अंकिता भंडारी हत्याकांड : महिलाओं को दाल-भात समझते हुक्मरान

पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता, पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता। ये तीन अपराधी हैं जिन्हें कोटद्वार की additional district and sessions judge रीना नेगी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है I अंकिता 19 साल की थी I वो पौड़ी जिले के यमकेश्वर में स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर नौकरी करती थी। 18 सितंबर 2022 को रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर अंकिता की हत्या कर दी थी।

उत्तराखंड के लोगों को लगता है कि इस मामले में पूरा न्याय होते हुए दिखाई नहीं दिया I लोगों को लगता है कि  पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ उस VIP को भी सजा मिली चाहिए थी जिसकी निगाह अंकिता के शरीर पर थी जिसने वहां की व्यवस्था देखने वालों को कह रहा था कि वे अंकिता को भोजन की तरह प्लेट में सजाकर उसके कमरे में सर्व करेंI

अंकिता के माता-पिता और इस मामले को नजदीक से समझने वाले और अंकिता को न्याय दिलवाने में जी-जान से मदद करने वाले लोगों का आरोप है कि वो वीआईपी, आरएसएस का नेता अजय कुमार है I अंकिता के पिता वीरेन्द्र सिंह भंडारी ने VIP अजय कुमार का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि सरकार उसे राजनीतिक संरक्षण दे रही है और निष्पक्ष जांच में अड़चन डाल रही है I अंकिता की मां सोनी देवी ने कहा था कि उनकी बेटी की हत्या के मामले में जिस ‘वीआईपी’ की बात सामने आ रही थी, उसका नाम अजय कुमार है I

अंकिता की मां ने आरोप लगाया था कि अजय कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की सरकार अजय कुमार को बचा रही हैI अंकिता की मां सोनी देवी ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार उनकी मदद कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष नेगी पर झूठा मुकदमा करके उन्हें परेशान कर रही है, और सरकार ने  आशुतोष नेगी की पत्नी का तबादला उनके घर से बहुत दूर, पिथौरागढ़ कर दिया है।

यह सब इसलिए हो रहा था ताकि कुर्सी बचाने के लिए, अंकिता को अपना भोजन समझने वाले कथित VIP अजय कुमार और महिलाओं को भोजन समझने वाली मानसिकता का बचाव किया जा सके।

उत्तराखंड की भाजपा सरकार, वहां की जनता के बिन मांगे ही उसे बहुत कुछ दे रही है I उदाहरण के लिए राज्य की जनता ने यूनिफॉर्म सिविल कोड मांगा नहीं था, लेकिन सरकार ने दे दिया। उत्तराखंड की जनता ने पहाड़ों पर एक्सप्रेसवे की मांग नहीं की थी, लेकिन राज्य ने दे दिए। उत्तराखंड की जनता ने यह मांग भी नहीं की थी कि राज्य में धर्म के आधार पर जगहों के नाम बदले जाएं, लेकिन सरकार धर्म के आधार पर जगहों के नाम बदलने में लगी हुई है I 

उत्तराखंड की जनता ने यह मांग की थी कि सरकार आरएसएस नेता अजय कुमार पर लगे आरोपों की जांच करवाए I लेकिन उत्तराखंड की सरकार ने इस छोटी सी मांग को नहीं मानाI राज्य की महिलाओं को अपना भोजन समझने वाला व्यक्ति आजाद घूम रहा है। 

ऐसा लगता है की राज्य सरकार का कमिटमेंट राज्य की जनता के प्रति नहीं है, बल्कि राज्य की महिलाओं को अपना भोजन समझने वालों के प्रति है I

निहायत ही गलत  खबरों पर बुलडोजर चला देने की बात करने वाले मुख्यमंत्री से इतना नहीं हुआ कि वे अजय कुमार पर लगने वाले आरोपों की जांच ने का आदेश दे सकें I

हो सकता है कि अजय कुमार और उसके जैसे अन्य व्यक्ति, उत्तराखंड के होटल और रिसॉर्टस में काम करने वाली महिलाओं से “स्पेशल सर्विसेज” की मांग करते रहें और सरकार उनकी गैर-क़ानूनी मांगों का बचाव करके महिलाओं में असुरक्षा बोध को बढ़ाती रहे I 

पर्यटन के नाम पर हर स्त्री को केवल देह समझना, उत्तराखंड में विकसित हो रहे मिसोजिनिस्ट पर्यटन का ही एक परिणाम है I उत्तराखंड में, गांव-गांव में खोली जा रही शराब की दुकानें और शबाब की तलाश में फिरती निगाहें, उत्तराखंड की नयी पहचान बन रही है। उत्तराखंड का शायद कोई कोना ऐसा हो, जिसे शराब का अड्डा नहीं बनाया गया हैI

अंकिता भंडारी को पूरा न्याय मिल गया है, यह बात तभी मानी जा सकती है जब कथित VIP की पहचान करके उसे भी सलाखों के पीछे भेजा जाताI आज की तकनीक के जमाने में, जांच एजेंसियों के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं है I जांच एजेंसियों को पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, अंकित गुप्ता, अंकिता भंडारी, और कथित VIP अजय कुमार के बीच हुई बातचीत और मैसेजिंग को रिकॉर्ड पर लाना थाI उस रिकॉर्ड से ही बहुत कुछ निकलकर सामने आ जाताI लेकिन अगर सरकार की, उत्तराखंड की महिलाओं को अपना भोजन समझने वालों के साथ राजनैतिक साझेदारी हो तो फिर उन रिकॉर्ड्स को कौन और कैसे हासिल करेगा? ऐसे राजनैतिक वातावरण में यह भय लगता है कि राज्य के हुक्मरान, कुर्सी रूपी बड़ी मछली पकड़ने के लिए, राज्य की महिलाओं को चारे के रूप में इस्तेमाल करने की छूट देती रहेगी! 

(बीरेंद्र सिंह रावत शिक्षा विभाग दिल्ली-विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।)

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