यूपी आइसा नेता और जेएनयू के एमफिल छात्र नितिन राज की जमानत याचिका 6वीं बार खारिज

इलाहाबाद/लखनऊ। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) उत्तर प्रदेश के राज्य उपाध्यक्ष नितिन राज की आज 6वीं बार जमानत याचिका खारिज हो गयी। जमानत इलाहाबाद हाइकोर्ट से नामंजूर हुई है। यूपी के आइसा अध्यक्ष शैलेश पासवान ने इसे राजनीतिक दबावों का नतीजा बताया है।

छात्र संगठन की ओर से जारी बयान में उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2020 में घण्टाघर पर सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने पर योगी पुलिस ने नितिन राज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन यूपी पुलिस आज तक कोर्ट में नितिन राज के खिलाफ रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी है। आज उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में नितिन के वकील नितिन मिश्रा द्वारा जमानत याचिका डाली गई थी। नितिज को जमानत मिलने के सारे तर्क मौजूद थे। लेकिन जमानत न देकर कोर्ट ने नितिन की जमानत याचिका के खिलाफ काउंटर फाइल (काउंटर केस) दाखिल करने के लिए पुलिस को 21 का दिन वक्त दिया। और इस तरह नितिन को 21 दिन तक अतिरिक्त जेल में रखे जाने का पुलिस को मौका मिल गया है जो किसी दोहरे अन्याय से कम नहीं है।

उन्होंने आगे बताया कि नितिन राज के वकील नितिन मिश्रा ने कोर्ट में बताया कि पुलिस 3 महीने बाद भी चार्ज सीट दाखिल नहीं कर पाई थी। पिछले वर्ष ही सुप्रीम कोर्ट ने पैरोल पर रिहा कर दिया था। बावजूद इसके नितिन को हफ्तों तक जेल में रखा गया। इससे स्पष्ट है कि नितिन राज को सरकार साजिश के तहत फंसाकर जेल में ही रखना चाहती है। दिलचस्प बात यह है कि नितिन राज पर जो धाराएं – 66, 7, 505, 427, 353, 283, 188, 149, 147, 145 लगाई गयी हैं, वो सभी जमानती हैं लेकिन पुलिस ने आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तक भी नितिन राज के खिलाफ रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी। कोर्ट में पुलिस ने आरोप लगाया कि “नितिन फरार चल रहे थे और आत्मसमर्पण नहीं कर रहे थे।”

जबकि संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने इसे पूरी तरह से झूठ और फर्जी करार देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पैरोल देते समय राजनीतिक कार्यकर्ताओं को यूपी से बाहर नहीं जाने की सलाह दी थी, जिसके कारण नितिन राज अपने घर पर ही रह रहे थे। पुलिस का यह आरोप फर्जी और झूठा है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों-किसानों को फर्जी मुकदमे में फंसाकर यह सरकार संविधान और न्याय का गला घोट रही है। इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि अगर नितिन राज समेत सभी सीएए आंदोलनकारियों की अविलम्ब रिहाई नहीं हुई तो प्रदेश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

नितिन एक पढ़ने-लिखने वाले छात्र हैं। और उनका जेएनयू में एमफिल में प्रवेश हुआ है जहां उनकी पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है। इन परिस्थितियों के बावजूद कोर्ट ने नितिन के प्रति कोई रहम नहीं दिखायी। आमतौर अदालतें छात्रों के साथ बेहद नर्मी से पेश आती रही हैं। लेकिन यह अजूबा मामला है जिसमें स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक में वह भाव नहीं देखा गया।

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