‍वेश्‍चन पेपर्स बंटने के चलते हुई गड़बड़ी की शिकायत की गई थी और परीक्षा रद्द कर SIT जांच की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने परीक्षा कराने वाली संस्था नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA से कहा- NEET UG की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। हमें इसका जवाब चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की वेकेशन बेंच ने मामले की सुनवाई की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।

भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट में 10 जून को भी NEET रिजल्‍ट पर रोक लगाने की याचिका दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने NEET UG एग्जाम 2024 में ग्रेस मार्क्स देने में मनमानी का आरोप लगाया है। एक एग्जाम सेंटर के 67 स्टूडेंट्स को पूरे 720 अंक मिले हैं, इस पर भी याचिकाकर्ताओं ने संदेह जताया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर नई याचिका में 5 मई को आयोजित NEET UG एग्जाम का पेपर लीक होने की व्यापक शिकायतों का भी हवाला दिया गया है। याचिका में कहा गया था कि रिजल्‍ट में ग्रेस मार्क्‍स देना NTA का मनमाना फैसला है। स्‍टूडेंट्स को 718 या 719 मार्क्स देने का कोई मैथमेटिकल आधार नहीं है। ये याचिका स्टूडेंट वेलफेयर के लिए काम करने वाले अब्दुल्लाह मोहम्मद फैज और डॉक्टर शेख रोशन ने दायर की थी। ये दोनों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में स्टूडेंट्स वेलफेयर के लिए काम करते हैं।”

“देश भर में NEET-UG 2024 को लेकर अलग-अलग राज्यों में लगभग 20 हजार स्टूडेंट्स ने याचिकाएं दायर की थीं, जिसमें परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। ग्रेस मार्क्स के खिलाफ दायर की गई याचिका में कहा गया है कि NTA ने अब तक ये नहीं बताया कि उन्होंने स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देने के लिए क्या तरीका अपनाया है। वहीं, एग्जाम के पहले NTA की तरफ से जारी की गई इन्फॉर्मेशन बुलेटिन में भी ग्रेस मार्क्स देने के प्रावधान का जिक्र नहीं किया गया था। ऐसे में कुछ कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स देना सही नहीं है।”

भास्कर लिखता है, “मेडिकल एंट्रेस के लिए 2015 में AIPMT परीक्षा पेपर लीक के कारण रद्द हुई थी। CBSE ने कोर्ट में कहा था कि 44 छात्र ही लीक में लिप्त थे, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और फिर परीक्षा हुई थी। एग्जाम में गड़बड़ी की नई शिकायतें भी सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने अंजली नाम की एक स्टूडेंट की NEET UG और 12वीं बोर्ड एग्जाम की मार्कशीट शेयर की है। इसके मुताबिक 12वीं में फेल हुई स्टूडेंट को NEET में 705 मार्क्स मिले हैं। भोपाल की एक स्टूडेंट का कहना है कि उसके स्कोरकार्ड में 340 नंबर हैं, जबकि आंसर के मिलाने पर उसे 617 नंबर मिलने चाहिए। इसी तरह लखनऊ की आयुषी पटेल का आरोप है की उसकी OMR शीट जानबूझकर फाड़ी गई।”

‘NEET परीक्षा रद्द करो’ का हैशटैग ट्रेंड

NEET परीक्षा का रिजल्ट पहले 18 जून 2024 को आना था, लेकिन इसे 04 जून 2024 को ही जारी कर दिया गया। नतीजे सामने आने के बाद से काफी छात्र नाराज दिख रहे हैं। इसके साथ ही छात्रों का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर गुस्सा फूट रहा है। वे NEET रिजल्ट पर गुस्सा जता रहे हैं और अपने पोस्ट में एनटीए को टैग कर धांधली का आरोप लगा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि इस बार की NEET यूजी परीक्षा में कई गड़बडियां हुई हैं। वहीं मामले को लेकर एक्स पर ‘NEET परीक्षा रद्द करो’ के हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। NEET परीक्षा में टॉपर स्टूडेंट्स का रोल नंबर, नाम, अंक और रैंक का स्नैपशॉट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इन 8 में से 6 छात्रों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं, जबकि अन्य दो ने 719 और 718 अंक प्राप्त किए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ” X पर ही लखनऊ की आयुषी पटेल ने अपना वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में आयुषी ने बताया कि जब 4 जून को रिजल्ट आया, तब उनका रिजल्ट साइट पर जनरेट नहीं हुआ था। उन्हें लगा कि ये शायद सर्वर की कोई समस्या है, क्योंकि 23 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स इसका रिजल्ट चेक कर रहे होंगे। 24 घंटे के भीतर ही उन्हें NTA की तरफ से एक मेल आया। इस मेल में लिखा था – कैंडिडेट की OMR शीट डैमेज्ड है, इस वजह से आपका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है। उन्होंने उसी शाम यानी 24 घंटे के भीतर ही उसी मेल पर रिप्लाई किया और एक फैक्स मेल भी भेजा कि उन्हें उनकी डैमेज्ड OMR शीट भेज दी जाए। NTA ने उसी मेल पर OMR शीट की फोटो भेजी, जिसमें सारे आंसर साफ दिखाई दे रहे थे। छात्रा ने कहा OMR शीट पूरी तरह डैमेज्ड थी और इसका QR देखकर लग रहा था जैसे जानबूझकर फाड़ा गया हो।”

