PUCL की जांच रिपोर्ट: पुलिसिया पिटाई में ढाई वर्ष की बच्ची का निधन, बिहार पुलिस पर सवाल

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(जहानाबाद के हुलासगंज थाना अंतर्गत दुर्गापुर ग्राम की मुसहर बस्ती में दारु बेचने के आरोप में 2 महिलाओं की नवजात शिशु के साथ गिरफ्तारी के पश्चात ढाई वर्ष की बच्ची फूलवंती कुमारी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत के मामले की पड़ताल के लिए गठित पीयूसीएल के जांच दल की रिपोर्ट 24 मई 2024 को जारी की गई )

25 अक्टूबर 2023 को भाकपा-माले की ओर से जारी प्रेस वक्तव्य से यह जानकारी मिली थी कि पुलिस के द्वारा मां की पिटाई से माता की गोद में चिपकी ढाई वर्षीया बच्ची को चोट लगी थी, जिसकी 22 अक्टूबर, 2023 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई है।

इस घटना की जांच हेतु 29 अक्टूबर 2023 को राज्य पीयूसीएल का एक जांच दल पीयूसीएल के पूर्व राज्य महासचिव किशोरी दास के नेतृत्व में पीड़ित परिवार से मिलने जहानाबाद के हुलासगंज थाना के दुर्गापुर ग्राम पहुंचा। इस जांच दल में पीयूसीएल की सदस्य प्रतिमा, पुष्पराज और पटना में मुसहर सेवा संघ के अध्यक्ष गजेन्द्र मांझी शामिल थे।

जांच दल सुबह 10 बजकर 20 मिनट में जहानाबाद जिला के हुलासगंज थाना के खुदौरी पंचायत के दुर्गापुर ग्राम पहुंचा। दुर्गापुर ग्राम में 115 घर हैं, जिनमें 95 घर महादलित मुसहर हैं। इसमें पासवान-1 घर, चंद्रवंशी कहार 6 घर, रविदास 3 घर, नट सपेरा 3 घर और यादव 3 घर साथ बसते हैं।

वसंती देवी- मृतका फूलवंती कुमारी की माता वसंती देवी (पति– बिहारी मांझी) ने बताया कि 19 अक्टूबर की सुबह 6 बजे 10 गाड़ी पुलिस ने मेरे मुहल्ले को चारों  तरफ से घेर लिया था। मैं खाना पका रही थी, मेरे गोद में मेरी बेटी फूलवंती थी। पुलिस मुझे खींच कर, घसीट कर गाड़ी पर ले गई। मैं अपने घर से निकलना नहीं चाह रही थी इसलिए 3 मर्द पुलिस और एक लेडीज पुलिस मुझे घसीटते हुए गाड़ी पर ले गए और  मुझे बहुत पीटा। बेटी मेरे पांव से लटक गई तो पुलिस ने लात से बेटी को मारा। बेटी को हीक में चोट लगी, वह चिघार मार कर रोने लगी। मुझे बेटी के साथ पुलिस काको जेल ले गई, बेटी को भी जेल में बंद कर दिया। बेटी की तबीयत बिगड़ने लगी तो 20 अक्टूबर को इलाज के लिए जेल से जहानाबाद सदर अस्पताल भेजा गया। जब सदर अस्पताल में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो 22 अक्टूबर को इलाज के लिए पीएमसीएच, पटना भेजा गया। 22 अक्टूबर की रात पीएमसीएच में बेटी की मौत के बाद लाश को पोस्टमार्टम में भेजकर मुझे काको जेल, जहानाबाद में बंद कर दिया गया। 24 अक्टूबर की सुबह मुझे जेल से निकालकर बेटी का दाह संस्कार करवा कर पुलिस ने 11 बजे दिन में मुझे फिर जेल में बंद कर दिया। मैं 27 अक्टूबर को जमानत पर जेल से निकल कर घर आई। मेरे बेटी को पुलिस ने बूट से मारा और मैंने उसे गोद में लिया तो पुलिस मुझे पीटने लगी, जिससे मां-बेटी को साथ चोट लगी। 7 वर्ष की ललिता और 5 वर्ष की खुशबू की माता वसंती देवी गर्भवती हैं।

बिहारी मांझी – मृतका फूलवंती के पिता बिहारी मांझी बताते हैं कि 19 अक्टूबर की सुबह जब पुलिस उनके गांव आई थी तब वे सुल्तानपुर धान काटने गए हुए थे। बेटी की लाश पुलिस लेकर आई थी इसलिए पुलिस के भय से बेटी का मुंह भी नहीं देख सके। मैं पुलिस की  मार के डर से जेल जाकर पत्नी से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। धान कटनी, धान रोपाई, कृषि मजदूरी सहित ईंट भट्ठा में मजदूरी  मेरे  परिवार की  आजीविका का साधन  है।

वसंती देवी का घर– 6 डेग लंबाई 3 डेग चौड़ाई वाले छोटे से पक्का घर में माटी का फर्श ही पलंग का विकल्प है। खजूर की चटाई ही गद्दे की तरह प्रयुक्त होता है। इस परिवार के पास अपना शौचालय और पेय जल की सुविधा नहीं है। इस गांव में सामूहिक शौचालय और पेय जल के लिए हैंडपंप उपलब्ध है। गांव में आधे से अधिक लोगों को इंदिरा आवास की सुविधा नहीं मिल पाई है। अधिकतर घरों पर 50 हजार से ज्यादा का बिजली बिल बकाया है। मुहल्ले के गरीब बताते हैं कि मुसहर जब दलित  थे, तब बिजली बिल फ्री था पर मुसहरों को महादलित घोषित करने के बाद मुफ्त बिजली का अधिकार समाप्त हो गया। दलित श्रेणी से महादलित श्रेणी में आने से क्या मुसहरों की गरीबी खत्म हो गई। आखिर दीनहीन मुसहरों से मुफ्त बिजली का अधिकार क्यों छीन लिया गया।

चमेला देवी– 65 वर्षीया चमेला देवी बताती हैं कि उनकी बहू मीना देवी को भी पुलिस ने 2 वर्षीय बेटे के साथ जेल में बंद कर दिया है। चमेला बताती हैं कि 19 अक्टूबर के सुबह जब पुलिस आई थी तो मैं दिशा (शौच) के लिए दूर बघार गई हुई थी।

गिरफ्तारी के समय मौजूद लक्ष्मीनिया देवी, रिंकू देवी, बिंदेश्वर मांझी, प्रवेश मांझी, चन्दन मांझी बताते हैं कि गिरफ्तारी के समय पुलिस मीना देवी को पीटते हुए गाड़ी में ले गई।

इस गाँव में आँगनबाड़ी केंद्र नहीं है। प्राथमिक विद्यालय की दूरी डेढ़ किलोमीटर है। मोहद्दीनगर प्राथमिक विद्यालय इस ग्राम से 500 मीटर पास स्थित है पर अलग नालंदा जिला में होने की वजह से यहां के बच्चों का वहां नामांकन संभव नहीं है। इस ग्राम में पवन मांझी मैट्रिक पास हैं और ट्रैक्टर ड्राईवर हैं। पवन के अलावा कोई अन्य स्त्री–पुरुष पढ़ाई नहीं कर पाए।

भाकपा-माले के शिष्टमंडल से मुलाक़ात– पीयूसीएल  जांच दल से  दुर्गापुर में पीड़ित परिवार से मुलाकात के दौरान  भाकपा माले के  हुलासगंज प्रखण्ड सचिव प्रभात कुमार, पूर्व प्रखण्ड सचिव उदरेश पासवान, भाकपा माले जिला कमिटी सदस्य दिलीप बिन्द, रामा पासवान, पूर्व मुखिया रमेश शर्मा, रामाश्रय यादव ओर माखन कुमार मौजूद थे। भाकपा माले के इस शिष्टमंडल ने बताया कि गैर–मजरुआ जमीन पर 3 दशक पूर्व संगठन ने इन गरीबों को यहाँ बसाया था। यह गांव माले के सघन जनाधार वाला  ग्राम है। घोसी विधानसभा के विधायक रामबली सिंह यादव ने पीड़ित परिवार से मुलाक़ात की है। माले प्रखण्ड सचिव के अनुसार प्रशासन बाहुबलियों और दबंगों से शराब का कारोबार करवाता है और गरीब लोगों का  दमन करता है। माले नेताओं के अनुसार इस ग्राम की जिन 2 महिलाओं को जेल भेजा गया, उनके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ था। पुलिस ने गिरफ्तारी का रिकार्ड तैयार करने के लिए दारू की जो बरामदगी दिखाई है, वह फर्जी है। सवाल यह है कि अगर दुर्गापुर ग्राम के मुसहर दारू बनाने में लगे हुए हैं तो इनकी गरीबी कम क्यों नहीं हो रही है। संपूर्ण बस्ती का रहन –सहन इस तरह  फटेहाल क्यों है।

