पटना। मुजफ्फरपुर में एक चिट फंड कंपनी की महिला कर्मियों के साथ जघन्य यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। विगत 18 जून को भाकपा-माले की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। इसमें नवनिर्वाचित एमएलसी कॉ. शशि यादव, पालीगंज से माले विधायक का. संदीप सौरभ, माले के मुजफ्फरपुर जिला सचिव कृष्ण मोहन, खेग्रामस के राज्य सचिव शत्रुघ्न सहनी, इंसाफ मंच के नेता कॉ. सूरज सिंह समेत कई नेता व कार्यकर्ता शामिल थे।
पटना में आज संवाददाता सम्मेलन के जरिए माले नेताओं ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही कहा है कि जांच के दायरे में राजनीतिक संरक्षण व प्रशासनिक मिलीभगत को भी लाया जाना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन में शशि यादव, संदीप सौरभ के अलावा ऐपवा की बिहार राज्य सचिव अनीता सिन्हा, आइसा के बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार व अध्यक्ष प्रीति कुमारी भी उपस्थित थीं।
माले नेताओं ने कल 18 जून को मुजफ्फरपुर के बखरी चौक स्थित जिस घर में वह कथित चिट फंड कंपनी चलती थी, वहां का दौरा किया। आसपास के लोगों से बात की। साथ ही मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली।
नेताओं ने कहा है कि रोजगार के नाम पर बड़ी संख्या में लड़कियों को झांसा देकर नेटवर्किंग कंपनी से जोड़ने और उनके साथ मारपीट तथा यौन हिंसा किए जाने का मामला सामने आया है। स्थानीय थाना की भूमिका बेहद शर्मनाक रही जब एक उत्पीड़ित महिला का केस दर्ज करने से उसने मना कर दिया था। बहरहाल अब मामला सामने आ चुका है!
मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम कांड के बाद दूसरा सेक्स स्कैंडल सामने आया है जिसके तार बिहार से लेकर यूपी तक जुड़े हैं। रोजगार के नाम पर युवतियों के साथ भयानक खेल खेला गया है। ऐसे मामले बार-बार सामने आए। थाने में शिकायतें पहुंची लेकिन लोगों को फटकार का भगा दिया गया। लोगों ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया लेकिन वह भी आगे नहीं बढ़ सका। प्रथम दृष्टया मामला काफी संगीन लगता है और सरकारी संरक्षण के बिना इतने समय से इस घृणित खेल का जारी रहना असंभव था।
इस घटना ने एकबार फिर से बिहार को शर्मसार किया है। पीड़ित युवती द्वारा दर्ज प्राथमिकी के सभी अभियुक्तों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो, सख्ती से पूछताछ हो और मामले की उच्चस्तरीय जांच हो। राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है, इसलिए इसकी भी जांच होनी चाहिए।
नेताओं ने आगे कहा कि नीतीश कुमार महिला सशक्तीकरण व उनकी सुरक्षा का दंभ भरते रहते हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ संगठित यौन हिंसा भाजपा-जदयू सरकार की चारित्रिक विशिष्टिता बन गई है। शेल्टर होम कांड के बाद भी सरकार ने लगता है कोई सबक नहीं सीखा।
सभी उत्पीड़ित महिलाओं को तत्काल सुरक्षा प्रदान किया जाए और उनके पुनर्वास की गारंटी करते हुए सभी दोषियों के खि़लाफ़ कड़ी कार्रवाई हो! यदि पीड़िताओं को न्याय नहीं मिलता तो माले, आइसा व ऐपवा राज्यव्यापी आंदोलन में जाएंगे!
(प्रेस विज्ञप्ति)
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