पश्चिम बंगाल। आमचुनाव 2024 के परिणाम ने पूरे देश को चौंका दिया। एक जून को आखिरी चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल ने सबको आश्वस्त कर दिया था कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ अपने सहयोगी पार्टियों के साथ जीत हासिल कर रही है। लेकिन चार जून को जैसे ही ईवीएम का ताला खुला सभी लोग चौंक गए। दोपहर आते-आते यह साफ हो गया कि भाजपा का 400 पार का नारा पूरी तरह से जुमला था। जिसपर लोगों ने भरोसा नहीं किया और भाजपा मात्र 240 पर सिमट गई। एनडीए की कुल मिलाकर सिर्फ 292 सीटें ही हो पाईं। यानि भाजपा और एनडीए ने मिलकर 300 का आंकड़ा पार नहीं किया।
यूपी के बाद दूसरी नजर लोगों की पश्चिम बंगाल पर लगी रही, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने सारे एग्जिट पोल को धता बताते हुए 29 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि चुनाव के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया था कि भाजपा बंगाल में 35 सीट जीत रही है। लेकिन परिणाम इसके विपरीत आया।
साल 2019 के चुनाव के दौरान भाजपा को 18 सीटें मिली थीं, जो इस बार घटकर 12 पर आ गईं। भाजपा को छह सीटों का नुकसान हुआ। वहीं दूसरी ओर टीएमसी ने पिछली बार 42 में से 22 सीटें जीती थी। जिसकी संख्या इस बार बढ़कर 29 हो गई सीधा सात सीटों का फायदा। जिसमें आसनसोल और दुर्गापुर, दार्जिलिंग की सीट शामिल है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने करप्शन, महिला उत्पीड़न, ईडी का प्रयोग किया लेकिन फिर भी सीटें कम हो गई हैं। इसके कुछ कारण हैं। इस पर चर्चा करते हैं।
ममता की कल्याणकारी योजना: पश्चिम बंगाल में महिलाएं ममता बनर्जी की कोर वोटर्स हैं। इनको ध्यान में रखकर ममता ने कन्या श्री योजना, रुपश्री योजना और लक्ष्मी भंडार योजना को लाया। जिसका सीधा फायदा वोट में देखने को मिला। आम चुनाव से ठीक पहले ममता ने महिलाओं को ध्यान रखते हुए लक्ष्मी भंडार की राशि सामान्य महिलाओं के लिए 500 से बढ़ाकर 1000 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए राशि को बढ़ाकर 1200 कर दी।
जिसका सीधा फायदा टीएमसी को मिला। महिलाओं ने झोला भरकर वोट दिया। इतना ही नहीं जहां पीएम मोदी ने पूरे देश के लिए आयुष्मान भारत कार्ड की सुविधा दी वहीं ममता बनर्जी ने बंगाल के लोगों के लिए स्वास्थ्य साथी कार्ड दिया और इसकी उपलब्धता पश्चिम बंगाल से बाहर उन अस्पतालों में हैं जहां बंगाल के लोग बड़ी संख्या में इलाज करवाने जाते हैं।
मनरेगा का पैसा मिलना: ममता बनर्जी ने राज्य में बीजेपी को रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए। जिसमें एक महत्वपूर्ण प्रयास पिछले दो साल का मनरेगा बकाया देना था। दरअसल पिछले साल केंद्रीय ग्रामीण मंत्री गिरिराज सिंह ने भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए केंद्रीय बकाया देने से इंकार कर दिया था। जिसमें मनरेगा भी शामिल था। मनरेगा का पैसा लेने वाले ज्यादातर गरीब लोग हैं।
प्रदेश में कई लोगों ने 100 दिन के काम का पैसा मिलने की आस छोड़ दी थी। इसी बीच ममता बनर्जी ने फरवरी में मनरेगा का बकाया देने का ऐलान किया। प्रदेश के सभी डीएम को इसके लिए निर्देश दिए गए कि जनता को चेक के द्वारा 12 अप्रैल से पहले बकाया दिया जाए। जनता को 12 अप्रैल से पहले बकाया मिला और लोगों तक यह संदेश पहुंचा की पीएम मोदी ने बकाया देने से मना किया और दीदी ने लोगों को बकाया देकर उनकी मदद की है।
संदेशखाली फेल: चुनाव से पहले भाजपा ने पश्चिम बंगाल में महिला यौन उत्पीड़न का पूरा मामला उठाया। इसको लेकर पीएम मोदी ने बारासात में पहली रैली कर कथित पीड़ित महिलाओं ने मुलाकात की। इसके बाद दार्जिलिंग सभा में भी इसका जिक्र किया। लेकिन दूसरे फेज के मतदान के बाद टीएमसी ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर पूरे मामले की पोल खोल दी। बंगाल के लोगों ने इस मामले में ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जिसका नतीजा यह हुआ है कि लोगों ने भाजपा को नकार दिया। आखिरी चरण में संदेशखाली में हुए मतदान में भारी संख्या में मत डाला गया। यहां तक की बशीरहाट लोकसभा से पहली एफआईआर दर्ज करने वाली महिला रेखा पात्रा को टिकट दिया। लेकिन बड़ी मार्जिन से हारी। जिसका सीधा फायदा टीएमसी को मिला।
भाजपा के पोलराइजेशन की कोशिश नाकाम: भाजपा ने बाकी राज्यों की तरह बंगाल में हिंदुत्व के दम पर पोलराइजेशन करने की कोशिश की। लेकिन इसमें पूरी तरह नाकाम रही। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर में कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह लोग सावन के महीने में एक सजायाफ्ता मुजरिम के घर जाकर मटन बना रहे हैं। इतना ही नहीं वीडियो को बनाकर लोगों को चिढ़ा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर बंगाल की जनता के लिए यह संस्कृति का हिस्सा है जहां दुर्गापूजा और सावन के दौरान लोग नॉनवेज खाते हैं। मछली बंगाली समुदाय की संस्कृति का हिस्सा है। बंगाली अपर कास्ट ने इस मुद्दे पर गुस्सा जाहिर किया और भाजपा को बाहरी पार्टी के तौर पर देखा।
वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी ने खानपान के मामले में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि कोई वेज खाए या नॉनवेज खाए। हर किसी की अपनी इच्छा है। खाने-पीने के लिए किसी पर किसी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए।
(पूनम मसीह की रिपोर्ट)