नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक बार फिर झूठ और छल का सहारा लेते हुए यह दावा कर रही है कि घोषित एमएसपी उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक है। छल-कपट के साथ सूचना और प्रसारण मंत्री ने घोषणा की कि खरीफ फसलों के लिए स्वीकृत एमएसपी उत्पादन लागत से डेढ़ गुना अधिक है। कॉरपोरेट मीडिया ने इस दावे को तुरंत लपक लिया और बिना किसी आलोचनात्मक विश्लेषण के सरकार का प्रचार करने पर जुट गई। यह बिलकुल साफ है कि किया गया दावा सच्चाई से कोसों दूर हैं, बल्कि एक सफ़ेद झूठ हैं क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी द्वारा वादा किया गया था कि स्वामीनाथन आयोग की सी2+50% की सिफारिश को लागू किया जाएगा। सी2+50% की सिफारिश को सुविधाजनक रूप से ए2+ऍफ़एल+50% के फॉर्मूले में बदल दिया गया है जो सी2+50% से बहुत कम है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के संकुचित लागत अनुमानों के अनुसार भी, सी2+50% सभी 14 खरीफ फसलों में एमएसपी से बहुत अधिक है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है।
फसल | एमएसपी | सी2+50% | घाटा/ प्रति क्विंटल | |
1 | धान | 2,300 रुपये प्रति क्विंटल | 3,012 रुपये प्रति क्विंटल | 712 रुपये प्रति क्विंटल |
2 | ज्वार | 3,371 रुपये प्रति क्विंटल | 4,437 रुपये प्रति क्विंटल | 1,066 रुपये प्रति क्विंटल |
3 | बाजरा | 2625 रुपये प्रति क्विंटल | 2,904 रुपये प्रति क्विंटल | 279 रुपये प्रति क्विंटल |
4 | मक्का | 2,225 रुपये प्रति क्विंटल | 2,795 रुपये प्रति क्विंटल | 570 रुपये प्रति क्विंटल |
5 | रागी | 4,290 रुपये प्रति क्विंटल | 5,198 रुपये प्रति क्विंटल | 908 रुपये प्रति क्विंटल |
6 | अरहर (तुअर) | 7550 रुपये प्रति क्विंटल | 9,756 रुपये प्रति क्विंटल | 2,206 रुपये प्रति क्विंटल |
7 | मूंग | 8,682 रुपये प्रति क्विंटल | 10,956 रुपये प्रति क्विंटल | 2,274 रुपये प्रति क्विंटल |
8 | उड़द | 7,400 रुपये प्रति क्विंटल | 9744 रुपये प्रति क्विंटल | 2,344 रुपये प्रति क्विंटल |
9 | मूंगफली | 6,783 रुपये प्रति क्विंटल | 8,496 रुपये प्रति क्विंटल | 1,713 रुपये प्रति क्विंटल |
10 | सोयाबीन | 4,892 रुपये प्रति क्विंटल | 6437 रुपये प्रति क्विंटल | 1,555 रुपये प्रति क्विंटल |
11 | सूरजमुखी | 7,280 रुपये प्रति क्विंटल | 9,891 रुपये प्रति क्विंटल | 2,611 रुपये प्रति क्विंटल |
12 | तिल | 9,267 रुपये प्रति क्विंटल | 12,228 रुपये प्रति क्विंटल | 2,961 रुपये प्रति क्विंटल |
13 | नाइजरसीड | 8,717 रुपये प्रति क्विंटल | 11,013 रुपये प्रति क्विंटल | 2,296 रुपये प्रति क्विंटल |
14 | कपास | 7,121 रुपये प्रति क्विंटल | 9,345 रुपये प्रति क्विंटल | 2,224 रुपये प्रति क्विंटल |
राज्य सी2 अनुमानों का भारित औसत लेने पर लागत गणना में और भी अधिक विसंगति सामने आती है। धान के मामले में इस तथ्य के बावजूद कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा जम्मू और कश्मीर (दोनों केंद्र सरकार के अधीन है) 1000 रुपये प्रति क्विंटल व 1017 रुपये प्रति क्विंटल की बेहद कम सी2 लागत दिखाते हैं, भारित औसत सी2 लागत 2,188 रुपये प्रति क्विंटल आती है। इस लागत पर सी2+50% 3,282 रुपये प्रति क्विंटल या कम लागत दिखने वाले दोनों राज्यों को छोड़ कर 3,555 रुपये प्रति क्विंटल होती है।
इस स्थिति में धान में किसानों को होने वाला घाटा और भी अधिक 1,255 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है। राज्य औसत सी2 अनुमानों के अनुसार कपास का उदाहरण लेते हुए सी 2+50% 11,163 रुपये प्रति क्विंटल होगा, इसके अनुसार किसानों को 4,042 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा होगा। मक्का के मामले में औसत राज्य अनुमान के अनुसार सी 2+50% 3378 रुपये प्रति क्विंटल होगा, जिसका अर्थ है कि वर्तमान एमएसपी पर होने वाला घाटा 1,153 रुपये प्रति क्विंटल होगा। यही स्थिति सभी फसलों के लिए है क्योंकि केंद्र सरकार की एजेंसी सीएसीपी की गणना राज्यों के अनुमान से काफी कम है। स्पष्ट रूप से, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्पादन की बढ़ती लागत जैसे कि उर्वरक की उच्च कीमतें, सिंचाई लागत आदि को ध्यान में नहीं रखा है। उन्होंने राज्यों और उनके अनुमानों को थोड़ा भी सम्मान देने की जहमत नहीं उठाई है।
अश्विनी वैष्णव जो केंद्रीय रेल मंत्री भी हैं, उन्हें एमएसपी पर झूठे दावे करने के बजाय रेल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं बार-बार होने वाली रेल दुर्घटनाओं के पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने पर अधिक समय देना चाहिए। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में उन्हें गलत सूचना फैलाने और गोएबल्सियन प्रचार करने से बचना चाहिए। अखिल भारतीय किसान सभा मांग करती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस घोषणा को रोके और संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बातचीत के बाद ही लागत के डेढ़ गुना दाम के वादे के अनुसार संशोधित एमएसपी लेकर आए। किसान सभा अपनी सभी इकाइयों से भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री की दोहरी नीति को उजागर करने और इस किसान विरोधी सरकार के खिलाफ विरोध में खड़े होने का आह्वान करता है।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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