पंजाब के नेताओं के दबाव में भाजपा ने राजस्थान के नेता संदीप दायमा को पार्टी से निकाला

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चंडीगढ़। भाजपा की पंजाब इकाई के कड़े रुख के बाद राजस्थान के नेता संदीप दायमा को पार्टी से निकाल दिया गया है। गौरतलब है कि संदीप ने गुरुद्वारों और मस्जिदों पर विवादास्पद टिप्पणी की थी। हालांकि बाद में बाकायदा सोशल मीडिया पर रूबरू होकर इसके लिए माफी भी मांग ली थी लेकिन पंजाब में यह मामला गर्मा गया है। 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, भाजपा महिला मोर्चा की राज्य अध्यक्ष जय इंदर कौर ने इस बाबत पार्टी आलाकमान से बात की और एतराज जताया। सुनील कुमार जाखड़ ने भाजपा हाई कमान को चिट्ठी लिखी थी और उन्होंने पुष्टि की है कि अब संदीप दायमा को पार्टी से निकाल दिया गया है।

उन्होंने X पर पोस्ट लिखकर कहा-“नागरिकों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ राजस्थान के बीजेपी नेता को माफ नहीं किया जा सकता है।” जाखड़ दो-टूक कहते हैं कि संदीप की बयानबाजी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है और पंजाब के सिख और हिंदू इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसलिए सूबे में आक्रोश फैल गया है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी संदीप दायमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उनकी बेटी जय इंदर कौर पंजाब भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी की राज्य इकाई ने चंडीगढ़ के सेक्टर-39 थाने में दायमा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। जय इंदर कौर कहती हैं, “गुरुद्वारों और मस्जिदों के खिलाफ संदीप दायमा की टिप्पणी ने हमारी भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाया है। सिर्फ जुबानी माफी मांगने से उन्हें माफ नहीं किया जा सकता। कानूनन उन पर एक्शन होना चाहिए।”

पंजाब भाजपा से जुड़े कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने संदीप दायमा की टिप्पणी के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इनमें राजपुरा जिला देहाती प्रधान व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्य जत्थेदार सुरजीत सिंह गढ़ी सहित कई मंडल प्रधान हैं।

भाजपा आलाकमान को भेजे पत्र में नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लिखा है कि राजस्थान में हुए कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता संदीप दायमा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वह अन्य वरिष्ठ नेताओं के सामने गुरुद्वारा साहिब को गिराने के अलावा अन्य आपत्तिजनक शब्द बोले हैं, जो बर्दाश्त से बाहर हैं।

इस्तीफा देने वालों में किसान मोर्चे के जसबीर सिंह, शंभू के प्रधान बलविंदर सिंह, बचित्तर सिंह, बहादुर सिंह, सुरेंद्र सिंह, अमृतपाल सिंह, सुखदेव सिंह, सतनाम सिंह, जसवीर सिंह, बलविंदर सिंह सहित कई मंडल प्रधान शुमार हैं। 

संदीप दायमा की टिप्पणी के बहाने बता दें कि पंजाब भाजपा में कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। तकरीबन दो साल पहले कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील कुमार जाखड़ प्रमुख नेताओं में शामिल थे। लेकिन कई मुद्दों पर कैप्टन और जाखड़ के भाजपा आलाकमान से मतभेद हैं। हासिल जानकारी के मुताबिक कैप्टन से वादा किया गया था कि उन्हें किसी प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया जाएगा। महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश की चर्चा थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बताया जाता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भीतर ही भीतर वादाखिलाफी से खफा हैं। उनके साथ कुछ अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी भाजपा में चले गए थे। कुछ पिछले दिनों वापस लौट आए। सरगोशियां हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भी भाजपा छोड़ सकते हैं। पूछने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस ‘इनकार’ के भी कई मायने हैं। 

उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ के भीतर का ‘कांग्रेसी’ भी अक्सर जाग पड़ता है। हरियाणा में भाजपा की सरकार है और सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे को लेकर पंजाब और हरियाणा में तकरार है। जाखड़ पंजाब के साथ खड़े हैं। उनका साफ कहना है कि, “हरियाणा को पीने के लिए पानी चाहिए तो पंजाब दे सकता है लेकिन कृषि के लिए नहीं। यह पंजाब के किसानों के साथ धोखा होगा। मैं इसके पक्ष में नहीं।” 

प्रसंगवश, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी सहित कई राजनीतिक और धार्मिक तथा सामाजिक संगठनों ने संदीप दायमा के बयान की निंदा की है जो उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में दिया था।    

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं।) 

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