Tag: novel

  • ग्रामीण अर्थतंत्र के बीच किसानों की जिजीविषा को बड़े परिदृश्य पर रखता हरियश राय का उपन्‍यास माटी-राग

    ग्रामीण अर्थतंत्र के बीच किसानों की जिजीविषा को बड़े परिदृश्य पर रखता हरियश राय का उपन्‍यास माटी-राग

    वाणी प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित हरियश राय के नये उपन्‍यास माटी- राग का लोकार्पण विश्व पुस्‍तक मेले में किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हमारे समय की विशिष्‍ट लेखिका प्रज्ञा रोहिणी ने कहा कि हरियश राय के उपन्‍यास माटी- राग ने कथा साहित्‍य में किसानों को फिर से खड़ा किया है। माटी- राग कर्ज…

  • पुन्नी सिंह का साहित्य प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाता है- वीरेन्द्र यादव

    पुन्नी सिंह का साहित्य प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाता है- वीरेन्द्र यादव

    शिकोहाबाद। उत्तर प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की शिकोहाबाद इकाई ने वरिष्ठ कथाकार पुन्नी सिंह के नये उपन्यास ‘साज कलाई का, राग ज़िंदगी का’ के लोकार्पण और इस पर केन्द्रित एक परिचर्चा का आयोजन रखा। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता जाने-माने समालोचक वीरेन्द्र यादव थे, तो वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय जन नाट्य…

  • देवेंद्र सत्यार्थी: लोकगीतों में धड़कती  जिंदगी

    देवेंद्र सत्यार्थी: लोकगीतों में धड़कती जिंदगी

    देवेंद्र सत्यार्थी एक विलक्षण इंसान थे। पूरे हिंद उपमहाद्वीप में उनकी जैसी शख़्सियत शायद ही कोई हो। वे उर्दू-हिंदी-पंजाबी जुबान के अज़ीम अदीब थे। मगर इन सबसे अव्वल उनकी एक और शिनाख़्त थी, लोकगीत संकलनकर्ता की। अविभाजित भारत में उन्होंने पूरे देश में ही नहीं बल्कि भूटान, नेपाल और श्रीलंका तक घूम-घूमकर विभिन्न भाषाओं के…

  • अर्जुमंद आरा को अरुंधति रॉय के उपन्यास के उर्दू अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड

    अर्जुमंद आरा को अरुंधति रॉय के उपन्यास के उर्दू अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड

    साहित्य अकादेमी ने अनुवाद पुरस्कार 2021 का ऐलान कर दिया है। राजधानी दिल्ली के रवींद्र भवन में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में कार्यकारी मंडल की बैठक में इसके लिए 22 पुस्तकों को अनुमोदित किया गया। जिसमें मशहूर-ए-ज़माना मुसन्निफ़ अरुंधति रॉय के अंग्रेजी नॉवल ‘द मिनिस्ट्री ऑफ़ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ के शानदार…

  • यह देश पहले भी कुछ कम अंधेरों से नहीं गुजरा, लेकिन कभी हारा नहीं, आगे भी नहीं हारेगा: विजय बहादुर सिंह 

    यह देश पहले भी कुछ कम अंधेरों से नहीं गुजरा, लेकिन कभी हारा नहीं, आगे भी नहीं हारेगा: विजय बहादुर सिंह 

    देश के हिन्दी के जाने-माने आलोचकों में से एक विजय बहादुर सिंह को आमतौर पर उनकी देशज प्रतिमानों की सुगंध वाली आलोचना दृष्टि, भवानीप्रसाद मिश्र व दुष्यंत कुमार जैसे कवियों और आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी की रचनावलियों के श्रमसाध्य सम्पादन के लिए जाना जाता है। फिलहाल, वे अपनी ‘जातीय अस्मिता के प्रश्न और जयशंकर प्रसाद’…

  • एकाकीपन के सौ वर्षः गार्सीया मार्केस की महान् कृति

    एकाकीपन के सौ वर्षः गार्सीया मार्केस की महान् कृति

    कोलम्बिया के नोबेल विजेता उपन्यासकार-पत्रकार गाब्रिएल गार्सीया मार्केस का वन हंड्रेड इयर्स आॉफ सॉलिट्यूड एक विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास है, जो सिर्फ एक बेस्टसेलर ही नहीं रहा, दुनिया की अनेक भाषाओं में इसके अनुवाद भी हुए। पहली बार स्पेनिश में यह सन् 1967 में छपा। इसे मार्केस के जादुई यथार्थ की अनुपम कृति माना जाता है। एकाकीपन…

  • जन्मदिन पर विशेष: करिश्माई और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे कमलेश्वर

    जन्मदिन पर विशेष: करिश्माई और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे कमलेश्वर

    कमलेश्वर एक बहुआयामी प्रतिभा से संपन्न साहित्यकार थे। कमलेश्वर ने उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, पटकथा विधाओं में लेखन किया। वे हिन्दी के बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कमलेश्वर का नाम नई कहानी आंदोलन से जुड़े अगुआ कथाकारों में आता है। उनकी पहली कहानी 1948 में प्रकाशित हो चुकी…

  • जन्मदिवस पर विशेष: फ़ारूक़ी में हिंदुस्तानी तहज़ीब और अदबी रिवायत की थी गहरी समझ

    जन्मदिवस पर विशेष: फ़ारूक़ी में हिंदुस्तानी तहज़ीब और अदबी रिवायत की थी गहरी समझ

    समूचे दक्षिण एशिया की उर्दू-हिंदी अदबी दुनिया में शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का नाम किसी तआरुफ़ का मोहताज़ नहीं। उनका नाम बड़े ही इज़्ज़त-ओ-एहतराम के साथ लिया जाता है। आधुनिक उर्दू आलोचना में किया गया फ़ारूक़ी का काम संगे मील है। उर्दू में जदीदयत के अदबी रवैये को बढ़ावा देने में जिन शख़्सियतों के नाम आते हैं,…

  • हिंदी के बेडौल अपराध साहित्य की एक नजीर- ‘पिशाच’

    हिंदी के बेडौल अपराध साहित्य की एक नजीर- ‘पिशाच’

    पिछली 29 अगस्त को वीडियो पत्रकार अजित अंजुम ने अपने यूपी चुनाव और किसान आंदोलन संबंधी कवरेज के बीच अचानक ही हिंदी के हाल में प्रकाशित एक ‘क्राइम थ्रिलर’ ‘पिशाच’ पर चर्चा की। इसके लेखक संदीप पालीवाल के साथ ही उनके एक मित्र विनोद कापड़ी भी चर्चा में शामिल थे। ये तीनों टेलीविजन के न्यूज…

  • अमृतलाल नागर: भारतीय जनजीवन के आशावान स्वप्नों के चितेरे

    अमृतलाल नागर: भारतीय जनजीवन के आशावान स्वप्नों के चितेरे

    प्रेमचंदोत्तर हिंदी साहित्य को जिन साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से संवारा है, उनमें अमृतलाल नागर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। किस्सागोई के धनी अमृतलाल नागर ने कई विधाओं से साहित्य को समृद्ध किया। अमृतलाल नागर ने कहानी और उपन्यास के अलावा नाटक, रेडियो नाटक, रिपोर्ताज, निबंध, संस्मरण, अनुवाद, बाल साहित्य आदि के क्षेत्र…