“एक यूजर प्रतीक आर्यन ने अपने ट्वीट में एक स्‍टूडेंट अंजली पटेल की बोर्ड मार्कशीट और NEET स्‍कोरकार्ड शेयर किए हैं। बोर्ड मार्कशीट में अंजली फिजिक्‍स और केमिस्‍ट्री में फेल हैं, जबकि NEET रिजल्‍ट में उन्हें 720 में से 705 मार्क्स मिले हैं। इससे ये सवाल उठता है कि अगर किसी के बोर्ड एग्जाम में नंबर कम हैं, तो वो कैंडिडेट NEET UG जैसे ऑल इंडिया लेवल पर होने वाले एंट्रेंस एग्जाम में इतने मार्क्स कैसे ला सकता है, जहां कॉम्पिटिशन किसी बोर्ड या स्कूल से नहीं बल्कि 23 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स से है।”

सवालों में घिरती जा रही मोदी सरकार

बनारस में NEET परीक्षा को लेकर शुरू हुए बवाल के चलते केंद्र सरकार सवालों में घिरती जा रही है। इस परीक्षा को लेकर इतने सवाल खड़े हुए हैं, जिसका जवाब किसी को नहीं मिल रहा है। इस सिलसिले में जनचौक ने बनारस में नीट परीक्षाओं की तैयारी करने वाली संस्था एल-1 कोचिंग के निदेशक नागेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि इसमें गड़बड़ियों का कोई ओर-छोर नहीं है। वह बताते हैं कि, ” NEET की परीक्षा में 180 अंक के होते हैं। एक प्रश्न चार अंक का होता है। कोई स्टूडेंट पूरा सवाल हर कर लेता है तो उसे पूर्णांक 720 अंक मिलते हैं। कुछ साल पीछे देखें तो किसी को इतना अंक कभी नहीं मिला। पिछले साल दो-तीन स्टूडेंट्स के 720 अंक आ गए। इस बार 67 स्टूडेंट के 720 अंक आ गए। इस बार हरियाणा के एक सेंटर के आठ स्टूडेंट्स ने कोई गलती नहीं की। एम्स दिल्ली में पचास सीटें हैं, ऐसे में सभी का दाखिला वहां कैसे होगा।”

“नीट परीक्षा में एक सवाल गलत करने पर पांच अंक कटता है। कुछ स्टूडेंट्स का नंबर 719 आए। बाद में एनटीए ने सफाई दी कि 1500 स्टूडेंट्स को हमने बोनस नंबर दिया। तेज स्टूडेंट्स को बोनस दिया। पूरा मामला उलट-पलट दिया। NEET का परिणाम 14 जून को आने वाला था। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के दिन चुपके से NEET का नतीजा घोषित कर दिया कि कोई हो हल्ला नहीं कर सकें। स्टूडेंट्स का करियर दांव पर लगा हुआ है। लगता है कि स्टूडेंट्स के साथ गेम खेला जा रहा है।”

एल-1 कोचिंग के डायरेक्टर नागेंद्र सिंह यह भी कहते हैं, “देश में जितनी भी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं उनमें रैंकर्स ही इम्तिहान देते हैं। यह बहुत बड़ा अपवाद है कि एक ही सेंटर पर इम्तिहान देने वाले 67 स्टूडेंट्स भला कैसे टॉप कर जाएंगे? जाहिर है कि ग्रेस मार्क्स देने में पारदर्शी तरीका नहीं अपनाया गया। पहले उत्तरों की कुंजी, नतीजे से पहले प्रकाशित की जाती थी। इस बार जब नतीजे घोषित किए गए और NEET की परीक्षा पर सवाल उठने लगे तो एनटीए ने एक ट्वीट के जरिये स्पष्ट किया कि ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। इस बार एक ही जैसे कट-ऑफ़ वाले छात्रों की तादाद में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है, जो किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है। हम चाहते हैं कि यह परीक्षा दोबारा आयोजित कराई जाए, क्योंकि यह निरा संयोग नहीं है कि आठ टॉपर स्टूडेंट्स एक ही सेंटर से आ जाएंगे। मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षा में ऐसा नतीजा आज तक कभी नहीं आया।”

