Tag: munda

  • झारखंड में बिरसा मुंडा स्मारक बना  सरकारों की उपेक्षा का शिकार

    झारखंड में बिरसा मुंडा स्मारक बना सरकारों की उपेक्षा का शिकार

    जलियांवाला बाग (13 अप्रैल 1919 ) से पहले का जलियांवाला बाग, यानी अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का पहला गवाह बना था, झारखंड के खूंटी जिला अंतर्गत मुरहू प्रखंड का डोंबारी बुरू, जहां आज से ठीक 118 साल पहले 9 जनवरी 1900 को ब्रिटिश सेना-पुलिस और बिरसा मुंडा के आंदोलनकारियों बीच जंग छिड़ी थी। सईल रकब से लेकर डोंबारी बुरू तक…

  • रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र आलिंगन!

    रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र आलिंगन!

    संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजों से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की जेल में फांसी पर लटका दिए गए बिरसा मुण्डा के जन्मदिन…

  • बिरसा मुंडा का उलगुलान कंपनीराज के खिलाफ था: दीपंकर

    बिरसा मुंडा का उलगुलान कंपनीराज के खिलाफ था: दीपंकर

    बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर झारखंड के रांची के बगईचा में जुटे देश भर से आये आदिवासी आन्दोलनकारी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित ‘आदिवासी अधिकार कन्वेंशन’ को संबोधित करते हुए भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि जिस कंपनीराज के खिलाफ बिरसा मुंडा ने उलगुलान किया था, आज मोदी जी झारखण्ड समेत…

  • आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी मजदूर नेता पर लगाया गया सीसीए

    आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी मजदूर नेता पर लगाया गया सीसीए

    झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के जोड़ापोखर हाई स्कूल कॉलोनी निवासी झारखंड कामगार मजदूर यूनियन एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष जॉन मीरन मुंडा पर जिला प्रशासन ने 13 सितम्बर, 2021 को 6 माह के लिए सीसीए लगा दिया है और उन्हें अपने कार्यक्षेत्र झींकपानी व टोंटो थाना क्षेत्र से थानाबदर करते…

  • रंजन मुण्डा के लिए अर्थहीन है आज़ादी

    रंजन मुण्डा के लिए अर्थहीन है आज़ादी

    गुलाम भारत में जो पैदा हुआ हो और आजाद भारत में जब उसके जीवन में कोई व्यवस्थागत बदलाव न दिख रहा हो, तो उसके लिए आजादी अर्थहीन हो जाती है। बस इसी अर्थहीन आजादी की पीड़ा से पीड़ित हैं गुलाम भारत में पैदा हुए झारखंड के लातेहार जिले में केराखाड़ गांव के निवासी 80 वर्षीय…

  • क्या आदिवासी समाज में भी आ गयी है खापों की बीमारी?

    क्या आदिवासी समाज में भी आ गयी है खापों की बीमारी?

    मुंडा आदिवासी समुदाय में भी अन्य आदिवासी समाज की तरह एक ही किलि में शादी करना निषेध है।  लेकिन अगर ऐसा हो जाता रहा  है तो किलि को कुछ नेग द्वारा ऊपर नीचे करके एक सहजता के साथ शादी को मान्यता दे दी जाती रही है। कोई मुंडा मानकी व्यवस्था में 50 हज़ार का दंड…

  • बिरसा मुंडा: 25 साल का जीवन, 5 साल का संघर्ष और भगवान का दर्जा!

    बिरसा मुंडा: 25 साल का जीवन, 5 साल का संघर्ष और भगवान का दर्जा!

    भारत के इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नायक हैं जिन्होंने झारखंड में अपने क्रांतिकारी विचारों से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आदिवासी समाज की दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। अंग्रेजों द्वारा थोपे गए काले कानूनों को चुनौती देकर बर्बर ब्रिटिश साम्राज्य को सांसत में डाल दिया। बिरसा मुंडा…

  • माओवादी के नाम पर गिरफ्तार नाजिर मुंडा की रिहाई को लेकर आंदोलन की चेतावनी

    माओवादी के नाम पर गिरफ्तार नाजिर मुंडा की रिहाई को लेकर आंदोलन की चेतावनी

    विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन, झारखंड इकाई के संयोजक दामोदर तुरी और मनोनीत संयोजक शैलेन्द्र सिन्हा ने एक संयुक्त  प्रेस बयान जारी कर बताया है कि पिछली 25 जनवरी, 2021 को अपराह्न 3  बजे दिन में सामाजिक कार्यकर्ता नाजीर मुण्डा को सरायकेला-खरसावां जिले के पुलिस प्रशासन द्वारा कुचाई थाना अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया, तथा मनगढ़ंत…

  • अमर शहीद बिरसा मुंडा की विरासत

    अमर शहीद बिरसा मुंडा की विरासत

    अमर शहीद बिरसा मुंडा 19 वीं सदी के अंतिम दशक में हुए स्वतंत्रता आंदोलन के महान लोकनायक थे। उनका ‘उलगुलान’ (आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी का संघर्ष) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। इस आंदोलन ने आधे दशक से भी अधिक समय तक अंग्रेजी हुकूमत के दाँत खट्टे कर दिये थे। जिस…

  • बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर विशेष : “नहीं बदली व्यवस्था, बनी हुई है उलगुलान की जरूरत”

    बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर विशेष : “नहीं बदली व्यवस्था, बनी हुई है उलगुलान की जरूरत”

    ”मैं केवल देह नहीं मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं मैं भी मर नहीं सकता मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता उलगुलान! उलगुलान!! उलगुलान!!!” ‘बिरसा मुंडा की याद में’ शीर्षक से यह कविता आदिवासी साहित्यकार हरीराम मीणा ने लिखी है। ‘उलगुलान’ यानी आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर…