कर्नाटक में कांग्रेस 17 और बीजेपी-जेडीएस को 11 लोकसभा सीट हासिल होने का अनुमान  

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2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही जिस एक चुनावी एजेंसी को लेकर देश-दुनिया में खूब चर्चा हुई, उसी संस्था की ओर से कल 20 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव को लेकर पूर्वानुमान जारी किये गये हैं। सबसे सटीक चुनावी सर्वेक्षण करने वाली एजेंसी के तौर पर देश में अपनी पहचान बनाने वाली संस्था ईदिना (Eedina) ने लोकसभा चुनावों को लेकर अपना पूर्वानुमान जारी कर दिया है। पिछले साल भी जब सारे स्थापित चुनावी सर्वे एजेंसियों ने अपने सर्वेक्षण में कांग्रेस को 100-110 सीट और भाजपा के पक्ष में 85-100 सीटों का आकलन किया था, तब ईदिना ने चुनाव से 21 दिन पहले कांग्रेस के पक्ष में 132-140 सीट (43% वोट), भाजपा के पक्ष में 57-65 सीट (33%) और जेडीएस को 19-25 (16%) सीट का पूर्वानुमान लगाया था। 

जब कर्नाटक विधानसभा के नतीजे घोषित हुए तो सभी चुनावी पंडित Eedina के सटीक पूर्वानुमान से हैरान थे। कांग्रेस के पक्ष में 135 (42.88%), भाजपा 66 (36%) और जेडीएस के खाते में 19 (13.29%) सीटें आई थीं। चुनाव परिणाम देखने पर लगता है कि कांग्रेस को लेकर जहां ईदिना का आकलन पूरी तरह से सटीक था, वहीं अंतिम क्षणों में जेडीएस के वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो जाने की वजह से भाजपा के मत प्रतिशत और जेडीएस के सीटों में बदलाव देखने को मिला। 

इस चुनाव से पहले ईदिना एजेंसी की राष्ट्रीय स्तर पर कोई खास पहचान नहीं थी। लेकिन इसी चुनाव के दौरान उसके सैंपल सर्वे, घर-घर जाकर 1000 की संख्या में प्रशिक्षित पत्रकारों की टीम द्वारा 41,169 मतदाताओं से विधानसभा की कुल 224 में से 204 विधानसभा क्षेत्रों पर किये गये सर्वेक्षण की पद्धति ने देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। पूर्व में मशहूर चुनाव समीक्षक रहे योगेन्द्र यादव ने तब ईदिना के इस सर्वेक्षण के बारे में गहराई से समझने के लिए एजेंसी के साथ संपर्क साधा था। 

2024 लोकसभा के लिए ईदिना ने पिछले वर्ष से भी बड़ा सैंपल साइज़ तैयार किया है। इस बार एजेंसी के द्वारा 52,678 मतदाताओं से विभिन्न मुद्दों पर उनकी पसंद/नापसंद पूछी गई है। यहां पर बता दें कि यह अभियान 15 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक चलाया गया था, जब न तो चुनाव को लेकर कोई औपचारिक घोषणा ही हुई थी और न ही विभिन्न दलों ने अपने उम्मीदवारों के ही नाम की घोषणा की थी। 

इस सर्वेक्षण में कांग्रेस बनाम भाजपा-जेडीएस मुकाबले में कांग्रेस के पक्ष में 43.77% मत प्रतिशत तो भाजपा-जेडीएस गठबंधन के पक्ष में 42.35% वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के पक्ष में 43% के करीब वोट पड़े थे, जिसमें मामूली बढ़ोत्तरी ही दिख रही है, जबकि भाजपा-जेडीएस का कुल योग 49% होना चाहिए था, लेकिन एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद वह कांग्रेस से मामूली अंतर से पीछे दिख रही है। 

इसके आधार पर ईदिना ने कांग्रेस को 17 और भाजपा-जेडीएस गठबंधन के लिए 11 सीट हासिल करने की उम्मीद जताई है। एजेंसी के मुताबिक 7 सीटों पर बेहद कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। अगर इस पूर्वानुमान को आधार बनाते हैं तो कर्नाटक में भाजपा-जेडीएस को भारी नुकसान होने जा रहा है। 2019 आम चुनाव में राज्य की 28 में से 25 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस लिहाज से उसे अकेले कर्नाटक से ही 14 सीटों का नुकसान होने जा रहा है।  

