गाजीपुर बॉर्डर पर तारबंदी।

किसानों के दिल्ली में घुसने की आशंका से भारी बेरिकेडिंग

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 26 जनवरी की घटना के बाद किसान नेताओं के खिलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज़ करके किसानों को डराकर आंदोलन खत्म करने के इरादे से 28 जनवरी की शाम जो सत्ता पूरे लाव लश्कर के साथ ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली कराने पहुंची थी। वो ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के बढ़ते हुजूम से अब इस कदर भयभीत है कि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर 12 लेयर की बैरिकेडिंग करवा दिया सिर्फ इस भय से कि कहीं इतने सारे किसान दिल्ली न कूच कर दें।

मोर्चे का कहना है कि दरअसल ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जुटते किसान कहीं दिल्ली की ओर कूच ना कर दें इसी डर से ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर रातों-रात 12 लेयर की बैरिकेडिंग कर दी गई है। और यह बैरिकेडिंग बजट के दिन की किसी आशंका के लिए भी की गयी है।

बता दें कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर को किले में तब्दील कर दिया गया। गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। 26 तारीख को दिल्ली के लाल किले पर हुई घटना के बाद किसान बैकफुट पर थे और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से गाजीपुर बॉर्डर को खाली करने का आदेश भी दिया गया था लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के मीडिया के आंसुओं ने आंदोलन में जान फूंक दी। जिसके बाद से रातों रात ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के जत्थों का जुटना शुरू हो गया है। हालात ये है कि गाजीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों का मजमा लगना शुरू हो गया है और दूर-दूर तक एक बार फिर ट्रैक्टर ट्रॉली ही नजर आ रही हैं।

किसानों का कहना है कि ये किसानों के बढ़ते हुजूम का ही असर है कि केंद्र सरकार ने रंग बदलते हुए किसानों को बातचीत करने के लिए खुद को तैयार बताया है। किसान आंदोलन पर अब तक चुप्पी साथे रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जनवरी शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से कहा कि- ”किसान और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता हमेशा खुला है। भले ही सरकार और किसान आम सहमति पर नहीं पहुंचे। लेकिन हम किसानों के सामने विकल्प रख रहे हैं। वो इस पर चर्चा करें। किसानों और सरकार के बीच बस एक कॉल की दूरी है।”

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