नई दिल्ली। सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने इस बात की आशंका जतायी है कि चुनाव में हार का सामना कर रही बीजेपी जीतने के बाद भी इंडिया गठबंधन को सत्ता नहीं सौंपेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सिविल सोसाइटी के सदस्यों की बंगलुरू में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें उन्होंने जनादेश को तोड़ने-मरोड़ने के खतरे और उसको हल करने के उपायों पर विचार किया।
इस बैठक में अर्थशास्त्री पराकला प्रभाकर, एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, रिटायर्ड आईएएस अफसर देवसहायम और भाषाविद गणेश देवी ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही रिटायर्ड मेजर जनरल वोमभाटकेरे, रिटायर्ड कैबिनेट संयुक्त सचिव रवि जोशी और एआईसीसी वर्किंग कमेटी मेंबर गुरदीप सप्पल ने भी इस बातचीत में हिस्सा लिया।
बैठक में तय पाया गया कि यह चुनाव लोगों और संविधान विरोधी बीजेपी के बीच है। और इस लड़ाई में लोगों की जीत हो रही है। लेकिन बीजेपी सत्ता अपने हाथ में रखने का मन बना चुकी है। आने वाले दिनों में भारत में कुछ भी हो सकता है।
बैठक के बाद जारी की गयी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कुछ भी हो सकता है। देश के लोगों के लिए यह ‘करो या मरो’ की तरह की स्थिति है। बैठक में हिस्सा लेने वालों का कहना था कि एक देशभक्त नागरिक के तौर पर उन्होंने इन कारस्तानियों का मुकाबला करने और लोकतंत्र की रक्षा करने का फैसला लिया है। उनका कहना था कि नैरेटिव के स्तर पर हम पहले ही लड़ाई जीत चुके हैं। वोटिंग के स्टेज पर भी हम जीत की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। हमें लोगों के फैसलों के स्टेज पर जीत हासिल करनी है। और हम वहां भी जीत रहे हैं।
बैठक में शामिल लोगों का कहना था कि इस चरण में हम दो खतरों का सामना कर रहे हैं। पहला है वोटों की गिनती में हेराफेरी का और दूसरा लोगों के जनादेश को रोके जाने का खतरा।
इस कड़ी में बैठक में इसकी रक्षा के लिए पांच तरह के कर्तव्यों को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली गयी है।
जिसमें सबसे पहला है नैरेटिव ड्यूटी: ‘एक लोकतंत्र के भीतर मतदाताओं की इच्छा सर्वोपरि होगी’ के नाम से मतदाता अधिकार अभियान संचालित किया जाएगा।
दूसरा मतपत्र गणना की ड्यूटी: मतपत्रों की छेड़छाड़ को रोकने के लिए ‘सिटीजन विजिलेंस कमीशन’ गठित करने का फैसला लिया गया है।
तीसरा लीगल ड्यूटी: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मतगणना की प्रक्रिया में सीधे हस्तक्षेप के साथ ही उसमें उसकी निगरानी को सुनिश्चित करना।
चौथा राजनीतिक कर्तव्य: सामने आने वाले गंभीर खतरे की तरफ राजनीतिक दलों को सचेत करना और ऊपर दिए गए हेरा-फेरी के खतरे को रोकने के लिए उन पर दबाव बनाना।
आखिर में जिन कर्तव्यों को पूरा किया जाना है उसके बारे में कहा गया है कि अगर बीजेपी अनैतिक रास्ता अपनाती है, सत्ता हस्तांतरण की कड़ी में लोकतांत्रिक तरीके का उल्लंघन करती है, हेराफेरी या आचार संहिता का उल्लंघन करती है, गुंडागर्दी करती है, दलों को विभाजित करती है, डमी सरकार के गठन की कोशिश आदि करती है तो एक नागरिक के तौर पर हम चुप नहीं रहेंगे। मतदाताओं के जनादेश की रक्षा के लिए हम राष्ट्रीय स्तर पर शांतिपूर्ण तरीके से एक मजबूत सत्याग्रह संचालित करेंगे। इसमें आगे कहा गया है कि अगले एक हफ्ते तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर संपर्क की प्रक्रिया जारी रहेगी। महीने के आखिर में ‘मतदाताओं का जनादेश सर्वोपरि’ के नाम से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक आंदोलन संचालित किया जाएगा।