मुस्लिम छात्र को बच्चों से पिटवाने वाली शिक्षिका के खिलाफ दर्ज होगा एफआईआर, एनसीपीसीआर ने एसएसपी को दिया निर्देश

Estimated read time 1 min read

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मुस्लिम बच्चे को दूसरे समुदाय के बच्चों से थप्पड़ मरवाने के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने आरोपी शिक्षिका के खिलाफ मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एफआईआर दर्ज करने और जांच शुरु करने का निर्देश दिया है। एनसीपीसीआर ने एसएसपी को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है।

मामला मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल का है जहां शिक्षिका ने अपनी कक्षा में बच्चों को एक-एक करके एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का निर्देश दिया था। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। एनसीपीसीआर ने मुजफ्फरनगर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 17 (बच्चे को शारीरिक दंड/मानसिक उत्पीड़न) के तहत मामले में कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।

वायरल वीडियो में एक शिक्षिका, छात्र के मुस्लिम धर्म का जिक्र करते हुए और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक बात करते हुए दिखाई दे रही है। वीडियो के आधार पर एनसीपीसीआर ने कहा कि ”मुजफ्फरनगर जिले में स्थित एक स्कूल में नाबालिग छात्र को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होते देखा गया है।” आयोग ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 17 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 का उल्लंघन है।”

जेजे अधिनियम की धारा 75 में कहा गया है कि “यदि ऐसा अपराध किसी ऐसे संगठन में कार्यरत या प्रबंधन करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिसे बच्चे की देखभाल और सुरक्षा सौंपी गई है, तो उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो पांच साल तक बढ़ सकता है साथ ही जुर्माना भी देना होगा जो पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।”

आयोग ने आगे कहा है कि चूंकि उत्पीड़ित बच्चे और इसमें शामिल अन्य बच्चों को सुरक्षा की जरूरत है, इसलिए पीड़ित और कक्षा के अन्य बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाए और सभी बच्चों को सुरक्षा प्रदान की जाए जिससे बच्चों को “आवश्यक परामर्श” प्रदान किया जा सके।

आयोग ने डीएम से स्कूल मान्यता प्राप्त है या नहीं, इसकी जानकारी देने और मान्यता का प्रमाणपत्र पेश करने को कहा है। आयोग ने अधिकारी से स्कूल में नामांकित बच्चों की कुल संख्या, शिक्षकों की कुल संख्या और उनकी योग्यताओं के बारे में विवरण भी मांगा है और पूछा है कि क्या पिछले पांच वर्षों में बाल अधिकारों पर शिक्षकों के लिए कोई अभिविन्यास या प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।

यह घटना मंसूरपुर पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले खुब्बापुर गांव की है जहां गुरुवार को नेहा पब्लिक स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने छात्रों को पीड़ित के पास जाने और उसे थप्पड़ मारने का आदेश दिया।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

You May Also Like

More From Author

3 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments