आजादी की लड़ाई पर पैबंद साबित होगा हिंदुत्व का लगाया गया पर्दा

मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में अपने भाषण में स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) की तुलना राम मंदिर आंदोलन  (RJB Movement) से कर दी। मुझे लगा कि जरूर तमाम देश भक्तों का ख़ून खौलेगा और इस पर वो मोदी को आड़े हाथों लेंगे, लेकिन देशभक्तों ने मोदी के इस नैरेटिव (विचार) को स्वीकार कर लिया है।

मोदी नया नैरेटिव गढ़ने में माहिर है।

सब जानते हैं कि देश की आजादी की लड़ाई में शहीदे आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अशफाकउल्लाह खान से लेकर गांधी जी तक किसका क्या योगदान था। लोग धर्म, जाति, क्षेत्र की परवाह किए बिना इसमें शामिल थे, लेकिन मोदी का नैरेटिव कहता है कि आरजेबी मूवमेंट आजादी की लड़ाई से भी बड़ा आंदोलन था।

आजादी के जिस आंदोलन ने देश को एकता के धागे में पिरोया, आज वह एक धर्म विशेष के चंद लोगों के आंदोलन के सामने बौना हो गया।

मोदी ने अपना नया नैरेटिव पेश करने के दौरान गांधी जी का नाम लिया, लेकिन उसी मुंह से गांधी के हत्यारे और हिन्दू महासभा के सदस्य नाथूराम गोडसे (Godse) की निंदा नहीं की।

मोदी का नया नैरेटिव अगले कुछ सालों तक भारत पर हुकूमत करने वाला है। इसमें बच्चे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ेंगे कि आरजेबी मूवमेंट देश की आजादी की लड़ाई से भी बड़ा मूवमेंट था। इसमें कैंसर से मरने वाले विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के नेता अशोक सिंहल को भगत सिंह से भी बड़ा शहीद बताया जाएगा। इसमें दीनदयाल उपाध्याय को क्रांतिकारी लिखा जाएगा। कई और प्रतीक गढ़े जाएंगे और सामने लाए जाएंगे।

मोदी ने भगवान राम (Lord Rama) को आधुनिकता का प्रतीक भी उस भाषण में बताया था। धनुष बाण चलाने वाले राम को आधुनिक बताने का मतलब यही है कि भारत के लोग अब आधुनिकता की आड़ में उन्हें नया राम चुनें और वो जीते जी महात्मा गांधी की कुर्सी संभाल लें।

कोरोना या कोविड 19 नामक कथित वायरस से ज़िन्दगी बचाने की जद्दोजहद कर रहा देश सदियों पुराना काढ़ा पी रहा है, लेकिन उसके सामने आधुनिक राम (Modi) पेश किए जा रहे हैं, जिसने 21 दिनों में कोरोना (Covid19) की चेन तोड़ने जैसा सब्ज़बाग़ दिखाया था, जिसने सदियों पुराने ताली और थाली बजाने जैसे टोटके देश को बताए।

…पर लोग हैं कि इतने टोटकों के बावजूद आधुनिक राम को अपनाने को तैयार हैं। अयोध्या (Ayodhya) में पांच अगस्त को भूमि पूजा वाली जगह के बाहर तमाम जगहों पर हज़ारों की भीड़ ने नारे लगाते हुए कोरोना को निपटा दिया।

मोदी के नए नैरेटिव से एक बात और साफ़ हो गई। आजादी की लड़ाई के बाद एक स्वतंत्र देश भारत ने जिस संविधान (Indian Constitution) को अपनाया वह अब महज चंद पेजों का पुलिंदा भर है। उस संविधान के इतर हिन्दुत्व का विधान ही अब देश का संविधान है। संसद में एक लाइन का प्रस्ताव अब लाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी कि यह देश खुद को हिन्दू राष्ट्र (Hindu Nation) घोषित करता है।

यह देश अब हर मायने में हिन्दू राष्ट्र है। इसे स्वीकार करने में इस देश के अल्पसंख्यकों (Minorities) को देर नहीं लगाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के पास पाने के लिए अब कुछ नहीं है। उनकी राजनीतिक सौदेबाज़ी की हैसियत आरएसएस और ख़ासतौर पर बीजेपी ने खत्म कर दी है।

मुस्लिम, सिख, ईसाई और बाकी अल्पसंख्यक अगर आपस में मिलकर एक मोर्चा भी बना लें तो भी वे संघ और भाजपा को अब पराजित करने या उसकी हैसियत बताने की स्थिति में नहीं हैं। बताना भी नहीं चाहिए।

जिस देश को कोरोना के 18 करोड़ मरीज़ों की चिंता न होकर, बेरोज़गारी की फ़िक्र न होकर, बर्बाद हो रहे किसानों से हमदर्दी न होकर अयोध्या में मंदिर की चिंता है, उस देश और उसकी बहुसंख्यक आबादी को उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए।

यह देश मोदियों, अमित शाहों और संघ प्रशिक्षित भक्तों को आत्मसात करने को तैयार है। मुबारक हो।

  • यूसुफ किरमानी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और हिन्दीवाणी के संपादक हैं।)

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