बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर-2 में 22 अप्रैल को आयोजित एक जन कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि, जन कन्वेंशन में आने से पहले शहीद प्रेम महतो के घर जाना हुआ। 23 साल के नौजवान, बीटेक की डिग्री लिए, अप्रेंटिसशिप का अनुभव लिए, रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे थे पर उन्हें सिर पर लाठी मिली और फिर मौत। आखिर क्यों यह सवाल पूछते हुए उनके परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। देश के हर कोने से एक आवाज निकल रही है हमें न्याय चाहिए। फासीवादी ताकतें बड़ी चालांकि से न्याय की लड़ाइयों को धर्म, मजहब, भाषा, स्थानीयता में बांट रहे हैं। पर आज आपको न्याय चाहिए तो न्याय की हर लड़ाई में शामिल होना होगा तभी हम सबको पूरा न्याय मिलेगा।

दीपंकर ने कहा कि संविधान को टुकड़े में नहीं देखना चाहिए। आरक्षण, लोगों के अधिकार और अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी एक दूसरे से अलग नहीं हैं। इस बात को हमें समझ लेना होगा। उन्होंने कहा कि वक्फ सिर्फ मुसलमानों का सवाल नहीं हैं। इसे हमें अलग अलग भाषा, अलग अलग धर्म, में बंटकर नहीं देखना होगा। वक्फ का सवाल केवल मुसलमानों की जमीन का सवाल नहीं, आने वाले दिनों में सबकी जमीन छRनी जाने वाली है। जिस देश के प्रधानमंत्री अपनी डिग्री नहीं दिखा रहे, जनता से सैकड़ों वर्षो से काबिज जमीन का कागज माँगा जा रहा है।

माले महासचिव ने कहा कि वक्फ बोर्ड में में गैर मुस्लिम को शामिल करना गलत हैं और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को यह बताना कि वे हिन्दू हैं यह बेहद शर्मनाक है और उससे भी शर्मनाक हैं उन पर देश में गृह युद्ध भड़काने का आरोप लगाना और सुप्रीम कोर्ट को सुपर पार्लियामेंट बताकर उसकी खिल्ली उड़ाना।
दीपंकर ने कहा कि देश में संविधान ने हमें जो अधिकार दिये हैं उसपर किसी भी किस्म के हमले के खिलाफ हम सबको एकजुट होकर खड़ा होना होगा। हमें रोहित वेमुला और प्रेम महतो जैसे नौजवानों को युवाओं का आइकन बनाना होगा।
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हम जिस बुलडोजर राज को झेल रहे हैं वही फासीवाद का नया प्रतीक हैं। कम्युनिस्ट एकता, धीरज, विशाल हृदय के साथ लड़ते हैं। आज की लड़ाई में हम कल की लड़ाई भी लड़ते हैं, जैसा कि का. महेश्वर अपने गीत – “कल का गीत लिए होठों पर आज लड़ाई जारी हैं” में बताते हैं।

भट्टाचार्य ने कहा कि आजादी की लड़ाई के सभी धाराओं व मूल्यों को इकट्ठा होना है। हम झारखण्ड में एकता क़ायम किये हैं जो आनेवाले दिनों में हमारी अग्रगति का वाहक बनेगी। कम्युनिस्ट आंदोलन के सौ साल पूरे होने के अवसर पर यह हमारा मज़बूत संकल्प बने, जन कन्वेंशन से और राज्य सम्मेलन से हम यह उम्मीद करते हैं।
बताते दें कि निजीकरण भूमि लूट के खिलाफ, विस्थापितों और स्थानीयों को न्याय और सुरक्षित रोजगार के लिए, भाकपा माले ने स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय जन कन्वेंशन का आयोजन किया गया। सामाजिक–राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े दर्जनों संगठन और सैकड़ों संगठनकर्ता शामिल हुए।

जन कन्वेंशन को विश्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता ज्याँ द्रेज़ ने संबोधित करते हुए कहा कि देश में हिंदुत्व की नहीं बंधुत्व की जरूरत है, भाजपा सांप्रदायिक फासीवाद की राजनीति कर मजदूर वर्ग की एकता को कमजोर करना चाहती है। आज जरूरत है व्यापक जनांदोलनों की और चूंकि भाकपा माले बदलाव की राजनीति करती है, मुक्ति के लिए संघर्ष करती है इसीलिए मैं माले के जन कन्वेंशन में उनके साथ हूं।
जन कन्वेंशन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया जबकि संचालन भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य जनार्दन प्रसाद ने किया। जन कन्वेंशन को माकपा राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, भाकपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य लखन महतो, बगोदर के पूर्व विधायक विनोद सिंह, सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो, राजधनवार पूर्व विधायक राजकुमार यादव, सामाजिक कार्यकर्ता सिराज दत्ता, सहारा आंदोलनकर्मी राजेंद्र कुशवाहा, रसोईया संगठन राज्य सचिव गीता मंडल ने संबंधित किया।
भाकपा माले के 7वें राज्य सम्मेलन के मुख्य पर्यवेक्षक बिहार विधान परिषद सदस्य शशि यादव कन्वेंशन में मुख्य रूप से उपस्थित रही है। जन कन्वेंशन में अप्रेंटिस विस्थापित आन्दोलन में शहीद प्रेम महतो के भाई प्रशांत महतो, भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य आनंद महतो, हलधर महतो, शुभेंदु सेन, भुवनेश्वर केवट, दिलीप तिवारी, राजेंद्र गोप, बी एन सिंह, पुरण महतो, आरडी मांझी, भुनेश्वर बेदिया आदि शामिल रहे। जन कन्वेंशन में आए अतिथियों और प्रतिनिधियों को बोकारो के जिला सचिव देवदीप सिंह दिवाकर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(प्रेस विज्ञप्ति)
+ There are no comments
Add yours