Tag: mahabharat
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जन्मदिवस पर विशेष: हिंदुस्तानी रवायत के महान प्रतीक पुरुष राही मासूम रजा
डॉ. राही मासूम रजा (1 सितंबर 1927-15 मार्च 1992) फिरकापरस्ती, जातिवाद, सामंतशाही और वर्गीय विभाजन के खिलाफ निरंतर चली प्रतिबद्ध कलम के एक अति महत्वपूर्ण युग का नाम है। इसी कलम ने मुस्लिम अंतर्मन की गहरी तहें बेहद सूक्ष्मता से खोलता कालजयी उपन्यास ‘आधा गांव’ लिखा तो दूरदर्शन की दशा-दिशा में क्रांतिकारी बदलाव का सबब…
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COVID-19 के संक्रमण से पस्त हिंदू धर्म को अब ‘राम’ और ‘रामायण’ का सहारा
कोविद-19 महामारी फैलने के बाद मंदिरों के पट बंद हो गए। कोरोना संक्रमण के लाइलाज घोषित होने के बाद सारे आस्तिक धर्म कर्म को छोड़ खुद को सेफ रखने में जुट गए। हर तरफ मौत और दुनिया के ख़त्म हो जाने का भय। दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक दिन रात कोविड-19 और कोविड-19 संक्रमित…
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माहेश्वरी का मत: यह न महाभारत है, न ही कोई धर्मयुद्ध; तेज़ी से फैलने वाली एक वैश्विक महामारी है
नोटबंदी पर पचास दिन माँगने वाले प्रवंचक ने अब इक्कीस दिन में कोरोना के प्रभाव को ख़त्म करने की बात कही है । इनकी बात पर कभी कोई यक़ीन न करे, पर लॉक डाउन का यथासंभव सख़्ती से पालन जरूर करें । सोशल डिस्टेंसिंग छूत की ऐसी बीमारी से लड़ने के लिए सबसे ज़रूरी है।…
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राही मासूम रजा: हिंदुस्तानी रिवायत के महान प्रतीक पुरुष
डॉक्टर राही मासूम रजा (1 अगस्त 1927–15 मार्च 1992) फिरकापरस्ती, जातिवाद, सामंतशाही और वर्गीय विभाजन के खिलाफ निरंतर चली प्रतिबद्ध कलम के एक अति महत्वपूर्ण युग का नाम है। इसी कलम ने मुस्लिम अंतर्मन की गहरी तहें बेहद सूक्ष्मता से खोलता कालजयी उपन्यास ‘आधा गांव’ लिखा तो दूरदर्शन की दशा-दिशा में क्रांतिकारी बदलाव का सबब…
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प्राचीन भारत का नया भविष्य!
पिछले छह सालों में जबकि साबित किया जा चुका है कि आधुनिक पढ़ाई लिखाई और उच्च शिक्षा का तर्कशीलता, बुद्धि, विवेक और इंसानियत से कोई सीधा संबंध नहीं है तो हमें इस बात पर सहज गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इस पर ज़्यादा ख़र्च किया ही क्यों जाए? मुझे खुशी है कि पिछले छह-सात…