कमलनाथ स्टार प्रचारक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईसी से पूछा-आप चुनाव आयोग हैं या पार्टी के नेता?

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उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग (ईसी) पर सवाल उठाया है कि स्टार प्रचारक सूची से उम्मीदवार को हटाने का चुनाव आयोग को किसने अधिकार दिया है? आप चुनाव आयोग हैं या पार्टी के नेता हैं? चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि अदालत आदेश पर रोक लगाएगी और जांच करेगी कि क्या चुनाव आयोग के पास ऐसा आदेश जारी करने की शक्ति है। पीठ ने चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि याचिका निष्प्रभावी है क्योंकि चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है और मतदान कल से शुरू हो रहा है। पीठ ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

पीठ ने कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में लिस्ट से कमलनाथ का नाम हटाने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि किसी का नाम स्टार प्रचारक की सूची से हटाना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।चुनाव आयोग ने कहा कि प्रचार खत्म हो चुका है और कमलनाथ की याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। इस पर पीठ ने कहा कि ये आपकी शक्ति नहीं है। हम इस मामले को व्यापक तरीके से देखेंगे।

मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आयोग के कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में लिस्ट से नाम हटाने के आदेश को चुनौती दी है। पीठ ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने उनके वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को स्टार प्रचारक के रूप में नामित करना पार्टी का अधिकार है और चुनाव आयोग पार्टी के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। चुनाव आयोग का निर्णय अभिव्यक्ति और आवागमन के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है। चुनाव आयोग नोटिस देने के बाद फैसला कर सकता है, लेकिन यहां कमलनाथ को कोई नोटिस नहीं दिया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने पीठ को बताया कि याचिका निष्प्रभावी है क्योंकि चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है और मतदान कल से शुरू हो रहा है। कमलनाथ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह निष्प्रभावी नहीं था और ईसीआई ने 30 अक्तूबर को नाथ के खिलाफ शिकायत को पुनर्जीवित किया था। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि उसने 13 अक्तूबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान को माफिया, नौटंकी कलाकार और मिलावट खोर कहने पर कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई की है। 

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन और कमलनाथ को जारी की गई सलाह की पूरी तरह से अवहेलना को लेकर आयोग मध्य प्रदेश विधानसभा के वर्तमान उपचुनावों के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का, राजनीतिक दल के नेता (स्टार प्रचारक) का दर्जा तत्काल प्रभाव से समाप्त करता है। आयोग ने कहा था कि कमलनाथ को स्टार प्रचारक के रूप में प्राधिकारियों द्वारा कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। अब से अगर कमलनाथ द्वारा कोई चुनाव प्रचार किया जाता है तो यात्रा, ठहरने और दौरे से संबंधित पूरा खर्च उस उम्मीदवार द्वारा वहन किया जाएगा, जिसके निर्वाचन क्षेत्र में वह चुनाव प्रचार करेंगे।

आयोग ने अपने फैसले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कमलनाथ की टिप्पणी का उल्लेख किया। कमलनाथ ने एक हालिया चुनावी कार्यक्रम में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ माफिया और मिलावट खोर शब्दों का इस्तेमाल किया था। आयोग ने पिछले हफ्ते कमलनाथ को चुनाव प्रचार में ‘आइटम’ जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करने को कहा था। कमलनाथ ने एक रैली में मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार इमरती देवी पर निशाना साधने के लिए आइटम शब्द का इस्तेमाल किया था।

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को कोई नोटिस दिए बिना चुनाव आयोग ने स्टार-प्रचारक के दर्जे को वापस लेने का 30 अक्तूबर का आदेश दिया। याचिका में उन घटनाओं की सूची दी गई है, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के नेता उपचुनावों के लिए चुनाव प्रचार की अवधि के दौरान एमसीसी के उल्लंघन में बार-बार बयान दे रहे हैं। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिका में राजनीतिक नेताओं, पार्टियों और कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन के लिए चुनाव के दौरान भाषण के संबंध में सभी हितधारकों के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गयी है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवम्बर को चुनाव होने हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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