नरेंद्र मोदी ध्वंस कर सकते हैं, सृजन-निर्माण की क्षमता उनके अंदर नहीं है

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हिंदू राष्ट्र के प्रतिनिधि के तौर पर नरेंद्र मोदी सिर्फ और सिर्फ ध्वंस कर सकते हैं, निर्माण की क्षमता उनके भीतर नहीं है। हिंदू राष्ट्र के सबसे बड़े ‘कीर्ति स्तंभ’ राम मंदिर का चूना लगना, गर्भ गृह में पानी भरना, राम पथ में बड़े-बड़े करीब 20 गढ्ढे हो जाना, हल्की सी बरसात से अयोध्या राम मंदिर के प्रवेश द्वार पर पनाला बहने लगना। अटल सेतु में खाई जैसी दरारें पड़ जाना, सूरत के हवाई अड्डे का ध्वस्त हो जाना आदि सिर्फ इस बात के सबूत हैं कि हिंदू राष्ट्र के इस प्रतिनिधि के नेतृत्व में कोई निर्माण या फिर कोई सृजन नहीं हो सकता है। 

अगर कोई निर्माण कार्य होता भी है, तो वह टिक नहीं सकता। यह सब  केवल प्रतीक है। नरेंद्र मोदी सिर्फ और सिर्फ ध्वंस और नष्ट करने के बेहतरीन और सफल मास्टर हैं। ध्वंस की क्षमता उनके भीतर अपार है। वे भारतीय  अर्थव्यवस्था, संविधान, लोकतंत्र, संसद, चुनाव आयोग, नीति आयोग, सीबीआई, ईडी आदि भारतीय संस्थाओं का विध्वंस कर चुके हैं। वे संघीय ढांचे को नष्ट कर चुके हैं। उन्होंने अपने कार्पोरेट मित्रों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया।

उन्होंने देश के रोजगार और निर्यात की रीढ़ लघु, मझोले और मध्यम उद्योग धंधों को नोटबंदी और जीएसटी के नाम पर ध्वस्त कर दिया। उन्होंने भारतीय रेल-प्रणाली को चौपट कर दिया। उन्होंने शिक्षण-संस्थाओं को तबाह कर दिया। चुनाव की पारदर्शिता और शुचिता को खत्म कर दिया। उनके नेतृत्व में परीक्षा प्रणाली को बर्बाद कर दिया गया। नीट सिर्फ एक उदाहरण है। उन्होंने भारतीय नौकरशाही की रीढ़ तोड़ दी है। उन्होंने संविधान और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों की ऐसी-तैसी कर दी है। 

नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की शांति और प्रगति को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने और उनके लोगों ने सिखों को खालिस्तानी कहकर पंजाब को एक बार फिर गहरे संकट में डाल दिया। पंजाब की शांति को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एका को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उन्होंने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक विभाजक रेखा खींच दी। इससे बढ़कर उन्होंने लोगों की रोजी-रोटी के आर्थिक ढांचे को तबाह कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने नैतिकता के सभी मूल्यों का खात्मा कर दिया। आदर्शों को मटियामेट कर दिया। उन्होंने अच्छाई का हर नामो-निशान मिटाने की कोशिश की। बलात्कारियों और यौन उत्पीड़कों को संरक्षण देकर, बलात्कार और यौन उत्पीड़न को नार्म बना दिया। उन्होंने भारतीय समाज को आदर्शहीन और मूल्यहीन बनाने में कोई कोर-कसर नहीं रखी। वे विध्वंस के मास्टर हैं, सृजन की उनमें रत्ती भर क्षमता नहीं है।

विध्वंस का मास्टर होना कोई नरेंद्र मोदी का व्यक्तिगत गुण-अवगुण या विशेषता-विशिष्टता नहीं है। जिस हिंदू राष्ट्र के विचार के वे प्रतिनिधि हैं। हिंदू राष्ट्र के निर्माण में लगे जिस आरएसएस नामक संगठन के वे स्वयं सेवक और प्रचारक रहे हैं। उसके पास अपने जन्म के समय से कोई सृजन या निर्माण का कोई कार्यक्रम नहीं रहा है। वह अतीतगामी संगठन है और रहा है। आजादी के आंदोलन में कांग्रेस, वामपंथी, सोशलिस्ट और दलित-बहुजन विचारधारा ( आंबेडकवादी) के पास भविष्य के भारत के निर्माण का एक रोड मैप था। लेकिन एकमात्र आरएसएस की धारा ऐसी थी, जिसके पास भावी भारत के निर्माण का कोई रोडमैप नहीं था।

वह सिर्फ अतीत के भारत, हिंदू भारत ( वैदिक भारत) की पुनर्स्थापना करना उसका स्वप्न था। आज़ादी के तुरंत वाद गांधी की हत्या करके इनके लोगों ने बता दिया कि भावी भारत को देने के लिए उनके पास हिंसा और विध्वंस के अलावा कुछ नहीं है। जिसके चलते लंबे समय तक भारत की बहुलांश जनता ने उसे नकार दिया था। भावी भारत की निर्माणकारी  शक्तियों की असफलता ने उसे मौका दिया।

भाजपा और नरेंद्र मोदी के उभार में कोई सकारात्मक सृजन का एजेंडा नहीं रहा है। बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने भाजपा के उभार का मार्ग प्रशस्त किया। 2002 के गुजरात नरसंहार ने नरेंद्र मोदी को हिंदू हृदय सम्राट बनाया। उसी ने उनके भावी प्रधानमंत्री बनने का मार्ग खोला। मुसलमानों के खिलाफ नफरत की विध्वंसक राजनीति ने उन्हें भारतीय सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाया। 2014 और 2019 के चुनाव में उन्होंने इसी को मुख्य टोन बनाकर जीता। 2024 में भी यही करने की हर कोशिश की।

भले उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। इस बार लोकसभा के चुनाव में भी उनके पास सृजन का कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं था। हां उन्होंने घुसपैठिया, अधिक बच्चे पैदा करने वाले, मंगलसूत्र छीनने वाले और आरक्षण खाने वालों के रूप में मुसलमानों के खिलाफ नफरत की आग उगली और विध्वंस का रास्ता प्रशस्त किया।

वे अतीत के महानायकों को सिर्फ गाली देते रहे हैं। आधुनिक भारत के निर्माता नेहरू को गाली देना उनका सबसे प्रिय शगल रहा है। आधुनिक भारत की निर्माण की शक्तियों कांग्रेस और वामपंथियों को वे कोसते और गरियाते ही रहते हैं। दलित-बहुजन नायकों को गरियाने और कोसने की उनको सीधे-सीधे हिम्मत नहीं पड़ती। हालांकि उनके बहुजन-श्रमण वैचारिकी के खिलाफ वे दिन रात काम करते रहते हैं। उसकी वैचारिकी नष्ट करने का जतन करते रहते हैं। दलित-बहुजन वैचारिकी को जितना नरेंद्र ने नष्ट-भ्रष्ट किया शायद ही आधुनिक भारत में कोई दूसरा किया हो।

नरेंद्र मोदी इतिहास में एक विध्वंसक के रूप में ही जाने जाएंगे। किसी भी सृजन और निर्माण के लिए उन्हें याद नहीं किया जायेगा।

(डॉ. सिद्धार्थ लेखक और पत्रकार हैं।)

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