Tag: RSS-BJP
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अब रैदास बिठाये जायेंगे कमल के फूल पर!
लालकिले पर झंडा फहराने के ठीक तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद सत्र के बीचों बीच सागर जिले में जा पहुंचे। उत्तर भारत के कई राज्यों की तरह न सागर में बाढ़ आयी थी, न वहां कोई मणिपुर हो रहा था- मगर इसके बाद भी अति-व्यस्त प्रधानमंत्री ने वहां जाने के लिए समय निकाला…
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स्वतंत्रता दिवस विशेष: चमकती अर्थव्यवस्था के दावों की पोल खोलते आंकड़े
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर इस समय कई जुमले प्रचलित हैं। मसलन, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, संकटग्रस्त दुनिया के बीच भारत अकेला चमकता हुआ स्थल है, चीन के बाद अब भारत विश्व अर्थव्यवस्था का अगला इंजन है, इत्यादि। लेकिन साल 2022-23 के आयकर रिटर्न के आंकड़े फिर से इस…
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सोचने का नहीं अब बुलडोजर के सामने खड़े होने का वक्त है!
इस मानसून सत्र में राहुल गांधी का संसद में लौटना संसदीय लोकतंत्र में एक बड़ी घटना की तरह देखा गया। लेकिन, अब भी वह दृश्य आंखों में खटक रहा है जब संसद में राहुल गांधी ने कहा कि आज मैं दिमाग से नहीं दिल से बोलूंगा। उन्होंने जो भाषण दिया, उसमें दिल कहां था और दिमाग की…
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प्रस्तावित आपराधिक कानून: कानून के जरिए देश में संघ राज स्थापित करने का मसौदा?
केंद्र सरकार ने 1860 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन एविडेंस एक्ट) को प्रतिस्थापित करके देश में आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कदम, केवल कुछ धाराओं की संख्या के बदलाव तक ही सीमित रहेगा या क्रिमिनल…
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जन-हस्तक्षेप जांच दल की रिपोर्ट: मेवात में हिंदू-मुस्लिम दंगे के लिए RSS लंबे समय से तैयार कर रही जमीन
नई दिल्ली। नूंह में सोमवार 31 जुलाई को आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान भड़की हिंसा और उसके बाद हरियाणा व राजस्थान से लगे सीमावर्ती इलाकों में हो रही छिटपुट घटनाओं को देखते हुए जगह-जगह पंचायतें, सम्मेलन और सभा करके संघ-भाजपा सरकार प्रायोजित…
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हेट स्पीच, नूंह-गुरुग्राम दंगा और सुप्रीम कोर्ट
पिछले दस सालों में देश और समाज एक विचित्र समस्या का सामना कर रहा है और वह है, बदतमीजी और घृणा से भरी हुई भाषा या भाषण, जिसे आम तौर पर हेट स्पीच या घृणा वक्तव्य के रूप में जाना जाता है। यह हेट स्पीच धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र या किसी भी रूप में हो…
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नंदिनी सुंदर का लेख: अकादमिक दुनिया की बड़ी क्षति है उमर खालिद की कैद
भारत में मुसलमानों को, कुछ हद तक आदिवासियों की तरह, हमेशा ‘इंटीग्रेट’ (समाहित) होने और ‘मुख्यधारा’ में शामिल होने के लिए कहा जाता है। मुसलमानों और आदिवासियों के बीच अंतर यह है कि ऐसा माना जाता है कि मुसलमान ‘मुख्यधारा’ में आने के इच्छुक नहीं हैं और आदिवासी इसके लिए सक्षम नहीं हैं। ‘मुख्यधारा’ को…