पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति और ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पंजाब पुलिस के सतर्कता विभाग (विजिलेंस ब्यूरो) ने 25 जून 2025 को गिरफ्तार किया। मजीठिया की पत्नी गुनवीर कौर, जो वर्तमान में विधायक हैं, उस समय घर पर मौजूद थीं। उन्होंने अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती घर में घुसने पर आपत्ति जताई, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। अकाली नेता के घर पर सुबह-सुबह बिना सर्च वारंट और अरेस्ट वारंट दिखाए की गई इस कार्रवाई की पूरे पंजाब में विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार पर विपक्षी दलों, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने राजनीतिक द्वेष के तहत विपक्षी आवाजों को दबाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रदेश में इस तरह की जबरदस्ती की कार्रवाई अनुचित है। बीजेपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब में ‘पुलिसिया शासन’ स्थापित करना चाहते हैं और डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के अमृतसर से विधायक कुंवर विजय प्रताप ने मजीठिया की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं और छापेमारी को अनैतिक और परिवार की गरिमा के खिलाफ बताया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मजीठिया पर एक नया मामला दर्ज किया गया है।
मजीठिया पर पहले भी 2021 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांस (NDPS) एक्ट के तहत एक मामला दर्ज हुआ था, जिसकी विशेष जांच टीम (SIT) कई बार जांच कर चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मजीठिया को पहले समन किया था, लेकिन उस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। SIT ने ड्रग्स मामले में मजीठिया के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था, लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
मजीठिया की पत्नी गुनवीर कौर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विजिलेंस की टीम ने बिना किसी पूर्व नोटिस के उनके घर में घुसकर तलाशी ली। वहीं, बिक्रम सिंह मजीठिया ने एक वीडियो जारी कर कहा कि विजिलेंस अधिकारियों ने जबरदस्ती उनके घर में प्रवेश किया और उनके बच्चों को डराया। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवंत मान सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है और यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई है।
इस छापेमारी का नेतृत्व AIG स्वर्णदीप सिंह ने किया, जो हाल ही में निलंबन से बहाल हुए हैं। मजीठिया के आवास के अलावा पंजाब में 24 अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। अकाली दल की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर बादल ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि आप सरकार विपक्ष की आवाज को दबा रही है, जो लोकतंत्र के खिलाफ है।
पंजाब पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में मजीठिया को नोटिस जारी कर थाने या मुख्यालय में तलब किया जा सकता था। घर से गिरफ्तार करने की आपात आवश्यकता क्या थी?
पंजाब विजिलेंस विभाग ने इस कार्रवाई को ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ (नशा विरोधी अभियान) के तहत पंजाब पुलिस और विजिलेंस के संयुक्त ऑपरेशन का हिस्सा बताया है। दिल्ली में आप नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में नशा तस्करों पर जिस तरह कार्रवाई की जा रही है, उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, इससे नशा खत्म करने के अभियान को मजबूती मिली है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में चाहे कितना बड़ा या ताकतवर व्यक्ति हो, अगर वह नशा तस्करी में शामिल है या नशा तस्करों से किसी भी तरह जुड़ा है, उसे बख्शा नहीं जाएगा। केजरीवाल ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग, जो मंत्री रहते हुए नशा तस्करों को संरक्षण देते थे, सभी जानते हैं।
आप पंजाब से नशे को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। केजरीवाल ने दावा किया कि जिस तरह आप पंजाब में काम कर रही है, उससे लगता है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 100 सीटों का आंकड़ा पार कर सकती है। गौरतलब है कि केजरीवाल ने पहले मजीठिया पर नशा तस्करी के आरोप लगाए थे, जिन्हें मजीठिया ने अदालत में चुनौती दी थी। उस मामले में केजरीवाल ने लिखित माफी मांगकर मामला खत्म किया था।
इस घटना ने पंजाब की सियासत में बड़ा उबाल ला दिया है। आप की ओर से चुनिंदा राजनीतिक नेताओं के घरों पर छापेमारी को राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में लुधियाना वेस्ट की सीट पर उपचुनाव में आप की जीत से भगवंत मान सरकार को कुछ राहत मिली है, लेकिन इसके साथ ही कई तरह के कयास भी लगने शुरू हो गए हैं।
चुनाव से पहले चर्चा थी कि अरविंद केजरीवाल संजीव अरोड़ा को विधानसभा भेजकर उनकी राज्यसभा सीट खाली करवाना चाहते हैं, ताकि स्वयं के लिए राज्यसभा का रास्ता बनाया जा सके। चुनाव परिणाम से एक दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि केजरीवाल के इशारे पर पंजाब में मंत्रिमंडल में फेरबदल भी हो सकता है।
दिल्ली में हार के बाद आप ने पंजाब के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किए हैं। 2027 के विधानसभा चुनावों में आप अपना जनाधार बनाए रखने की कोशिश में जुटी है, लेकिन प्रदेश में उसकी नीतियों से निराशा, खासकर किसान वर्ग में, रोष व्याप्त है, जिसके भारी समर्थन से आप सत्ता में आई थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आप का अकाली दल पर इस तरह का दबाव बनाने से अकाली दल को बीजेपी के साथ गठबंधन करने में मदद मिल सकती है।
2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पंजाब में अपने राजनीतिक भविष्य को सकारात्मक दृष्टि से देख रही है। सीमावर्ती राज्यों जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सरकार बनाने की उसकी लंबे समय से महत्वाकांक्षा रही है। आप सरकार की नीतियों और परिणामों के प्रति नाराजगी को आप कितना संभाल पाएगी या यह विपक्ष के लिए राह बनाएगी, यह आने वाले चुनावों में तय होगा।
(जगदीप सिंह सिंधु स्वतंत्र पत्रकार हैं)