दफ्तर पर प्रदर्शन करते छात्र।

यूपी में कहीं प्रशासन छात्र नेताओं को नजरबंद कर रहा तो कहीं सत्ता पक्ष के नेता दे रहे हैं विपक्षियों को धमकी

नई दिल्ली/प्रयागराज/लखनऊ। यूपी में सत्ता का नशा सत्तारूढ़ दल के नेताओं और सूबे के आला अफसरों के सिर चढ़कर बोल रहा है। लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करना भी मानो सूबे में गुनाह हो गया है। शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले के खिलाफ आजकल छात्र आंदोलनरत हैं। प्रदेशव्यापी कार्यक्रम के तहत आज उनका धरना-प्रदर्शन था। लेकिन अभी छात्र धरनास्थल की तरफ बढ़ते उससे पहले ही पुलिस ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे और न्याय मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्या को उनके कर्नलगंज स्थित दफ्तर में नजरबंद कर लिया।

दूसरी तरफ वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर सोनभद्र में एक आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत के मामले को उठाए हुए हैं। और इस सिलसिले में जिले से लेकर राजधानी लखनऊ तक उन्होंने मोर्चा खोल दिया है। जिसके चलते न केवल अफसर बल्कि सत्ता पक्ष से जुड़े लोग और इलाके में सक्रिय खनन माफिया बेहद परेशान हैं। नतीजतन आदिवासी रामसुंदर गोंड़ की मौत की जांच कराने की जगह सत्ता पक्ष के नेताओं ने अब संदिग्ध मौत के खिलाफ आवाज उठा रहे नेताओं को ही धमकाना शुरू कर दिया है। हालांकि इसका विपक्षी दलों के नेताओं ने एक सुर में तीखा प्रतिकार किया है।

न्याय मोर्चा के संयोजक सुनील मौर्या ने बताया कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में न्याय मोर्चा के आह्वान पर प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत कई जिलों में प्रतिवाद दर्ज हुआ है। उसी सिलसिले में इलाहाबाद में भी जिला मुख्यालय पर जाकर ज्ञापन देने की योजना बनी थी लेकिन सुबह ही कार्यक्रम से पहले स्वराज भवन के सामने उनको हाउस अरेस्ट कर लिया गया। बाद में प्रशासन ने वहीं पर ज्ञापन लिया। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम से पहले ही सीईओ कर्नलगंज दफ्तर पहुंच गए थे। उन्होंने धमकी के लहजे में कहा कि यदि आप बाहर निकलते हैं तो आपको महामारी एक्ट में जेल भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने अपने महकमे को दफ्तर के पास पुलिस प्रशासन की व्यवस्था करने का निर्देश दिया और आंदोलनकारियों से वहीं ज्ञापन लेने की बात कही। जिसके बाद दर्जनों पुलिसकर्मी वहां आ गए और तब तक बने रहे ,जब तक उनको भरोसा नहीं हो गया कि अब कोई कार्यक्रम नहीं होगा।

सुनील मौर्य ने कहा कि हम 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़े छात्र परीक्षा में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने और भर्ती परीक्षा को रद्द कर पुनः परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त नकल माफियाओं को सबक मिल सके और भविष्य में किसी भी भर्ती परीक्षा का पेपर आउट ना करा सके।

    उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों की मांगों पर ध्यान देने के बजाय दमन पर उतारू है और छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को भी दबाने की कोशिश कर रही है।

उधर, कल सोनभद्र के पकरी गांव का दौरा करने के बाद बीजेपी के स्थानीय सांसद राम सकल ने इशारे में विपक्षी दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि जनपद को राजनीतिक प्रयोग स्थली नहीं बनने देंगे। उनका कहना था कि ऐसा करने से जिले की छवि धूमिल हो रही है। सांसद के इस बयान की विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की है और इसे लोकतंत्र के लिहाज से बेहद खतरनाक बताया है।

पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़, स्वराज अभियान के नेता दिनकर कपूर, समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष श्याम बिहारी यादव, राहुल प्रियंका कांग्रेस सेना के प्रदेश महामंत्री राजेश  द्विवेदी, सपा के पूर्व जिला महासचिव जुबेर आलम, सीपीएम के जिला सचिव नंदलाल आर्य, सीपीआई के जिला सचिव डा. आरके शर्मा, मजदूर किसान मंच के नेता कृपाशंकर पनिका और कांता कोल ने इस सिलसिले में बयान जारी किया है।

विपक्षी दलों के नेताओं ने बयान में कहा कि भाजपा सांसद को आदिवासी राम सुन्दर गोंड़ की हत्या में लिप्त अवैध बालू खनन माफिया और भाजपा नेता के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए न कि इस सवाल पर जनता की मदद करने वाले राजनीतिक नेताओं को धमकी देनी चाहिए। सांसद के बतौर उनका काम राजधर्म का पालन करना है न कि धमकी देना।

नेताओं ने कहा की यदि भाजपा की सरकार और जिला प्रशासन मृतक रामसुंदर गोंड़ की हत्या की एफआईआर दर्ज कर लेता और प्रधान, नाबालिग बच्चों समेत ग्रामीणों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर उत्पीड़न न करता। तो फिर इस सवाल को राजनीतिक सवाल बनाने की आवश्यकता ही न पड़ती। जिन प्रशासनिक अधिकारियों ने खनन माफियाओं से गठजोड़ कायम कर इस हत्याकांड को अंजाम दिया भाजपा सांसद उनके विरुद्ध कार्यवाही कराने की जगह उल्टा जनता की मदद करने वाले विपक्षी दलों पर ताने कस रहे हैं। अभी भी ग्रामीणों का कहना है कि मृतक रामसुंदर गोंड़ के पुत्र लाल बहादुर को विंढमगंज थाना अध्यक्ष द्वारा मुकदमा वापस लेने के लिए लगातार धमकी दी जा रही है। हत्यारों के विरुद्ध दायर मुकदमे में एससी एसटी एक्ट की धाराएं भी नहीं लगाई गई हैं।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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