गरीबों के आंदोलनकारी व उनके प्रतिनिधियों का 4 अक्टूबर को होगा दिल्ली में सम्मेलन

लखनऊ। गरीबों खासकर ग्रामीण गरीबों के देशभर के आंदोलनकारी संगठनों और उनके प्रतिनिधि 4 अक्टूबर को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मिलेंगे। मजदूर किसान मंच द्वारा आयोजित सम्मेलन में ग्रामीण गरीबों के लिए विचार विमर्श होगा व भावी कार्यक्रम तय किए जायेंगे। सम्मेलन में विचार विमर्श के प्रमुख मुद्दों में ग्रामीण गरीबों के जीवनयापन के लिए भूमि वितरण की लंबे समय से लंबित मांग-रहने और आवास बनाने दोनों के लिए।

ग्राम पंचायत की ऊसर, परती, मठ व ट्रस्ट की जमीन का भूमिहीन गरीबों में वितरण। वन अधिकार अधिनियम-2006 का सही अर्थों में लागू न होना। इस कारण आदिवासियों और अन्य वनवासियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ। मनरेगा का खराब क्रियान्वयन, इसके सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार की मांग। सशक्तिकरण के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सभी ग्रामीण गरीबों के विकास के लिए विशेष बजट सुनिश्चित करना। वित्त एवं विकास निगमों को सुदृढ़ किया जाना। सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाना और ग्रामीण गरीबों के हितों को सुनिश्चित करना। ग्रामीण गरीब परिवारों, विशेषकर जनजातियों और आदिवासियों के बच्चों की शिक्षा को सुनिश्चित करने और बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम।

दलितों और आदिवासियों विशेषकर महिलाओं की उच्च शिक्षा के लिए सरकार द्वारा भोजन, आवास और अन्य खर्चों की व्यवस्था करना। ग्रामीण गरीबों के लिए चिकित्सा सुविधाओं में सुधार और कुपोषण को कम करने के लिए कदम। ग्रामीण क्षेत्र में ‘आरोग्य सेना’का गठन किया जा सकता है, इसके लिए प्रत्येक गांव से स्वयंसेवकों की भर्ती की जाए। उन्हें अनिवार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, महामारी प्रतिक्रिया, सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ संचार, बुनियादी ढांचे और प्राथमिक चिकित्सा जैसी आपातकालीन प्रतिक्रिया में प्रशिक्षित किया जाए। 2021 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराई जाए और आरक्षण का विस्तार निजी क्षेत्र तक किया जाए।

राजनीतिक अधिकारों के लिए उन आदिवासी जातियों को जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है जैसे कोल को, अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना। मानवाधिकारों और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई। अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण गरीबों पर मुकदमे वापस लेना। यूएपीए, एनएसए, देशद्रोह, यूपीकोका जैसे काले कानूनों को खत्म करना। सम्मेलन में देश में ग्रामीण गरीबों की एकजुट आवाज बनाने और केंद्रित मांगों को सामने लाने के लिए कार्य योजना बनाई जायेगी। यह जानकारी मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष व पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने प्रेस को जारी अपने बयान में दी।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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