हैदराबाद पुलिस ने फिल्म ‘राम के नाम’ दिखाने पर लगाई रोक, तीन को किया गिरफ्तार

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नई दिल्ली। हैदराबाद में ‘राम के नाम’ डाक्यूमेंटरी दिखाने पर सूबे की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आपको बता दें कि बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने पर बनायी गई आनंद पटवर्धन की यह डाक्यूमेंटरी बेहद चर्चित डाक्यूमेंटरी में से एक है। फिल्म सैनिकपुरी स्थित एक कैफे में दिखायी जा रही थी। स्क्रीनिंग हैदराबाद सिनेफाइल्स नाम के एक समूह द्वारा किया जा रहा था जो नियमित इस तरह के समानांतर फिल्मों की स्क्रीनिंग करता रहता है। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक आनंद सिंह और पराग वर्मा के अलावा कैफे के मालिक सुरजन को पुलिस ने कल शाम को 9.30 बजे ही उठा लिया था।

गिरफ्तारी विश्व हिंदू परिषद के एक सदस्य ऋत्विक पांडरंगी की शिकायत पर की गयी है। अपनी शिकायत में ऋत्विक ने कहा कि डॉक्यूमेंटरी की स्क्रीनिंग गैरकानूनी है। उन्होंने दावा किया कि फिल्म की स्क्रीनिंग जानबूझ कर राम मंदिर के उद्घाटन से पहले सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद सिनेफाइल्स की सोच हिंदू धर्म के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि समूह वीएचपी के खिलाफ अपमानजनक बयान देता रहता है।

शिकायत के बाद पुलिस ने धारा 290, 295ए, धारा 34 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। स्क्रीनिंग में शामिल होने वाले एक सदस्य से टीएनएम ने बात की। उसका कहना था कि तकरीबन 7.45 पीएम पर स्क्रीनिंग शुरू हुई जिसमें तकरीबन 15 लोग मौजूद थे। तकरीबन 8.30 बजे कुछ लोगों का एक समूह स्क्रीनिंग स्थल पर पहुंच कर तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। और स्क्रीनिंग को बाधित कर दिया। तीन चार पुलिस वालों के साथ तीन और लोग दिखे। पुलिस ने 7 लोगों को हिरासत में ले लिया। जिसमें तीन महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस ने इस तरह की फिल्म के प्रदर्शन के पीछे मंशा जानने की कोशिश की। हमने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि डाक्यूमेंटरी देखना हमारा अधिकार है जो इतिहास का एक जरूरी हिस्सा है।

आनंद पटवर्धन की यह डॉक्यूमेंटरी 1992 में रिलीज हुई थी। जिसमें 1990 के दौर में रामजन्म भूमि आंदोलन को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। इसके साथ ही इसमें आंदोलन के पीछे की राजनीति और फिर मस्जिद के ढहाने तक की पूरी कहानी शामिल है। यह राजनीति और धर्म के बीच के जटिल रिश्ते की भी व्याख्या करती  है। इस डॉक्यूमेंटरी पर कई बार रोक लगाने की कोशिश की गयी। हालांकि कानूनी तौर पर इस पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि दूरदर्शन ने 1996 में इस डाक्यूमेंटरी का प्रसारण किया था।

इस समय आनंद सिंह और पराग वर्मा के अलावा कैफे के मालिक सुरजन पुलिस की हिरासत में हैं और उन्हें कल मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।

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