नई दिल्ली। मणिपुर में 3 मई को शुरू हुए हिंसा के बाद न सिर्फ कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। बल्कि शासन-प्रशासन में नियुक्त अधिकारी कर्मचारी भी एक दूसरे से दूर जा रहे हैं। अविश्वास इस हद तक बढ़ गया है कि अब जनप्रतिनिधियों को भी कुकी-मैतेई के नाम पर दंडित और पुरस्कृत किया जा रहा है। मणिपुर विधानसभा की विभिन्न समितियों से कुकी विधायकों को हटाकर मैतेई और नगा विधायकों को पदस्थापित किया जा रहा है।
विधानसभा की तीन समितियों, जिसके अध्यक्ष कुकी-जो समुदाय के विधायक थे, उनको हटाकर मैतेई विधायकों को अध्यक्ष बना दिया गया है। जिन तीन विधायकों को बदला गया, उनमें से एक भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने वाला निर्दलीय विधायक हैं, जबकि दो अन्य सत्तारूढ़ भाजपा से ही विधायक निर्वाचित हुए हैं। यानि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह एवं उनकी सरकार अपने विधायकों का विश्वास खो चुकी है।
हालांकि नई नियुक्तियों की घोषणा करते हुए बुधवार को जारी विधानसभा बुलेटिन में कोई कारण नहीं बताया गया है। मणिपुर में कुकी-जो समुदाय के 10 विधायक हैं। जिनमें से सात सत्तारूढ़ भाजपा से हैं। लेकिन 3 मई को राज्य में शुरू हुए जातीय हिंसा के बाद वे सब राजधानी इंफाल से दूर रहे हैं। कुकी-जो विधायक राजधानी इंफाल सुरक्षा कारणों से नहीं आ रहे हैं।
मणिपुर विधानसभा राज्य की राजधानी इंफाल में स्थित है। 3 मई को मैतेई और कुकी के बीच झड़प के तुरंत बाद सुरक्षा कारणों से राज्य में पलायन शुरू हो गया। राज्य में हिंसा नियंत्रित करने के लिए 29 अगस्त को बुलाए गए एक दिवसीय विधानसभा सत्र में भी कुकी विधायक सुरक्षा कारणों से शामिल नहीं हुए थे।
मणिपुर विधानसभा के सचिव के. मेघजीत सिंह ने बुधवार को जारी विधानसभा बुलेटिन में कहा कि “मणिपुर विधान सभा के अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह ने मयंगलमबम रामेश्वर सिंह (भाजपा विधायक) को सार्वजनिक उपक्रमों की समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्नता व्यक्त किया है।” काकचिंग विधायक ने चुराचांदपुर के भाजपा विधायक एल.एम. खाउते की जगह ली है।
एक अन्य बुलेटिन में, मेघजीत सिंह ने कहा कि “स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत सिंह ने चार बार के सैतू विधायक हाओखोलेट किपगेन (निर्दलीय) के स्थान पर माओ विधायक लोसी दिखो (नागा पीपुल्स फ्रंट) को सरकारी आश्वासनों पर समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। भाजपा के लामलाई विधायक खोंगबंताबम इबोमचा ने पार्टी सहयोगी थानलोन विधायक वुंगजागिन वाल्टे की जगह विधानसभा पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष का पदभार संभाला है।”
जिस तरह से राज्य सरकार निर्णय ले रही है उससे यह साबित होता है कि कुकी समुदाय की सुरक्षा चिंता महज आशंका नहीं है। इसके पीछे ठोस कारण हैं। उनको डर है कि यदि वे मैतेई बहुल इंफाल आते हैं तो उनपर हमला हो सकता है और पुलिस प्रशासन उनकी सुरक्षा नहीं करेगी। इसी तरह की आशंका के चलते कुकी छात्र भी इंफाल विश्वविद्यालय से अपना ट्रांसफर चुराचांदपुर और अन्य कुकी बहुल पहाड़ी जिलों के कॉलेजों में करा रहे हैं। यहीं नहीं पुलिस, प्रशासन और न्यायिक सेवा में कार्यरत कुकी अधिकारी भी घाटी के जिलों से पहाड़ी जिलों में अपना स्थानांतरण करा रहे हैं।
10 कुकी-ज़ो विधायकों ने 12 मई को एक अलग प्रशासन की मांग की थी क्योंकि राज्य सरकार घाटी में कुकी-ज़ो समुदायों की रक्षा करने में “विफल” रही थी।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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