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 2019 चुनाव में भाजपा के पक्ष में 51.75% मत पड़े थे। एनडीए को 28 में से 26 सीटें हासिल हुई थीं, जिसमें एक सीट पर मांड्या से एक्ट्रेस सुमालता (निर्दलीय) विजयी ही थीं। 2019 में कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी झोली में क्रमशः 1-1 सीट (31.88% और 9.67% मत) ही मिला था। 2024 चुनाव में अगर कांग्रेस भाजपा को 42% वोटों तक रोकने में सफल रहती है तो यह भाजपा के लिए 10% वोटों का शुद्ध नुकसान होगा, जिसकी भरपाई नामुमिकन है। 

कर्नाटक में मुख्य चुनावी मुद्दे 

76.55% कर्नाटक वासियों का मानना है कि आवश्यक वस्तुओं के दाम पिछले 10 वर्ष के मोदी शासन में काफी अधिक बढ़े हैं, जबकि 53.18% मानते हैं कि रोजगार के अवसर पूर्व की तुलना में घटे हैं। 45.77% मानते हैं कि भ्रष्टाचार बढ़ा है, जबकि 42.02% लोगों का मानना है कि मोदी राज में अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ी है। 37.63% मानते हैं कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में कमी आई है।

राजनीतिक समझ 

मोदी शासन में देश की वैश्विक स्तर पर पहचान के मामले में कर्नाटक के मतदाताओं को भी लगता है कि देश की स्थिति बेहतर हुई है। 47.64% लोगों को लगता है कि भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पहले से बेहतर हुई है। लेकिन कांग्रेस की गारंटी स्कीम पर 56.14% लोग अपना मत देने के पक्ष में हैं। महिलाओं के बीच में कांग्रेस की गारंटी स्कीम पर मतप्रतिशत बढ़कर 59.28% हो जाता है। जहां तक केंद्र और राज्य की गारंटी योजनाओं के तुलनात्मक आकलन का प्रश्न है, 39.67% राज्य सरकार की योजनाओं को बेहतर मानते हैं, जबकि केंद्र सरकार की योजनाओं के पक्ष में मात्र 20.31% लोगों ने ही सकरात्मक रुख दिखाया है। 26.31% लोग केंद्र और राज्य दोनों की योजनाओं को सकारात्मक मानते हैं।

नरेंद्र मोदी के काम पर पूछे जाने पर 35.8% संतोषजनक, 33.06% उत्तम मानते हैं, जबकि 45.19% लोगों का मानना है कि मोदी को तीसरा कार्यकाल भी मिलना चाहिए। 

इसके साथ ही ईदिना (Eedina) ने अपने सर्वेक्षण के साथ यह भी साफ़ कर दिया है कि चुनाव की औपचारिक घोषणा के बाद जब उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हो जायेगी और चुनाव अभियान के दौरान जैसे-जैसे सरगर्मियां तेज होंगी तो कई नए मुद्दे भी राज्य में चुनावी रुझान में फेरबदल ला सकते हैं। चूंकि जारी चुनावी सर्वेक्षण 15 फरवरी से 5 मार्च के बीच किया गया था, इसलिए ये आंकड़े ऊपर-नीचे हो सकते हैं। 

आज 21 मार्च तक कोई बड़ा उलटफेर देखने को नहीं मिला है। भाजपा एवं हिंदुत्ववादी शक्तियों की ओर से विभाजनकारी मुद्दों को एक-एक कर उभारने की कोशिशें जारी हैं, जिनमें अभी तक कोई खास सफलता हासिल नहीं हो सकी है। उल्टा राज्य में तमिल और मलयाली समाज को आरोपित करने के मामले में एक केंद्रीय राज्य मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफ़ी तक मांगनी पड़ी है। सिद्धारमैया सरकार के साथ-साथ नागरिक समाज की सजगता राज्य में एक मजबूत दीवार के तौर पर एक महत्वपूर्ण कारक साबित होने जा रहा है।  

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं।) 

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