Friday, April 19, 2024

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मणिपुर हिंसा के खिलाफ पंजाब में महिला किसानों का प्रदर्शन, दोषियों को सजा की मांग

मणिपुर में जारी हिंसा, महिलाओं को निर्वस्त्र करके उनका जुलूस निकालने और मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्रहां) की अगुवाई में महिला किसानों ने 6 अगस्त को चंडीगढ़ में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और राजभवन...

30 जनवरी की मानव श्रृंखला में महिलाओं की भी होगी उल्लेखनीय भागीदारी

पटना। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी एक्ट पुनः बहाल करने और प्रस्तावित बिजली बिल-2020 वापस लेने की मांग पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर मानव श्रृंखला आयोजित हो रही...

देश की नारीवादियों ने किसान कानून को ड्रैकोनियन बताते हुए पीएम को लिखा खुला खत

देश की नारीवादियों और महिला अधिकार समूहों ने देश के प्रधानमंत्री के नाम एक खुला पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है- “नारीवादियों और महिलाओं के अधिकार समूहों के रूप में, हम केंद्र सरकार द्वारा पारित ड्रैकोनियन कृषि कानूनों...

चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर महिलाओं में रोष, खत लिखकर जताया सख्त एतराज

ऐतिहासिक किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी पर सर्वोच्च न्यायालय में की गई नकारात्मक टिप्पणियों पर भारत के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित करते हुए 800 से अधिक महिला किसानों और विद्यार्थियों ने एक खुला पत्र लिखा है। उन्होंने...

सामाजिक संघर्ष में तब्दील होता किसान आंदोलन

हाड़ कंपाती ठंड में लगभग डेढ़ माह से दिल्ली सीमा पर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किसानों का मोर्चा धीरे-धीरे सामाजिक संघर्ष में तब्दील होता जा रहा है। किसी भी लड़ाई का चरम बिंदु होता है जब वो...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।