Friday, March 29, 2024

Awargi

जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद हो जाए तो दीवानगी कहलाती है। इसी दीवानगी को शायरी का लिबास पहना कर तरन्नुम से (गाकर) पढ़ा जाए...

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अब संसदीय लोकतंत्र के तामझाम पर चमक रहा है बिल्कुल नया सामंती ताला  

आम चुनाव में राजनीतिक दलों में कांटे की टक्कर में कांटेदार टकराव और चकराव है। अभी आगे सत्य हकलाता...