अन्य प्रत्यक्षदर्शियों का बयान

जांच दल के सदस्यों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों ,माले कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त लक्ष्मीनिया देवी पति स्व. बुंदेला दास, रिंकू देवी पति पिंटू मांझी, सरोजा देवी पति प्रवेश मांझी, विंदेश्वर मांझी पिता स्व. तिलेश्वर मांझी, जितेंद्र मांझी पिता स्व. कपिल मांझी, रामजतन पासवान पिता स्व. सुखु पासवान, चंदन मांझी पिता बेचन मांझी, उमेश मांझी पिता स्व. लाला मांझी आदि प्रत्यक्षदर्शियों से घटना के संदर्भ में पूछताछ की ।इन सभी प्रत्यक्षदर्शियों ने पीड़ित परिवार के बयान का समर्थन किया।

हुलासगंज थाना के थानाध्यक्ष से मुलाक़ात पीयूसीएल जांचदल को  थानाध्यक्ष चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि मद्य निषेध उत्पाद थाना जहानाबाद ने रेड से पूर्व फोन किया था पर  गिरफ्तारी की कोई सूचना हमारे थाने को नहीं दी थी। बसंती देवी ने अपनी बेटी की अप्राकृतिक मौत के खिलाफ प्राथमिकी के लिए हुलासगंज थाना के पास आवेदन  दिया है, जिसे विभागीय अनुमति के लिए वरिष्ठ अधिकारी के पास भेजा गया है। फुलवंती की अप्राकृतिक मौत का मामला काको थाना में यूडी-17/23-23.10.2023 दर्ज हुआ है। जांच रिपोर्ट लिखे जाने वक्त हुलासगंज थाना के थानाध्यक्ष ने फोन पर इस बात के पुष्टि की है कि उच्चाधिकारियों ने फुलवंती की मौत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं दी है।

दोनों प्राथमिकी का सारांश

प्राथमिकी आबकारी थाना जहानाबाद कांड संख्या – 986 / 23 जिसमें मीना देवी पति रंजीत मांझी तथा 987 / 23 जिसमें वसंती देवी पति बिहारी माँझी दोनों साकीन –दुर्गापुर, थाना –हुलासगंज की निवासी हैं को धारा -30 बिहार आबकारी एक्ट 2016 संशोधित आबकारी कानून 2018  के अंतर्गत  अभियुकत बनाया गया है । दोनों के खिलाफ एक समान के आरोप गठित किए गए हैं । दोनों मामलों के प्राथमिकीकर्ता मदन कुमार ,सहायक अवर निरीक्षक ,आबकारी जहानाबाद हैं। दोनों प्राथमिकी का घटनास्थल व आरोप एक समान है।  “आबकारी जहानाबाद प्राथमिकी संख्या 987/23 एवं 986/23 के अनुसार  की प्राथमिकी के अनुसार मैं मदन कुमार वर्तमान में सहायक अवर निरीक्षक के पद पर कार्यालय अधीक्षक मद्य निषेध, जहानाबाद में पदस्थापित हूं। आज दिनांक 19.10.2023 को सुबह 5.00 को गश्ती एवं वाहन जांच अभियान हेतु अधीक्षक मद्य निषेध, जहानाबाद के आदेशानुसार मैं अपने अधीनस्थ मद्य निषेध सिपाही संगीता कुमारी एवं रूपा कुमारी एवं जिले में तैनात सैप बल, गृह रक्षक दल एवं हुलासगंज थाना एवं उनके बल के साथ निकला। इसी क्रम में गश्ती करते हुए हुलासगंज थाना अंतर्गत दुर्गापुर गाँव से सड़क किनारे से जा रही एक महिला  परती खेतों की तरफ हाथ में कुछ वजननुमा लेकर भाग रही थी। उसे देखते ही इतने में छापामारी दल  के द्वारा घेर लिया गया। आस-पास कोई व्यक्ति नहीं होने के कारण अपने छापामारी दल से ही दो मद्य निषेध सिपाही–संगीता कुमारी एवं रूपा कुमारी को स्वतंत्र गवाह बनने हेतु अनुरोध किया, जिसके लिए वे दोनों सहर्ष तैयार हो गए। तलाशी के क्रम में पकड़ी गई उक्त महिला के कब्जे से दस लीटर क्षमता वाले एक प्लास्टिक के जरकिन में भरा करीब 10 लीटर अवैध चुलाई शराब बरामद हुआ। …अन्य सारी आवश्यक कानूनी कारवाई घटनास्थल पर विधिवत पूरी करते हुए बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2010 ( संशोधित अधिनियम 2018 एवं  2022 ) की धारा 30 (क ) के तहत अभियोग दर्ज कर अभियुक्त बसंती देवी को गिरफ्तार कर इस गिरफ्तारी की सूचना उसके परिजन तथा वरीय अधिकारियों को दे दी गई।

