लालू ने जाति आधारित संपत्ति में आयी गैरबराबरी को बनाया मुद्दा, बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोला है। इस बार उन्होंने ओबीसी समुदाय की राष्ट्रीय संपत्ति में घटती भागीदारी, लघु और मझोले उद्योगों में गिरता हिस्सा और केंद्र की गलत नीतियों के चलते किसानों को होने वाले नुकसान को मुद्दा बनाया है।

उन्होंने इस सिलसिले में वर्ल्ड इनइक्वॉलिटी लैब (डब्ल्यूआईएल) की रिपोर्ट का हवाला दिया है। जाति आधारित बढ़ती असमानता को चिन्हित करते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरल कटेगरी की जातियों का राष्ट्रीय संपत्ति में 88.4 फीसदी हिस्सा है। जबकि पिछड़ों यानि ओबीसी का महज 9 फीसदी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का केवल और केवल 2.6 फीसदी।

लालू प्रसाद ने एक बयान में कहा है कि हमारे देश में सामाजिक और आर्थिक असमानता की खाई कितनी गहरी है यह रिपोर्ट इस बात का सबूत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लगातार ओबीसी, एससी और एसटी के छोटे व्यवसायों को ध्वस्त करने के लिए उन्हें अपना निशाना बनाया है। 

डब्ल्यूआईएल द्वारा दिए गए डाटा को डराने वाला करार देते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि आंकड़े देश में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक असमानता की ओर इशारा करते हैं।

लालू ने कहा कि यह सबको पता है कि ओबीसी, एससी और एसटी देश में 85 फीसदी आबादी का निर्माण करते हैं। यही वजह है कि बीजेपी जाति जनगणना नहीं कराना चाहती है। क्योंकि तब इससे हर सेक्टर में धनी और खाते-पीते लोग चिन्हित हो जाएंगे।

आरजेडी चीफ ने कहा कि यह गैरबराबरी तब तक बढ़ती रहेगी जब तक ओबीसी, एससी और एसटी तथा जनरल कटेगरी के गरीब बीजेपी के भक्त बने रहेंगे और उन नेताओं को स्वीकार करते रहेंगे जिनका चरित्र दोहरा है और वो घृणा बांटते हैं। 

लालू ने कहा कि ऐसे लोगों को अपने सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत बनाए रखने के लिए राष्ट्रवाद और धर्म जैसे फर्जी मुद्दों में ओबीसी, एसी और एसटी को फंसाए रखना चाहते हैं। वो इन श्रेणियों के लोगों को केवल सांकेतिक प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं जिससे देश की बहुमत आबादी अपने अधिकारों की मांग न करे।

डब्ल्यूआईएल रिपोर्ट को थॉमस पिकेटी, नितिन कुमार भारती और लुकास चैंसेल तथा अनमोल सोमांची ने मिलकर तैयार किया है। यह रिपोर्ट मार्च के मध्य में जारी हुई थी लेकिन चुनावों के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी।

लालू प्रसाद यादव का यह बयान उस समय आया है जब उनकी पार्टी ने बिहार में बहुत अच्छा नहीं किया है। पार्टी द्वारा लड़ी गयी 23 सीटों में उसे महज 4 सीटों पर विजय मिली है।

डब्ल्यूआईएल पेरिस आधारित एक रिसर्च सेंटर है, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली असमानता की गति पर केंद्रित करती है। और वैश्विक स्तर पर फैले रिसर्चरों के साथ नेटवर्क में रहती है।

‘बिलेनेयर राज’ शीर्षक से जारी हुए इस पेपर में दावा किया गया है कि भारत ब्रिटिश राज के मुकाबले और ज्यादा असमान हो गया है। इसमें बताया गया है कि सबसे ऊपर के एक फीसदी लोगों की आय और संपत्ति 2022 और 2023 में क्रमश: 22.6 फीसदी और 40.1 फीसदी हो गयी है। और ऐतिहासिक स्तर पर यह अपने सबसे उच्च बिंदु पर है।

पेपर में विभिन्न आय वाले समूहों के बीच की असमानता के स्तर को भी चिन्हित किया गया है। और इस असमानता को दूर करने के लिए नीतिगत स्तर पर किए जाने वाले उपायों को सुझाया है।

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments