Tag: lockdown
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कोरोना महामारी : अमीर इंडिया बनाम गरीब भारत
भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई। देश की शासक जमात के बीच यह तय माना गया कि अब देश में गरीबी नहीं रही/नहीं रहेगी। जो गरीबी इधर/उधर दिखाई देती है वह गरीबों की अपनी वजह से है;…
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हर जरूरतमंद परिवार को 10 हज़ार रुपये देकर भारत में टाला जा सकता है अनलॉक का खतरा
अमेरिका में कल एक दिन में होने वाली मौत का आंकड़ा 2000 के पार निकल गया-2100 और कुल मौतों का आंकड़ा भी दुनिया में सबसे ऊपर पहुंच गया 18860, इटली के 18849 से आगे। ठीक उसी दिन, ट्रम्प अजीब कश्मकश में हैं ! इंडियन एक्सप्रेस में वाशिंगटन से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जहां Medical Experts,…
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गांव से लेकर शहर तक देश भर में मुस्लिम दुकानदारों को नहीं लगाने दी जा रही हैं फल और सब्जियों की दुकानें
नई दिल्ली। कल दोपहर मेरी चचेरी बहन मेरी अम्मी से कहती है, “अम्मी अम्मी जानती हो आज गाँव में कई सब्जी वाले आए थे और बहुत सस्ते दाम में सब्जियां बेंच रहे थे। गाँव भर में हल्ला है वो सब कोरोना फैलाने वाले हैं। सब्ज़ियाँ सस्ते में इसलिए बेच रहे हैं कि लोग सस्ते दाम…
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जयंती पर विशेष: भारतीय पुनर्जागरण के जनक जोतीराव फुले हैं, राजाराम मोहनराय नहीं
(भारत की देशज शोषण-उत्पीड़न और गैर-बराबरी की आर्य-ब्राह्मणवादी व्यवस्था (भारतीय सामंतवाद) को आधुनिक युग में पहली बार चुनौती देने वाले पहले व्यक्तित्व फुले दंपति- जोतीराव फुले और सावित्रीबाई फुले हैं। जिन्होंने सत्य शोधक समाज (1873) के माध्यम से वर्ण-जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृ सत्ता को निर्णायक चुनौती दी। कोई पूछ सकता है कि राजाराम मोहन…
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सूरत की सड़कों पर दिखी पेट की आग, लॉकडाउन तोड़कर मज़दूरों ने किया सैलरी और घर वापसी के लिए प्रदर्शन
नई दिल्ली। सूरत के मज़दूर लॉकडाउन तोड़कर देर रात सड़कों पर उतर आए और उन्होंने जमकर तोड़फोड़ और हंगामा किया। ये सभी अपने-अपने मालिकों से अपनी सैलरी की माँग कर रहे थे। इसके साथ ही अपने घर वापसी की सुरक्षित व्यवस्था चाहते थे। लॉक डाउन के 17 दिन बीत जाने के बाद स्थितियाँ गंभीर होने…