(प्राथमिकी में त्रुटि–दोनों प्राथमिकी में माताओं के साथ शिशुओं की मौजूदगी को कहीं दर्ज नहीं किया गया है।)

निरीक्षक सह थानाध्यक्ष मद्य निषेध उत्पाद थाना– पीयूसीएल जांचदल से मद्य निषेध थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए गृह विभाग ने विगत वर्ष से एक्साईज़ थाना में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। थानाध्यक्ष ने जांचदल को बसंती देवी और मीना देवी की गिरफ्तारी की प्राथमिकी की छाया प्रति उपलब्ध कराई। बसंती देवी के खिलाफ केस नंबर -987/23 और मीना देवी के खिलाफ 986/23 की प्राथमिकी दर्ज कर 10 और 8 लीटर शराब जप्त करने का जिक्र किया गया है।

मद्य निषेध थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि “हम बच्ची को क्यों मारेंगे। बच्ची मां के साथ थी इसलिए उसको साथ जेल भेज दिए। मेरी नौकरी चली जाए तो हम खुश होंगे। हम मामूली दुख में नहीं जी रहे हैं। लग रहा है कि हम आत्महत्या कर लें। अफसरशाही हावी है। गिरफ्तारी कम हुई तो मेरा वेतन रुक गया।डेढ़ महीने से हम अपने बच्चो के पास नहीं गए। बच्चे रोते रह गए, परिवार पटना में रहता है, हम दशहरे में भी बच्चों का मुंह नहीं देख सके। केके पाठक सर ने “गिरफ्तारी कम तो वेतन बंद” का मौखिक निर्देश दिया था। उन्हीं का निर्देश अब तक लागू है। हमलोग हाकिम के डमरू हो गए हैं चैती छठ में पाठक जी ने मुसहरी का रेड करवाया। हम भी हिन्दू हैं, हम हिन्दू धर्म के महान पर्व में घर में घुसें, किसी को तबाह करें ,अच्छा कैसे लगेगा पर हाकिम का चाबुक पीठ पर है। चैती, दशहरे की नवमी, दशमी के दिन रेड करवाया गया। महान हिन्दू पर्व के दिन प्रतिदिन 8 गिरफ्तारी का टारगेट दिया गया था। छठ और दशहरे में जब पूरे मुसहरी में घर–आंगन लीप –पोतकर पवित्र किए हुए है, उस समय कौन दारू बनाएगा पर ऊपर से हुक्म है तो पालन करना है। मां और बच्चे की गिरफ्तारी पर कोई स्पष्ट गाईडलाईन नहीं है तो मेरा क्या दोष है। गिरफ्तारी के समय वीडियो रिकार्डिंग का कोई गाईडलाईन नहीं है। सर शराबबंदी पूरी तरह फेल्योर है। फाइनेंशर नहीं पकड़ा रहा है। हमारी इच्छा होती है कि मांझी जी के पास जाएं और कहें कि आपके रहते हुए आपकी कौम के लोगों के साथ क्या हो रहा है।“

इन्होंने यह भी बताया कि 1. 04. 2022 के पूर्व शराबबंदी से संबंधित छापामारी और मुकदमा दर्ज करने का कार्य संबंधित क्षेत्र के थानाध्यक्ष करते थे। 1. 04. 2022 से प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार आबकारी थाना को सौंप दिया गया है। इसमें कोई आरोप–पत्र (चार्जसीट) और सुपरविजन नहीं होता है। इंस्पेक्टर स्तर के वरिष्ठ आबकारी पुलिस पदाधिकारी को थानाध्यक्ष बनाया जाता है। जहानाबाद जिला में एक ही आबकारी थाना है क्योंकि यह छोटा जिला है। यहां आबकारी पुलिस अधीक्षक का पद है। नित्यानन्द प्रसाद जहानाबाद के आबकारी पुलिस अधीक्षक हैं।

