बुर्का पहन कर जाता पुजारी।

बुर्के में पकड़े गए पुजारी का इंटरव्यू दिखाने पर यूट्यूब चैनल ‘देश लाइव’ को पुलिस का नोटिस

अहमदाबाद। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम सेल के पुलिस इंस्पेक्टर राजेश पोरवाल ने यूट्यूब चैनल “देश लाइव” को CRPC की धारा 91 के तहत नोटिस जारी किया है। नोटिस में राजेश पोरवाल ने उस इंटरव्यू को हटाने को कहा है जिसका टाईटल “बुर्का पहनकर हथियार के साथ पकड़ा गया मंदिर का पुजारी”। साइबर सेल द्वारा यूट्यूब चैनल देश लाइव द्वारा प्रसारित पुजारी के इंटरव्यू को आई टी एक्ट की धारा 66C/67 के तहत अपराध बताया है। साइबर पुलिस ने IPC की धारा 153,153A, 505(B) के तहत भी इस प्रसारण को अपराध माना है। न हटाए जाने पर राजेश पोरवाल ने मुकदमा दर्ज करने की बात कही है। यह इंटरव्यू स्वतंत्र पत्रकार सहल कुरेशी ने पुजारी के बुर्के वाला वीडियो वायरल होने के बाद लिया था। 

कुरेशी ने लॉक डाउन के दौरान अहमदाबाद के शाहपुर में हुई पुलिस बर्बरता की भी रिपोर्टिंग की थी। जिसके बाद पुलिस द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी गई थी। कुरेशी मामले को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तक ले गए थे। आयोग ने अहमदाबाद पुलिस को नोटिस भी जारी किया था। कुरेशी एक बार फिर से पुलिस के निशाने पर आ गए हैं। 

क्या है पूरा मामला

इस महीने के पहले सप्ताह में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें एक मंदिर के पुजारी को कुछ लोगों ने मुस्लिम महिलाओं के बुर्के में रंगे हाथ पकड़ लिया। महंत बुर्के के अंदर कुर्ता पहने हुए था और कुर्ते में एक धार दार कटार भी रखा था। जाँच के बाद पता चला कि यह वीडियो अहमदाबाद के शाही बाग का है। बुर्का पहने शख्स का नाम रजनी कांत पांड्या है जो संतोषी माता मंदिर का पुजारी है। 

कुछ लोग इसे मुस्लिम महिलाओं को बदनाम करने की साज़िश मानते हैं। जब जन चौक ने शाही बाग, दरियापुर और दुदेश्वर के लोगों से बुर्के में पुजारी के पकड़े जाने की घटना के बारे में पूछा तो लोगों ने बताया कि “काफी समय से यह पुजारी बुर्का पहनकर मंदिर में आता और जाता था”। जिस कारण लोगों में यह बात फैल गई कि एक मुस्लिम महिला मंदिर में आती है और घंटों रुकने के बाद चली जाती है।

इस अफवाह के बाद कुछ लोग उस मुस्लिम महिला के बारे में जानने के लिए सक्रिय हो गए। बाद में उन्हें पता चला कि वह कोई मुस्लिम महिला नहीं बल्कि मंदिर का पुजारी है जो बुर्के में आता है। फिर घात लगाकर पुजारी को रंगे हाथ पकड़ वीडियो वायरल कर दिया गया। वीडियो वायरल होने के बाद दरियापुर से विधायक गयासुद्दीन शेख ने अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर से जाँच कर उचित कार्यवाही की मांग की है। ताकि कोई दूसरा मुस्लिमों की धार्मिक भावना को चोट न पहुंचा सके। 

पुलिस का पक्ष

पुलिस के अनुसार यह वीडियो 5 सितंबर का है। पुलिस ने कटार रखने के अपराध में मुकदमा दर्ज किया है। जिसमें पुजारी को बेल भी मिल गई है। पुलिस बुर्के मामले की भी जाँच कर रही है। 

पुजारी रजनीकांत पांड्या का पक्ष

‘देश लाइव’ को दिये इंटरव्यू मे पांड्या ने बताया कि वह संन्यासी नहीं है। पारिवारिक व्यक्ति है। संन्यासी का परिवार नहीं होता है। इसलिए वह बुर्का पहन कर अपने परिवार से मिलने जाता है। पांड्या ने यही बयान पुलिस को भी दिया है। पुलिस पांड्या के परिवार होने अथवा न होने की जाँच कर रही है। पुलिस ने अभी जाँच में क्या आया है इस संबंध में कोई भी बयान जारी नहीं किया है। 

“देश लाइव” को मिला पुलिस का नोटिस 

पुजारी रजनीकांत पांड्या का वीडियो वायरल होने के बाद सहल कुरेशी ने देश लाइव के लिए पांड्या का इंटरव्यू किया था। जिसके बाद यह मामला और तेज़ी से उछला। इंटरव्यू में पांड्या को अपना पक्ष रखने का मौका मिला। दूसरी तरफ कुरेशी ने तीखे प्रश्न भी  किये। वीडियो अपलोड होने के कुछ ही घंटों में लाखों लोगों ने देख लिया। अब तक सिर्फ देश लाइव पर लगभग 8 लाख लोग पांड्या का इंटरव्यू देख चुके हैं।पुजारी का बुर्के में पकड़े जाने वाला वीडियो और देश लाइव इंटरव्यू दोनों वायरल हुआ है। कुरेशी को किस कारण साइबर सेल से नोटिस मिला है।

समझ पाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि कुरेशी ने तो पुजारी को अपना पक्ष रखने में मदद की है और बुर्के के पीछे के असमंजस को समझने का प्रयत्न किया है। सहल कुरेशी ने ‘जनचौक’ को बताया कि “मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस ने नोटिस जारी कर वीडियो हटाने को कहा है। पुलिस तो यूट्यूब को भी नोटिस भेज वीडियो हटवा सकती है।” कुरेशी पुलिस के काम करने के तरीके पर कहते हैं, ” सुदर्शन टीवी जो सुबह शाम हिंदू मुस्लिम कर धर्म विशेष को टार्गेट करता है फिर भी पुलिस ऐसे पत्रकारों और चैनलों को नोटिस नहीं भेजती है। हमारे जैसे स्वतंत्र पत्रकार जो दबे कुचले वर्ग की बात करते हैं। तो चैनेल को पुलिस नोटिस भेज देती है।” देश लाइव वीडियो को न हटाकर पुलिस को वकील के माध्यम से जवाब देकर संतुष्ट करेगा। 

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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