इस बीच NEET एक्जाम में धांधली के मुद्दे को लेकर विपक्ष हमलावर बन गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने NEET परीक्षा को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने है कहा कि, ”नए कार्यकाल के लिए मोदी के शपथ लेने से पहले ही परीक्षा में कथित अनियमितताओं के कारण 24 लाख से अधिक छात्रों को नुकसान पहुंचा है। राहुल गांधी ने देश के छात्रों को आश्वासन दिया कि वह संसद में उनकी आवाज बनेंगे और उनके भविष्य से जुड़े मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाएंगे।

एक ही इंस्टीट्यूट के कई छात्र टॉपर बन गए हैं

विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों का कहना था कि हम किसी छात्र की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहे। सवाल है कि अचानक देश में इतने टॉपर कैसे बन गए? जो छात्र मेहनत कर 650 ला रहे हैं उनका भविष्य कहां जायेगा? क्या इस तरह की व्यवस्थाओं के लिए देश मोदी सरकार जिम्मेदार नहीं है? जो भारत को विश्वगुरु बनाने का डींग हांक रही है।

वहीं एनटीए किसी भी सवाल पर स्पष्ट जवाब देने से बच रहा है। मोदी राज के 10 सालों में देश की तमाम संस्थाएं क्या कोई भी निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से परीक्षा कराने में अक्षम नहीं है? लगातार हर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक, नीट का पेपर लीक अब परिणाम में धांधली सामने आती रही हैं। सरकार इसपर लगाम लगाने में बिल्कुल नाकामयाब रही है।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन मांग करती हैं कि एनटीए द्वारा नीट परीक्षा और नतीजों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के खिलाफ ‌तथा नीट के परिणामों की उच्च स्तरीय जांच हो, सभी परीक्षाओं को एनटीए को आउटसोर्स करना बंद हो। सीयूइटी यूजी, पीजी, नेट परीक्षा और अन्य सभी परीक्षाओं को एनटीए के माध्यम से आयोजित करना बंद हो, विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी जाए। नीट यूजी के लिए पुनः परीक्षा सुनिश्चित की जाए। एनटीए को कोचिंग माफियाओं के चंगुल से बाहर करवाया जाए। नीट के नतीजों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के खिलाफ निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच हो। सभी दोषियों व दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।

नीट परीक्षा परिणामों में धांधली के खिलाफ आइसा का रांची में विरोध प्रदर्शन

ऑल‌ इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा ) के सदस्यों द्वारा नीट परीक्षा में बड़े पैमाने पर हुई धांधली व परिणाम के अंकों और रैंकिंग में हेरफेर करने के खिलाफ गत 10 जून 2024 को झारखंड की राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया गया। बताते चलें कि नीट परीक्षा 5 मई 2024 को आयोजित की गई थी, जिसमें 23 लाख से ज्यादा विद्यार्थी शामिल हुए थे। परीक्षा का परिणाम 14 जून को आना था, लेकिन यह परिणाम 10 दिन पहले ही जल्दबाजी में 4 जून, 2024 को ही घोषित कर दिया गया।

मालूम हो कि पहले नीट परीक्षा का पेपर लीक की खबर और अब रिजल्ट में गड़बड़ी से देश के लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है देश के युवाओं को सरकार से इसका जवाब चाहिए। एक तरफ एनटीए पेपर लीक से साफ मना करता दिखाई दे रहा है, दूसरी तरफ बिहार में 13 लोगों को नीट पेपर लीक के मामले में गिरफ्तार किया है ये कैसे संभव है?

हर साल टॉप स्टूडेंट्स में केवल 2, 3 या कभी 4 ही टॉप स्टूडेंट्स आते थे लेकिन इस बार 67 छात्र 720 नंबर में से पूरे 720 नंबर ला कर टॉप लिस्ट में हैं इनको भी दिल्ली एम्स में दाखिला नहीं मिल सकता। एक और गलती यह है कि परीक्षा में प्रश्न और अंक पेटर्न के हिसाब से 717, 718 या 719 अंक संभव नहीं है, जो परीक्षा परिणाम सामने आने के बाद देखने को मिला। इस बार कटऑफ उतना ज्यादा है कि जो छात्र छात्राएं साल भर घंटों पढ़ाई करते रहे हैं हजारों लाखों फीस देते रहे हैं उनका भविष्य तो लटक गया, अंधेरे में उनके भविष्य का क्या होगा।

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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