आबकारी इंस्पेक्टर सह थानाध्यक्ष राजेश कुमार बताते हैं कि इन्होंने 18 अक्टूबर 2023 की शाम में हुलासगंज थानाध्यक्ष को सूचित किया कि आपके थानाक्षेत्र में सुबह 6 बजे से आबकारी की छापामारी की जाएगी। पुनः अगले दिन छापामारी में निकलते समय उन्हें सूचित किया कि हमारी टीम छापामारी के लिए निकल रही है। उन्होंने जवाब दिया था कि चूहरमल चौक हुलासगंज से थाना गश्ती आबकारी की छापामार टीम के साथ हो जाएगी। हमारे साथ 6 गाड़ी थी और हुलासगंज थाना की एक गाड़ी चूहरमल चौक से जुड़ गई। अपने थाना के पुलिस बल के बारे में बताया कि मात्र 5 शैप जवान, 10 होमगार्ड, एक इंस्पेक्टर, 3 सब –इंस्पेक्टर, 4 जमादार का स्ट्रैंथ है, जिसमें कोई ना कोई मेडिकल छुट्टी पर ही रहते हैं। उस दिन रेड करने के लिए मैं 14 पुलिस बल एवं पदाधिकारी के साथ जहानाबाद से निकले थे तो हुलासगंज पुलिस मिलाकर कुल 18 हो गए थे। समय लगभग 7. 30 -7. 45 सुबह का था। यदि हमलोग गिरफ्तारी और छापामारी नहीं करें तो ऊपर से पदाधिकारी शोकौज करते हैं, वेतन रोक देते हैं।

जब हमलोग जहानाबाद के मद्य निषेध उत्पाद थाना से निकलने लगे तो पीयूसीएल जांच दल के एक सदस्य ने थानाध्यक्ष से पूछा कि जिन मुसहरों के पास ना घर में दरवाजा है ना ताला है, उसके घर देर रात–सुबह पर्व–त्योहार किसी भी समय आप धमक जाते हैं लेकिन जिसके पास ताला, दरवाजा और वैध–अवैध हथियार है, उसके घर भी  आप इतनी आसानी से घुस जाते हैं। थानाध्यक्ष ने कहा– ताकतवर के घर कौन घुसने की हिम्मत करता है।

सदर अस्पताल जहानाबाद में मृतका के  चिकित्सा की जानकारी

जांच दल के सदस्यगण जिला अस्पताल जहानाबाद पहुंचे, जहां अधीक्षक मण्डल कारा जहानाबाद के द्वारा बीमार फूलवंती को इलाज हेतु भेजा गया था। पीयूसीएल जांचदल से जहानाबाद सदर अस्पताल में मौजूद ओडी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुनील राय से भेंट की। उन्होंने रजिस्टर देखकर बताया कि मण्डल कारा जहानाबाद के कारा अधीक्षक ने 3 वर्षीया फूलवंती को यहां 20.10. 2023 चिकित्सा के लिए भेजा था। कहा कि जब फुलवा (फूलवंती) अस्पताल में भर्ती हुई थी, तब बेहोशी अवस्था में थी।बच्ची को 5 दिन से बुखार था। उसके फेफड़े में इन्फेक्सन था। फेफड़े में पानी भर गया था। उसे ऑक्सीज़न दिया गया। बेहतर चिकित्सा के लिए  वेंटिलेशन सपोर्ट  की दरकार थी। अस्पताल अधीक्षक ने एक मेडिकल बौर्ड गठित किया। इस बोर्ड में डॉ. राजेश कुमार, डॉ. भास्कर कुमार तथा डॉ. संजय शर्मा शामिल थे। मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा से उसे पीएमसीएच भेजा गया।

