ट्रम्प और बाइडेन।

अमेरिका में सदी का रिकॉर्ड टूटा; 67 फीसदी मतदान, मतगणना जारी

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक सदी का रिकॉर्ड टूट गया है। प्रोजेक्शन के हिसाब से 16 करोड़ मतदाताओं ने वोट किया है। मतदाताओं को अपने घरों से निकलने और उन्हें बूथ तक जाने के साथ ही अपने पक्ष में वोट करने के लिए रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बाइडेन ने आखिरी दिन के आखिरी समय तक अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

जादुई आंकड़ा 270 इलेक्टोरल कॉलेज का है। और दोनों प्रत्याशियों ने उसको हासिल करने के लिए अपनी जान लड़ा दी। यह आंकड़ा 50 राज्यों में वितरित है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है।

16 करोड़ की इस मतदाता संख्या को अगर प्रतिशत में बांटा जाए तो यह 67 फीसदी होता है। जो इस सदी के अब तक राष्ट्रपति चुनावों में होने वाले मतदान में सर्वाधिक है। इससे यह बात साबित हो गयी है कि कोविड महामारी का मतदान पर कोई असर नहीं पड़ा है। और मतदाताओं के बीच इस चुनाव का क्या महत्व है उसको इस बात से समझा जा सकता है कि 16 करोड़ में 11 करोड़ लोग मतदान की तारीख आने से पहले ही अपने मतों का प्रयोग कर चुके थे। पिछली बार जब सबसे ज्यादा लोगों ने वोट किया था वह 1908 का चुनाव था। उसमें 65 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था।

11 करोड़ जो पहले मतदान किए हैं वह आंकड़ा 2016 में हुए मतदान का 73 फीसदी है।

मतदाता सुबह से ही लाइब्रेरियों, स्कूलों और अलग-अलग मतदान स्थलों पर वोट देने के लिए इकट्ठा हो गए थे। अभी तक के चुनावों में इसे सबसे ज्यादा ध्रुवीकृत चुनाव के तौर पर देखा जा रहा है। यही कारण है कि महामारी के बावजूद न केवल मतों का प्रतिशत बढ़ा है बल्कि लोग नतीजे जानने के लिए भी उत्सुक हैं। बताया जा रहा है कि कोविड-19 और नस्लीय भेदभाव सबसे बड़ा मुद्दा बना है। अभी तक कहीं से किसी हिंसा या फिर किसी दूसरी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।

अगर कुछ राज्यों की तरफ रुख करें तो बताया जा रहा है कि ट्रम्प ने अलबामा, मिसीसिपी और ओकलाहोमा पर कब्जा कर लिया है। जबकि जो बाइडेन ने मैसाचुसेट्स को जीत लिया है। इसके अलावा डेलवेयर और वर्जीनिया पहले युद्ध के मैदान के तौर पर जाने जाने वाले उनके गृहराज्य इस बार उनकी पार्टी के मजबूत आधार साबित होने जा रहे हैं।

बताया जाता है कि ट्रम्प की जीत के लिए फ्लोरिडा बेहद मायने रखता है। लेकिन अभी उसकी स्थिति साफ नहीं हुई है। 2016 में इसने ट्रम्प के पक्ष में वोट किया था और उनके लिए उसने 29 इलेक्टोरल कॉलेज जुटाए थे। ट्रम्प को जीत के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल हासिल करने के लिए फ्लोरिडा को उनके पक्ष में जाना जरूरी है। जबकि बाइडेन के पास बगैर फ्लोरिडा के भी 270 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं। हालांकि फ्लोरिडा अपने पक्ष में करने के लिए बाइडेन ने न केवल पैसा बल्कि बहुत ज्यादा समय भी गंवाया है।

परंपरागत रूप से रिपब्लिकन के पक्ष में मतदान करने वाले वर्जीनिया, इंडियाना और केंचुकी ने एक बार फिर उसी का साथ दिया है। जबकि डेमोक्रेट बाइडेन ने वर्मोंट को जीत लिया है।

सीनेट की एक तिहाई सीटों के लिए भी मतदान हो रहा है। 100 सीटों में अभी आंकड़ा 53-47 के हिसाब से रिपब्लिकन के पक्ष में है। लेकिन इन सीटों के चुनाव के बाद यह बरकरार रहेगा या नहीं कह पाना मुश्किल है। इस साल 35 सीटों पर चुनाव होने हैं। 

बताया जा रहा है कि अगर बाइडेन जार्जिया, फ्लोरिडा या नार्थ कैरोलिना जीत जाते हैं तो ट्रम्प के लिए जीत का रास्ता मुश्किल हो जाएगा। अगर बाइडेन इनमें से कोई भी राज्य नहीं जीतते तब उन्हें पेनसिलवैनिया, मिशीगन औऱ विस्कोसिन पर भरोसा करना होगा जिसे 2016 में ट्रम्प ने डेमोक्रेट से छीन लिया था। लेकिन इस बार बताया जा रहा है कि इनमें बाइडेन आगे हैं। ट्रम्प ने 2016 में जिन आधे दर्जन राज्यों में जीत दर्ज की थी उनमें इस बार उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। और जार्जिया तथा अरिजोना में वो कुछ पीछे चल रहे हैं।

(इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू से ज्यादातर इनपुट लिए गए हैं।)

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