Year: 2017

  • मनमाफ़िक ख़बरें न लिखने पर शामली में दलित पत्रकार का पुलिसिया उत्पीड़न!

    मनमाफ़िक ख़बरें न लिखने पर शामली में दलित पत्रकार का पुलिसिया उत्पीड़न!

    पत्रकारों ने जुलूस निकालकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया शामली। एक दलित पत्रकार को पुलिस के मनमाफ़िक ख़बर नहीं लिखने की भयानक सजा भुगतनी पड़ रही है। पुलिस ने एक जातिवादी संगठन के आपराधिक छवि वाले स्वयंभू नेता की तरफ से गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा कर शामली के इस वरिष्ठ पत्रकार को अपराधियों की…

  • मृत सफ़ाई कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख मुआवज़ा दे सरकार : स्वराज इंडिया

    मृत सफ़ाई कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख मुआवज़ा दे सरकार : स्वराज इंडिया

    दिल्ली में पिछले 37 दिनों में सीवर के अंदर दस सफ़ाई कर्मियों की दु:खद मौत हो चुकी है। बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर के अंदर जाने से और ज़हरीली गैस के कारण इतने बेकसूर ग़रीब लोग जान गंवा बैठे। इन सभी दर्दनाक मौतों की मुख्य वजह सरकारी लापरवाही और नियम कानूनों का उल्लंघन पाया गया है। …

  • मीरा-भाईंदर में सेना के नहीं लोकल दादागीरी के पैर उखड़े हैं

    मीरा-भाईंदर में सेना के नहीं लोकल दादागीरी के पैर उखड़े हैं

    इस साल फरवरी में बीएमसी (ब्रह्न्न मुंबई कार्पोरेशन) चुनाव नतीजों के ठीक अगले दिन, मुंबई की एक लोकल ट्रेन में, कुछ सब्जी वाले स्थानीय मुंबईकरों और भय्यों यानी मराठियों और हिंदी बोलने वालों के बीच होने वाली तू-तू–मैं-मैं का मैंने राजनीतिक विश्लेषण करते हुए सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखी थी, जो करीब-करीब वायरल हो गयी थी।…

  • यूपी में अस्पतालों को मौत के घर में बदलने की तैयारी

    यूपी में अस्पतालों को मौत के घर में बदलने की तैयारी

    लखनऊ। ऐसे समय में जबकि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गयी है। आक्सीजन के सिलेंडरों के समय से आपूर्ति न हो पाने के पीछे पैसे की कमी प्रमुख कारण रहा है। तब यूपी की योगी सरकार ने स्वास्थ्य के बजट में आधे की कटौती करने का फैसला किया…

  • प्रधानमंत्री जी, देश ईंट-गारे से बनने वाली एक इमारत नहीं!

    प्रधानमंत्री जी, देश ईंट-गारे से बनने वाली एक इमारत नहीं!

    अच्छी शिक्षा-सेहत, शांति-सद्भाव और सबकी समृद्धि से बनेगा भव्य भारत! स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से इस मौके पर दिये अपने पहले के भाषणों के मुकाबले कुछ कम बोला। इस बार उनका भाषण तकरीबन 55 मिनट का था। नई बातें बहुत कम थीं। जो बातें वह पहले कई बार कह…

  • हर फरियादी हो गया है अल्पसंख्यकः रवीश

    हर फरियादी हो गया है अल्पसंख्यकः रवीश

    अहमदाबाद। शनिवार को चंद्रकांत दरू मेमोरियल ट्रस्ट ने एनडीटीवी के पत्रकार रविश कुमार को निडर पत्रकारिता के लिए चन्द्रकांत दरू मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया। इससे पहले पत्रकारिता के लिए अरुण शौरी, बंधुआ मजदूरों की मुक्ति पर काम करने वाले स्वामी अग्निवेश और नर्मदा विस्थापितों के मामले पर अनिल पटेल को सम्मानित किया जा चुका…

  • हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष का बेटा छेड़छाड़ के मामले में गिरफ़्तार

    हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष का बेटा छेड़छाड़ के मामले में गिरफ़्तार

    चंडीगढ़। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को एक युवती से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि विकास और उसके साथी आशीष ने शुक्रवार देर रात अपनी गाड़ी से एक युवती की गाड़ी का पीछा किया और उसकी गाड़ी रुकवाने की कोशिश…

  • आज की सुबह पहले जैसी न थी, हवाओं में खून से सनी गंध महसूस की जा सकती थी

    आज की सुबह पहले जैसी न थी, हवाओं में खून से सनी गंध महसूस की जा सकती थी

    चालीस साल की बसासत का एक शांतिप्रिय शहर पल भर में तहस नहस हो जाता है। 28 लोगों के खून से सनी मेरे इस खूबसूरत शहर की मिट्टी का दर्द क्यों कोई जाने। उन्हें बस जुमलेफेंकने आते हैं। अजीबो-गरीब तर्क देने आते हैं। वे कुर्सी पर काबिज रह कर भी जवाबदेही से बचना चाहते हैं। प्रश्न गहरे हैं और हमारी बेचैनियां उस से भी ज्यादा गहरी हैं। क्योंकि उन प्रश्नोंके उत्तर हमारे पास नहीं हैं।  हमने एक अरसे से एक आदत बना रखी है कि धर्म और संस्कृति से जुड़े सवालों को हम या तो अंधभक्ति से सुलझाना चाहते हैं या राजनेताओं की बिसात परबिछी शतरंज की चालों के द्वारा। दोनों तरीकों से प्रश्न और उलझते हैं।  हम और अकेले हो जाते हैं। संस्कृति के मानवीय मूल्य तक हमारा साथ छोड़ने की हद तक चले गए दिखाई देते हैंऔर हमारे साथ जो खेल खेला जा रहा होता है उसके नायक या तो व्याभिचारी बाबा होते हैं या भ्रष्ट राजनेता। इन दोनों की मिलीभक्त से मेरे प्रिय शहर का जो हाल हुआ उसे मैंने अपनीआँखों से देखा। इन आँखों में अब आंसू भी नहीं हैं। आँखे बस घूर रही हैं अजनबी हो गयी मानवीय संवेदनाओं को। किस के पास इसका उत्तर है? मन बहुत आहत है… कल के घटनाक्रम से मन आहत है। आज की सुबह पहले जैसी न थी। हवाओं में खून से सनी गंध महसूस की जा सकती थी। अखबारों के पन्ने बलात्कारी बाबा और नकारा सरकार की कारगुजारियों को प्रमुखता से उजागर कर रहे थे। मीडिया की सक्रियता और उच्च न्यायालय का दखल…

  • उर्मिलेश की कलम से: बिहार के ‘गुनहगार’!

    उर्मिलेश की कलम से: बिहार के ‘गुनहगार’!

    आजादी के बाद से ही बड़े बदलाव के लिये बेचैन बिहार के ‘दो बड़े गुनहगारों’ की सूची बनाई जाय तो इसमें राज्य में सामंती दमन-उत्पीड़न और यथास्थिति को बरकरार या बढ़ाकर रखने वाले कांग्रेसी या भाजपाई नेता नहीं होंगे! इस सूची में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार, दो बड़े नाम होंगे, जिनसे लोगों ने…

  • कैबिनेट के आगे समर्पित एक राष्ट्रपति की प्रभावहीन पारी

    कैबिनेट के आगे समर्पित एक राष्ट्रपति की प्रभावहीन पारी

    सन् 2012 में कांग्रेस के वरिष्ठ और बहुत पढ़े-लिखे समझे जाने वाले नेता प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति बने तो सिर्फ उनके प्रशंसकों को ही नहीं, अनेक देशवासियों को लगा था कि वह शानदार राष्ट्रपति साबित होंगे। उनमें अच्छा राष्ट्रपति बनने की पूरी संभावना थी। वह एक तपे-तपाये राजनेता के साथ बौद्धिक भी थे। उनके संदर्भ…