निगमीकरण की पटरी पर दौड़ते हुए निजीकरण के आखिरी प्लेटफार्म पर पहुंचेगा रेलवे

Estimated read time 1 min read

अब भूल जाइये रेलवे की नौकरियों को! रेलवे में केंद्र सरकार की ओर से अब कोई नयी वैकेंसी नहीं निकलने वाली। रेलवे की नौकरियों में आरक्षण का प्रश्न भी एक झटके में साफ हो जाएगा क्योंकि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। मोदी सरकार भारतीय रेलवे को निगमीकरण की पटरियों पर दौड़ाने वाली है जिसका आखिरी स्टेशन निजीकरण है।

निगमीकरण का मतलब है किसी संस्था को निगम का रूप देना। सरकारी नियंत्रण के तहत उसके कार्यों को शनै शनै निजी संस्थानों को सौंपते जाना ताकि आगे चलकर जब वह निगम लाभ बनाने लगेगा तो उसे किसी निजी बोलीदाता को बेचा जा सकेगा।

आप कहेंगे कि रेलवे में यह निगमीकरण शब्द आया कहां से? दरअसल, जितना हम रेलवे को देखते हैं वह उससे कहीं बड़ा संस्थान है हमें सिर्फ दौड़ती भागती ट्रेनें दिखाई देती हैं लेकिन सुचारू ढंग से ये ट्रेनें दौड़ती रहें इसके लिए बड़े-बड़े कारखाने हैं वर्कशॉप हैं। मेंटिनेंस की वृहद व्यवस्था है।
मोदी सरकार के दोबारा आते ही इन सारी व्यवस्थाओं को जो लगभग 100 सालों से अधिक पहले से काम करती आई है उन्हें हिला डाला है। दरअसल रेल मंत्रालय ने एक 100 दिन का एक्शन प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत रेलवे बोर्ड ने एक आदेश जारी कर कहा है कि

चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चित्तरंजन

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई

डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी
डीजल मॉडर्नाइजेशन वर्क्स, पटियाला
ह्वील एंड एक्सल प्लांट, बेंगलुरु
रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला
माडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली
सहित कुछ अन्य उत्पादन इकाइयां अब प्राईवेट कंपनी की तरह काम करेंगी। इस आदेश से यहां तैनात सभी रेल कर्मचारी सरकारी सेवा में न होकर निजी कंपनी के कर्मचारी बन जाएंगे। यही नहीं अब यहां भारतीय रेल के महाप्रबंधक की जगह प्राईवेट कंपनी के सीएमडी बैठेंगे।

रेलवे बोर्ड ने अगले 100 दिन के एक्शन प्लान में अपनी सभी उत्पादन इकाइयों को एक कंपनी के अधीन करने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव के मुताबिक सभी उत्पादन इकाइयां व्यक्तिगत लाभ केंद्र के रूप में काम करेंगी और भारतीय रेलवे की नई इकाई के सीएमडी को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। इस तरह से रेलवे बोर्ड ने इन सात उत्पादन इकाइयों को भारतीय रेलवे की नई इकाई इंडियन रेलवे रोलिंग स्टॉक (रेल के डिब्बे एवं इंजन) कंपनी के अधीन लाने का फैसला कर लिया है।

अभी तक इन उत्पादन इकाइयों के सभी कर्मचारी भारतीय रेलवे के कर्मचारी माने जाते हैं। इन पर रेल सेवा अधिनियम लागू होता है। इन सभी कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारी माना जाता है, उत्पादन इकाइयों का सर्वेसर्वा जीएम होता है और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को जीएम रिपोर्ट करता है।

लेकिन निगमीकरण के बाद जीएम की जगह सीईओ की तैनाती होगी, वह सीएमडी को रिपोर्ट करेगा, ग्रुप सी और डी का कोई भी कर्मचारी भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं होगा बल्कि वह निगम के कर्मचारी कहलाएंगे। उन पर रेलसेवा अधिनियम लागू नहीं होगा बल्कि कारपोरेशन जो नियम बनाएगा वह लागू होगा। कर्मचारियों के लिए अलग से पे-कमीशन आएगा, कांट्रैक्ट पर काम होगा। इन कर्मचारियों को केंद्रीय सरकार की सुविधाएं नहीं मिलेंगी, सेवा शर्तें भी बदल जाएंगी। नए आने वाले कर्मचारियों के लिए पे-स्केल और पे-स्ट्रक्चर भी बदल जाएगा।

साफ दिख रहा है कि केन्द्र सरकार की मंशा जल्द ही रेलवे को भी बीएसएनएल की तर्ज पर निगम बनाने की नजर आ रही है, कहीं कुछ सालों बाद वेतन बांटने को मोहताज BSNL की हालत में रेलवे भी न आ जाए ! BSNL पिछले दिनों अपने कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पाने के लिए चर्चा में रहा है। आपको ध्यान देना चाहिए कि केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग को निगम का रूप देकर BSNL बनाया गया था लेकिन वहां तो सिर्फ 1 लाख 70 हजार कर्मचारियों का प्रश्न था यहां रेलवे में तो उसके दस गुना यानी 17 लाख कर्मचारी काम करते हैं।

पहले ही निजीकरण के कार्यक्रम के परिणाम स्वरूप अब तक भारतीय रेल में लाखों नौकरियां ख़त्म की जा चुकी हैं। अगर निगमीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ा गया तो रेलवे में नौकरी तो मिलेगी लेकिन वो सरकार नहीं देगी ठेकेदार देंगे।

(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Jeengar Durga Shankar Gahlot
Jeengar Durga Shankar Gahlot
Guest
4 years ago

जाग सको तो जागो – ओ गुलाम-भक्तों !
और देखो इस तथाकथित-राष्ट्रवादी पीएम मोदी की बनी हुई “दूसरी शासन-पारी” के आरम्भ में ही सुनाई देती यह देशघाती-सूचनायें …

जब पीएम मोदी की दूसरी-पारी के शासन-काल का आरम्भ ही इतना “देशघाती” सुनाई दे रहा है – तो, इस शासन का अंत-समय कितना भयानक होगा – यदि है स्व-विवेक तो करें आत्म-चिंतन …

– जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, वरिष्ठ नागरिक व पत्रकार, कोटा (राज.)
(02-07-2019 ; 09:30 PM)