सामूहिक बलात्कार के बाद दोनों नाबालिग महादलित बच्चियों को जान से मारने का हुआ प्रयास, एक की मौत

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पटना। फुलवारीशरीफ के हिंदुनी गांव में दो महादलित नाबालिग बच्चियों के साथ संभावित सामूहिक बलात्कार कांड की जांच में आज भाकपा-माले व ऐपवा की एक उच्चस्तरीय टीम उक्त गांव में पहुंची। टीम में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, आफ्शा जबीं, नसरीन बानो, अफसाना, जितनी देवी और भाकपा-माले के गुरूदेव दास, शरीफा मांझी व साधुशरण दास शामिल थे।

जांच टीम के हवाले से का. मीना तिवारी ने कहा कि यदि समय पर प्रशासन सक्रिय हो जाता तो शायद दोनों नाबालिग बच्चियों की जान बचाई जा सकती थी। 8 वर्ष की एक बच्ची की मौत हो चुकी है जबकि दूसरी पटना एम्स में जिंदगी-मौत से जूझ रही है। वह फिलहाल कोमा में है। हमारी सबसे पहली मांग है कि सरकार दूसरी बच्ची के समुचित इलाज व सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करे। डॉक्टरों का कहना है कि उसके शरीर पर एडमिट होने के 13-14 घंटे पहले की गंभीर चोटे हैं।

आगे कहा कि 8 जनवरी की शाम में ही इन बच्चियों के परिजनों ने थाने में जाकर गुहार लगाई थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। 8 जनवरी को कुहासे से भरी सुबह ये दोनों बच्चियां जलावन लाने बगल के गांव आलमपुर गई थीं। उसके बाद वे घर लौटी ही नहीं। काफी खोजबीन के बाद परिवार के लोग शाम में थाने पहुंचे थे, लेकिन वहां थानेदार ने यह कहते हुए उन्हें लौटा दिया कि हो सकता है इधर-उधर चली गई हो, शाम को आ जाएगी। प्रशासन को यह सोचना चाहिए था कि बच्चियां नाबालिग हैं, तो वे कहां जाएंगी? इसलिए स्थानीय पुलिस की लापरवाही का मामला उजागर होता है।

गांव वालों ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले गांव की ही एक अधेड़ दलित महिला के साथ बलात्कार की वीभत्स घटना को अंजाम दिया गया था। उनके प्राइवेट पार्ट में पत्थर व छड़ घुसेड़ दिए गए थे। उनके अपराधी आज तक नहीं पकड़े गए। इस मामले में भी प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने आई। हो सकता है कि इसके कारण अपराधियों-बलात्कारियों का मनोबल और बढ़ गया हो।

जिस बच्ची की मौत हो चुकी है, उसकी मां विकलांग है और परिवार में यही दोनों लोग हैं। दूसरी बच्ची अपने नाना के यहां आई हुई है। दोनों परिवार बेहद गरीब हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का बहुप्रचारित उज्जवला योजना मजाक बनकर रह गया है। महादलित परिवारों को जलावन के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।

अगले दिन 9 जनवरी की सुबह एक प्रॉपर्टी डीलर जब जमीन की नापी करने गया था तो उसने दोनों बच्चियों को पूरी तरह नग्न अवस्था में देखा। एक की मौत हो चुकी थी जबकि दूसरी उसी के पास बैठी हुई थी। मृतक बच्ची के सिर से लेकर गुप्तांग से काफी खून निकल रहा था। दूसरी बच्ची इतनी सहम गई थी कि वह अपने नाना को भी पास नहीं आने दे रही थी। इसके बाद ही पुलिस आई। स्थानीय लोग भी जुट गए थे और तब इलाज हेतु उक्त बच्ची को एम्स भेजा गया।

भाकपा-माले व ऐपवा की टीम ने दोनों नाबालिग बच्चियों के परिजनों से मुलाकात की। उनके परिजनों की किसी से अदावत भी नहीं है। इसलिए मामला सामूहिक बलात्कार का ही बनता है। मीना तिवारी ने कहा कि राजधानी की नाक के ठीक नीचे इस तरह की जघन्य घटना हतप्रभ कर देने वाली है।

महागठबंधन सरकार को ऐसे अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मसले से मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जाएगा। जांच टीम ने मांग की है कि परिजनों को मुआवजा दिया जाए और अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए।

(भाकपा-माले की प्रेस विज्ञप्ति।)

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