2009 के अवमानना मामले में प्रशांत भूषण के खिलाफ चलेगा मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Estimated read time 1 min read

अब प्रशांत भूषण पर 2009 वाले अवमानना का मुकदमा चलेगा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पिछली बार की तरह मोबाइल पर सांय फुस में सुनवाई होगी या खुली कोर्ट में बहस होगी, सबूत पेश होंगे।

उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा 2009 में दिए उनके बयान पर उनके स्पष्टीकरण/क्षमा याचना को स्वीकार नहीं किया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वो भूषण के बयान को मेरिट पर सुनवाई करके परखेगा कि क्या यह अदालत की अवमानना करता है या नहीं।

 गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने 2009 में कहा था कि पूर्व के 16 में से आधे चीफ जस्टिस भ्रष्ट थे। कोर्ट ने कहा कि अब वो देखेगा कि क्या भूषण के इस बयान से प्रथम दृष्ट्या अदालत की अवमानना होती है। कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई 17 अगस्त से शुरू करेगा।

इससे पहले, 4 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमने स्पष्टीकरण और माफी नामा स्वीकार नहीं किया तो मामले की आगे सुनवाई की जाएगी।

उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रशांत भूषण और तरुण तेज पाल के खिलाफ 2009 में अवमानना की कार्रवाई में नोटिस जारी किया गया था।

प्रशांत भूषण अदालत की एक और अवमानना मामले का सामना कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की एक तस्वीर पर तीखी टिप्पणी की थी। यह टिप्पणी उन्होंने ट्विटर पर की थी। साथ ही एक और ट्वीट के जरिए देश के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों पर निशना साधा था। हाल ही में किए गए दोनों ट्वीटों का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अवमानना का मामला बताकर प्रशांत भूषण को नोटिस जारी कर दिया था।  प्रशांत भूषण ने अपने जवाब में कहा था कि चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना अवमानना नहीं है।

प्रशांत भूषण के ट्वीट को लेकर कंटेप्ट केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

प्रशांत भूषण की ओर से सीनियर ऐडवोकेट दुष्यंत दवे पेश हुए थे और उन्होंने कहा था कि प्रशांत ने जो ट्वीट किए उसमें न्याय प्रशासन की गरिमा पर कोई सवाल नहीं है। दवे ने एडीएम जबलपुर जजमेंट का हवाला दिया था और कहा था कि एक अंग्रेजी अखबार में इस जजमेंट के बाद जज की आलोचना की गई थी लेकिन फिर भी कोई अवमानना की कार्रवाई नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि भूषण का ट्वीट ज्यूडिशियरी को प्रोत्साहित करने वाला है। अदालत ने कहा कि ऐसे केस में कोई पक्ष जीतता नहीं बल्कि दोनों गंवाते ही हैं।

दुष्यंत दवे ने कहा था कि स्वस्थ आलोचना गलत नहीं है। न सिर्फ भारत बल्कि यूके के केस भी उनकी दलील को सपोर्ट करते हैं। उन्होंने दलील दी कि एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ जस्टिस एक ठोस नींव पर खड़ा है और वह भूषण के ट्वीट से प्रभावित नहीं हो सकता। कोई ये दावा नहीं कर सकता कि वह अमोघ है, यहां तक कि जज भी नहीं। दवे ने दलील दी थी कि भूषण ने सालों से तमाम मामलों में याचिका दायर की जिनमें फैसला हुआ उनमें कोलगेट और 2 जी केस आदि शामिल हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author