Tag: labour

  • मोदी काल में आम लोगों का जीवन न्यूनतम स्तर पर

    मोदी काल में आम लोगों का जीवन न्यूनतम स्तर पर

    रांची, झारखंंड। लोकतंत्र बचाओ 2024 द्वारा 20 अप्रैल को प्रेस क्लब रांची में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ और रीतिका खेरा द्वारा प्रस्तुत कुछ निष्कर्ष में कहा गया कि भारत में वास्तविक मेहताना (या मज़दूरी) 2014-15 के बाद से नहीं बढ़ी है, जबकि देश की जीडीपी जरूर बेहतर हुई है। इस दौरान…

  • आरएसएस-भाजपा सरकार ने भारत को बना दिया लेबर चौराहा! 

    आरएसएस-भाजपा सरकार ने भारत को बना दिया लेबर चौराहा! 

    धन-धान्य व उपजाऊ भूमि से भरपूर, अपार खनिज संपदाओं से युक्त और सबसे बढ़कर 70 करोड़ से अधिक की युवा आबादी वाले हमारे देश भारत को कॉरपोरेट लूट व मुनाफे के लिए “लेबर चौराहे” में तब्दील कर दिया गया है। जिस तरह प्रत्येक शहर में स्थित लेबर चौराहों पर दिहाड़ी मजदूर मिला करते हैं। आज…

  • ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड में मजदूरों को नहीं मिलती न्यूनतम मजदूरी, घर चलाना भी मुश्किल

    ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड में मजदूरों को नहीं मिलती न्यूनतम मजदूरी, घर चलाना भी मुश्किल

    रामगढ़। झारखंड के रामगढ़ जिले के अन्तर्गत आता है मांडू प्रखंड जिसका एक गांव है कंजी। यहां बसते हैं आदिवासी समुदाय की बेदिया जनजाति के लोग। जिनका मुख्य पेशा मजदूरी है। कुछ लोग खेती-बाड़ी भी करते हैं। बावजूद इसके ये लोग मजदूरी को प्राथमिकता इसलिए देते हैं क्योंकि रामगढ़ जिला कारखानों का हब माना जाता है। रामगढ़…

  • मनरेगा पर सरकार का चौतरफा हमला

    मनरेगा पर सरकार का चौतरफा हमला

    बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के इस दौर में मनरेगा की ग्रामीण भारत में बहुत अहम भूमिका है। मनरेगा ग्रामीण परिवारों को सौ दिन का रोजगार देकर न केवल उनके लिए आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि नागरिको की खरीद शक्ति में इज़ाफ़ा करके बाजार में रौनक भी लाता है। मनरेगा के तहत किए जाने वाले…

  • अवैध खनन बनी मजबूरी, चाल धंसने से दबकर मर रहे हैं मजदूर

    अवैध खनन बनी मजबूरी, चाल धंसने से दबकर मर रहे हैं मजदूर

    गिरिडीह। झारखंड के गिरिडीह में कोयले के अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से मजदूर प्रकाश पासवान की मौत हो गई। बताया जाता है कि सीसीएल ओपेनकास्ट माइंस के ठीक पीछे कोयला माफियाओं के द्वारा अवैध कोयला खदान का संचालन किया जा रहा था और खदान से कोयला निकालने का काम चल रहा था। इसी दौरान चाल धंस…

  • मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ झारखंड में चलेगा मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान

    मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ झारखंड में चलेगा मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान

    जब मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम पर बात होती है तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि मनरेगा की अवधारणा क्यों और कब तैयार की गई। तो बता दें कि नरेगा यानी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना को 7 सितंबर 2005 को इस योजना को अधिनियमित किया गया और 2 अक्टूबर…

  • आजमगढ़ ग्रामीण अंचल पहुंची मजदूर-किसान-नौजवान अधिकार यात्रा

    आजमगढ़ ग्रामीण अंचल पहुंची मजदूर-किसान-नौजवान अधिकार यात्रा

    आजमगढ़। हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, एक करोड़ रिक्त पड़े पदों को भरने, एमएसपी की कानूनी गारंटी, महंगाई पर रोक लगाने, किसानों को सस्ते दर पर खाद बीज आदि मुहैया कराने व मुफ्त बिजली, लोकतंत्र की रक्षा, ईडी सीबीआई के दुरुपयोग को रोकने और यूएपीए, देशद्रोह जैसे काले कानूनों को खत्म करने…

  • मनरेगा मजदूरों ने समय पर भुगतान न होने पर मुआवजा और काम न होने पर बेरोजगारी भत्ते की मांग की

    मनरेगा मजदूरों ने समय पर भुगतान न होने पर मुआवजा और काम न होने पर बेरोजगारी भत्ते की मांग की

    झारखंड। कहना ना होगा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून (मनरेगा) देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने वाली एकमात्र योजना है। जिसने 2008 के वैश्विक आर्थिक सुनामी और 2020 में विश्वव्यापी कोरोना संकट में लोगों के लिए जीवनरेखा साबित हुई। लेकि न वर्तमान में केंद्र सरकार एवं राज्य की सरकारों…

  • एक चुनौती है गरीब किसान-मजदूर की आत्महत्या

    एक चुनौती है गरीब किसान-मजदूर की आत्महत्या

    देश के दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्याओं के आंकड़े, उनकी दर्दनाक हालात बयान करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हाल ही में 2021 के जारी किए आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ग में आत्महत्याओं का अनुपात अन्य वर्गों की तुलना में कहीं अधिक है। कुल आत्महत्याओं में से 25.6 प्रतिशत इसी वर्ग से संबन्धित हैं। उनकी…

  • प्रयागराज: जब एक पिता को कंधे पर बेटे की लाश को लेकर तय करना पड़ा 35 किमी का सफर

    प्रयागराज: जब एक पिता को कंधे पर बेटे की लाश को लेकर तय करना पड़ा 35 किमी का सफर

    प्रयागराज। एक भूमिहीन कृषि मज़दूर के दस वर्षीय बेटे (जिसके परिवार का राशन कार्ड भी नहीं बना) शुभम ने जब सुना कि गांव के मंदिर में सावन का भंडारा है तो वो बहुत खुश हुआ कि आज भर पेट भोजन मिलेगा। पूड़ी, सब्जी, हलवा खाकर उसके नन्हें से पेट की अतृप्त क्षुधा को तृप्ति मिलेगी।…