जैसलमेर जिले के पोकरण शहर की विषम भौगोलिक परिस्थिति और अनियमित वर्षा के कारण यहां तालाबों, नाड़ियों, और खडीनों का विशेष महत्व रहा है। जिले में हर घर में टांका (पानी इकठ्ठा करने के लिए बनाया गया टैंक) होना आम बात है और लोग वर्षा जल को इस टांके में एकत्रित करते है। इन टांकों से साल भर लोगों के पेयजल की जरूरत पूरी होती है। वर्षा जल को यहां लोग पालर पानी कहते है।
ऐसे ही यहां के तालाबों का भी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व रहा है, तालाबों के किनारे गणगौर और तीज के मेले लगना और इनके घाटों पर शाम के समय बहते पानी को देखना यहां के जीवन का हिस्सा हुआ करता था लेकिन बीते कुछ सालों से प्रशासन और आम लोगों द्वारा तालाबों की अनदेखी ने यहां के अधिकांश तालाबों को खत्म कर दिया। तालाबों के अनदेखी से चिंतित पोकरण के समाजसेवी बलवंत सिंह जोधा पिछले 5 सालों से तालाबों को पुर्नजीवित करने के काम में लगे है जिसके बाद से लोग इन्हें अब पोकरण के वाटर मैन के नाम से जानने लगे हैं।
स्वयं के खर्च से किया जा रहा खुदाई कार्य
पिछले 25 दिनों से बलवंत सिंह जोधा पोकरण के प्राचीन बंदोलाई तालाब के खुदाई कार्य में लगे हुए है। जीवित समाधियों और शिव मंदिर के रूप में पहचान रखने वाला बंदोलाई तालाब पिछले कुछ सालों से अपने मौलिक स्वरूप को खोने लगा था जिसके बाद बलवंत सिंह जोधा ने इसकी खुदाई और आगोर से कंटीली झाड़ियों को साफ करने का बीड़ा उठाया।
बलवंत सिंह जोधा बताते है कि “उन्होंने शुरुआत में सोशल मीडिया के माध्यम से अपील कर 50 हजार रुपए का जनसहयोग हासिल किया था लेकिन अब लोगों ने मदद करनी बंद कर दी है तो स्वयं के खर्च से तालाब के मौलिक स्वरूप को स्थापित करने का काम जारी है।” आगे वे बताते है कि एक दिन में 70 ट्रक रेत को तालाब से निकालकर उसकी पाल पर डाला जा रहा है जिसके लिए मानव और आर्थिक संसाधन का जतन वे खुद कर रहे है।” बलवंत सिंह जोधा ने इन दिनों बंदोलाई तालाब के पास की 100 बीघा भूमि को भी आगोर में दर्ज करवाया है।
पूर्व में रामदेवसर तालाब का किया जीर्णोद्वार
बलवंत सिंह जोधा द्वारा साल 2018 में पोकरण के ही ऐतिहासिक तालाब रामदेवसर तालाब का भी खुदाई कार्य करवाया गया था तो वहीं इस दौरान इन्होंने इस तालाब की 350 बीघा जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाकर आगोर में दर्ज करवाया था। तालाब की खुदाई के बाद इस तालाब में पानी की आवक बढ़ने लगी और अब यह पोकरण का एक मात्र तालाब हैं जो सालभर पानी से भरा हुआ रहता है। बलवंत सिंह जोधा बताते है कि “पोकरण में अन्य किसी तालाब में पानी नहीं रहने से बाबा रामदेव /रुणिचा पीर पर आने वाले श्रद्धालु इसी तालाब पर नहाने आते है और दोपहर के समय यहां लगे पेड़ों के नीचे बैठकर आराम करते है।”
(जैसलमेर /पोकरण से कुलदीप छंगाणी की रिपोर्ट)