निर्दोष फूलवंती की गिरफ्तारी और  मौत बसंती देवी को पुलिस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना शराबबंदी कानून की अवहेलना के आरोप में गिरफ्तारी के रिकार्ड का कीर्तिमान बनाने के लिए गिरफ्तार कर जेल भेजा था। एक भूमिहीन, निर्बल, महादलित स्त्री खुद को निर्दोष साबित करने का न्यायिक संघर्ष कभी नहीं जीत पाएगी। यह आश्चर्य है कि ढाई वर्षीया जिस फूलवंती की गिरफ्तारी को पुलिस ने वसंती की गिरफ्तारी के दौरान प्राथमिकी में दर्ज करने की जरूरत नहीं समझी थी, उस फूलवंती की जेल में मौत के बाद भी किसी के खिलाफ प्राथमिकी मुमकिन नहीं हो पाया है। मीना देवी की गिरफ्तारी के साथ जेल में बंद मीना देवी के पुत्र को भी प्राथमिकी में कहीं दर्ज नहीं किया गया है।

यह दुखद सत्य है कि भाकपा माले ने फूलवंती की मौत पर दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने और 10 लाख रुपए मुआवजा की मांग जरूर की पर माले ने फूलवंती की मौत को “कस्टोडियल डेथ” नहीं कहा है। दुर्गापुर मुसहरी को बसाने वाली भाकपा माले के स्थानीय विधायक फुलवंती की मौत के खिलाफ कोई संघर्ष नहीं कर पाए, यह ज्यादा दुखद है। दुर्गापुर मुसहरी में शिक्षा और मानवाधिकार की रक्षा के प्रति उदासीनता के लिए वर्तमान सरकार के साथ –साथ भाकपा माले की कार्य प्रणाली भी दोषी है।

गरीब निराश्रित के बच्चों की जेलयात्रा को रेलयात्रा के दौरान शिशुओं की मुफ्त यात्रा की तरह देखना गरीबों की जान के साथ जुल्म और अन्याय है। अपनी बेटी की चिकित्सा के लिए माता वसंती को जेल से साथ अस्पताल भेजने वाली पुलिस और जेल प्रशासन ने हिरासत में बेटी की मौत के बाद लाश को पोस्टमार्टम के दरम्यान और अत्येष्टि के बाद वसंती देवी को  जिस तरह बार –बार जेल भेजा यह एक स्त्री के मातृत्व और मानवाधिकार के साथ क्रूरता है। इस क्रूरता के लिए जेल अधीक्षक और जिला प्रशासन प्रथम दृष्टया दोषी है।

शराबबंदी अभियान में मुसहरों के साथ हो रहे जुल्म का अध्ययन– जहानाबाद के निरीक्षक सह थानाध्यक्ष मद्य निषेध उत्पाद थाना का पीयूसीएल जांच कमिटी के समक्ष दिए गए  वक्तव्य से इस बात की पुष्टि हो रही है कि शराबबंदी अभियान के विफलता  की वैज्ञानिक दृष्टि से समीक्षा होनी चाहिए। दुर्गापुर मुसहरी के घटनाक्रम और सुनियोजित दमन चक्र को रेखांकित करते हुए इस बात की पड़ताल जरूरी है कि क्या सच में इस शराबबंदी अभियान में सफलता का कीर्तिमान प्रचारित करने के लिए प्रदेश के सबसे कमजोर मुसहर समाज को जुल्मो–सितम झेलना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबन्दी अभियान के तहत अब तक कुल कितने मुसहरों को जेल भेजा गया। अब तक कितनी फुलवंती माताओं के साथ मुफ्त रेल यात्रा की तरह जेल भेजी गई और कितनी फुलवंती की जेलों  में मौत हुई।

अनुसंशा

1. यह स्पष्ट है कि फुलवंती की न्यायिक हिरासत में मौत हुई।

2. न्यायिक हिरासत में मौत के लिए लिए ज़िम्मेवार आबकारी थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज  हो।

3. गिरफ्तारी में भेद भाव बंद हो।

4. आबकारी के केस का भी ऊपर के पदाधिकारी सुपरविजन करें तथा बेवजह गिरफ्तारी पर रोक लगे।

5. पीनेवाले को बेचने वाला सरीखा मुजरिम बनाकर मुकदमा करना बंद हो।

6. मृतक फुलवंती के आश्रित को मुआवजा दिया जाए साथ ही मृत शिशु की गर्भवती माता को गिरफ्तारी,मारपीट –यंत्रणा के लिए अधिकतम मुआवजा तय हो।

7. प्राथमिकी संख्या 986/23 के तहत गिरफ्तार मीना देवी के शिशु की “ऑफ द रिकार्ड” न्यायिक हिरासत के लिए मुआवजा जारी किया जाए।

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